Bhopal/New Delhi. दिल्ली में 2 साल पहले नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन से देशभर में सुर्खियों में आए शाहीन बाग में 9 मई को फिर हंगामा बरपा। वजह बना MCD का बुलडोजर। यहां अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया जाना था। इसके लिए MCD के बुलडोजर जैसे ही शाहीन बाग पहुंचे, हंगामा शुरू हो गया। लोगों के विरोध के बाद दोपहर करीब 12.30 बजे MCD के बुलडोजर वापस चले गए। इसके बाद लोगों ने तिरंगा लहराया।
वहीं, शाहीन बाग में अतिक्रमण हटाने की मुहिम के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह कहते हुए दखल देने से इनकार कर दिया कि याचिका किसी भी प्रभावित पक्ष की बजाय एक राजनीतिक दल ने दायर की है। अदालत को इन सब के लिए मंच नहीं बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने की मुहिम से प्रभावित लोगों से हाईकोर्ट जाने को कहा।
विरोध के बाद कार्रवाई रोकी
कार्रवाई के विरोध में लोग बुलडोजरों के सामने लेट गए। कुछ महिलाएं बुलडोजर पर चढ़ गईं। वहीं, कुछ जगहों पर लोग सड़कों पर ही धरने पर बैठ गए। हंगामा बढ़ते देख पुलिस ने लोगों को वहां से हटाया। कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया। इसके बावजूद कार्रवाई का विरोध जारी रहा। विरोध के बाद अफसरों ने कहा कि फिलहाल अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रोक दी गई है।
यूपी के बुलडोजर बाबा
माफिया पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चर्चा में आए। उन्हें बुलडोजर बाबा का खिताब दिया जाने लगा। योगी ने साफ किया कि किसी गरीब की झोपड़ी और दुकान पर बुलडोजर न चलाएं। बुलडोजर सिर्फ पेशेवर माफिया, दुर्दांत अपराधी और माफिया की अवैध संपत्ति पर चलाएं।
योगी ने ये किया
- योगी आदित्यनाथ ने 1848 करोड़ की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाया।
MP के बुलडोजर मामा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी बीते कई महीनों से गुंडों, माफिया और सूदखोरों के घरों पर बुलडोजर चला रहे हैं। एक सभा में उन्होंने ऐलान किया था कि गुंडे और अपराधी सुन लें... गरीब कमजोर की तरफ हाथ उठा तो मकान खोदकर मैदान बना दूंगा। मामा का बुलडोजर अब रुकने वाला नहीं है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि उनकी गिनी-चुनी कार्रवाई छोड़ दें तो अपराध होने के बाद तत्काल की गई छिटपुट कार्रवाईयां ही की गईं। इस कारण वे बुलडोजर बाबा यानी योगी आदित्यनाथ की तरह इमेज नहीं बना पाए। अब तक बड़े अपराधियों के खिलाफ शिवराज सरकार सॉफ्ट कॉर्नर रख रही है।
शिवराज का एक्शन
- खरगोन दंगे के बाद 24 घंटे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुलडोजरों ने 45 मकान-दुकानें ध्वस्त कर दीं। आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले ही बुलडोजर चला दिए गए।
MP में ये कार्रवाइयां
- मध्य प्रदेश में बुलडोजर चलाने की सबसे बड़ी कार्रवाई 11 अप्रैल को खरगोन दंगे के बाद हुई। यहां 16 मकान और 29 से ज्यादा दुकानों पर बुलडोजर चला।
बाबा का बुलडोजर
- अतीक अहमद की 325 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त कर ध्वस्त कर दिया। गिरोह के 60 सदस्यों के हथियारों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए।
राजस्थान में मंदिर ढहाया
राजस्थान के अलवर में 23 अप्रैल को 300 साल पुराने एक मंदिर को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया। मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग को कटर से काटा गया। आरोप है कि मंदिर परिसर में स्थापित भगवान शिव और हनुमान की मूर्तियों के साथ साथ अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों को खंडित किया गया। मामले पर राजनीति भी खूब हुई। कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर मंदिर तोड़ने का आरोप लगाया। ये पहली बार नहीं है, जब राजस्थान में मंदिर परिसर को तोड़ा गया। इससे पहले भी कई बार मंदिरों को तोड़ा जा चुका है। 18 अप्रैल से पहले गहलोत सरकार में फरवरी 2022 में भी चित्तौड़गढ़ के डूंगला ब्लॉक में प्राचीन शिव मंदिर को अतिक्रमण का हवाला देकर गिराया गया था। 2018 में भी जयपुर के टोंक रोड पर अतिक्रमण का हवाला देकर प्रशासन ने मंदिर तोड़ा था।
बुलडोजर क्यों जरूरी?
मध्यप्रदेश में 18 से 39 साल के वोटर्स की संख्या 55% है। पिछले चुनाव में कुल 5.34 करोड़ वोटर्स में 2.75 करोड़ वोटर्स 39 साल से कम के थे। इस बार इनकी संख्या 3 करोड़ के पार होगी। ये वोटर क्रिमिनल एक्शन पर तुरंत रिएक्शन चाहता है। यही वोटर सत्ता हासिल करने की चाबी है। यही वजह है कि शिवराज खुद को मामा बुलडोजर कहकर अपराधियों के ठिकानों पर बुलडोजर चला रहे हैं। यूपी में ये प्रयोग सफल भी रहा है। वहां बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी योगी के बुलडोजर के आगे धराशायी हो गए। माफिया पर एक्शन को बुलडोजर मामा अपनी सरकार की विशेषता बनाना चाहते हैं।