दतिया की मां पीतांबरा शत्रुनाश की देवी हैं, भक्त गुप्त पूजा करते हैं, कई दिग्गज नेता अनुष्ठान करा चुके

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The Sootr CG
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दतिया की मां पीतांबरा शत्रुनाश की देवी हैं, भक्त गुप्त पूजा करते हैं, कई दिग्गज नेता अनुष्ठान करा चुके

DATIA. देश की सबसे शक्तिशाली पीठों में से एक है मां पीतांबरा पीठ। पीतांबरा पीठ मध्य प्रदेश राज्य के दतिया में स्थित एक हिंदू मंदिर परिसर है। ये कई पौराणिक कथाओं के साथ-साथ वास्तविक जीवन में लोगों की तपस्थली है। यहां स्थित वनखंडेश्वर शिव के शिवलिंग को महाभारत काल का माना जाता है। मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी भी माना जाता है। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। पीतांबरा एक सिद्धपीठ है। माना जाता है कि पीतांबरा माई के दर्शन करने से दुश्मन और कष्टों का नाश हो जाता है।



स्वामीजी ने की थी सिद्धपीठ की स्थापना



मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है। राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है।  इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी ने की थी। इस मंदिर में सिंधिया घराने के लोगों के लिए  एक विशेष गेस्टहाउस बना हुआ है। माना जाता है कि मां बगुलामुखी ही पीतांबरा देवी हैं, इसलिए उन्हें पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं, लेकिन मां को खुश करना इतना आसान भी नहीं है। इसके लिए खास तरह से पूजा करनी होती है। इसमें भक्त को पीले कपड़े पहनने होते हैं, मां को पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं और फिर मां से मुराद मांगी जाती है। 





छोटी सी खिड़की से ही होते हैं मां के दर्शन



मां पीतांबरा के दर्शक सिर्फ एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं। बताया जाता है कि देश में बहुत बार संकट गहराया है, तब उस संकट को मां ने अपनी शक्ति से दूर किया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिवंगत माधवराव सिंधिया, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यहां पर मां का आशीर्वाद लेने आ चुके है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मां के दरबार में पहुंचकर उनका आशीर्वाद ले चुके हैं। इनके अलावा मुंबई बम कांड के दोषी संजय दत्त भी अपने ऊपर चल रहे केस के दौरान मां के दरबार में मत्था टेकने आए थे। इनके अलावा फिल्म जगत के भी कई लोग इस मंदिर में दर्शन करने आ चुके हैं। 



दिन में तीन बार रूप बदलती हैं पीतांबरा



पीतांबरा मां दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। यदि किसी भक्‍त ने सुबह मां के किसी स्‍वरूप के दर्शन किए हैं तो दूसरे प्रहर में उसे दूसरे रूप के दर्शन का सौभाग्‍य मिलता है। तीसरे प्रहर में भी मां का स्‍वरूप बदला हुआ दिखता है। मां के बदलते स्‍वरूप का राज आज तक किसी को नहीं पता चल सका। इसे चमत्‍कार ही माना जाता है। मान्यता है कि अगर किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह का कष्ट होता है तो वो मां पीतांबरा का अनुष्ठान करे तो सभी तरह की समस्याएं खत्म हो जाती हैं। बगलामुखी देवी की प्रतिमा में चार हाथों को प्रदर्शित किया गया है। इनके हाथों में गदा, पाश, वज्र और शत्रुजिह्वा है। 



चीन युद्ध के समय पूजा की गई और सकारात्मक परिणाम रहा



1962 में जब भारत और चीन का युद्ध शुरू हुआ था तो मां पीतांबरा सिद्धपीठ में पुजारी बाबा ने फौजी अधिकारियों और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर देश की रक्षा के लिए मां बगुलामुखी की प्रेरणा से 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था। इसका परिणाम यह रहा कि युद्ध के 11वें ही दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। भारत-चीन युद्ध के दौरान पूजा के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी परिसर में है।


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