DELHI: सुप्रीम कोर्ट से गैंग्स्टर अबू सलेम को बड़ा झटका, 2030 तक नहीं हो सकेगी रिहाई, उम्रकैद की सजा को दी थी चुनौती

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The Sootr CG
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DELHI: सुप्रीम कोर्ट से गैंग्स्टर अबू सलेम को बड़ा झटका, 2030 तक नहीं हो सकेगी रिहाई, उम्रकैद की सजा को दी थी चुनौती

Delhi.अबू सलेम एक बार फिर चर्चा में हैं। अंडरवर्ल्ड डॉन (underworld don) और मुंबई धमाकों (Mumbai blasts) के गुनहगार अबू सलेम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। अब वह 2030 तक जेल के सलाखों के पीछे रहेगा। दरअसल सलेम ने 2 मामलों में खुद को मिली उम्रकैद की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उसने दावा किया था कि पुर्तगाल से हुए उसके प्रत्यर्पण में तय शर्तों के मुताबिक उसकी कैद 25 साल से ज्यादा नहीं हो सकती।  जेल से बाहर आने के लिए माफिया डॉन की यह कोशिश नाकाम हो गई है। उसने अपनी रिहाई के लिए पुर्तगाल के साथ भारत सरकार के साथ हुई शर्तों का हवाला दिया था लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली है और फिलहाल वह जेल के सीखचों के पीछे ही रहेगा।



प्रत्यर्पण संधि का दिया था हवाला



सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैंगस्टर अबू सलेम को 2030 तक रिहा नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसकी 25 साल की हिरासत अवधि पूरी होने के बाद, केंद्र सरकार भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि के बारे में राष्ट्रपति को सलाह दे सकती है। उसने दावा किया था कि पुर्तगाल से हुए उसके प्रत्यर्पण में तय शर्तों के मुताबिक उसकी कैद 25 साल से अधिक नहीं हो सकती. इसलिए, उसे 2027 में रिहा किया जाए।  इसका जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सलेम की रिहाई पर विचार करने का समय 2027 में नहीं, 2030 में आएगा। क्योंकि उसे 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित(extradited from Portugal) कर भारत लाया गया था। 



सुप्रीम कोर्ट से क्या मांग की थी?



अबू सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. उसने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि भारत सरकार ने 2002 में पुर्तगाल सरकार से यह वादा किया था कि उसे न तो फांसी की सजा दी जाएगी, न ही किसी केस में 25 साल से अधिक कैद की सजा होगी, लेकिन मुंबई की विशेष टाडा कोर्ट से उसे 1993 मुंबई बम ब्लास्ट समेत 2 मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई। गैंगस्टर ने शीर्ष अदालत से यह मांग की थी कि उसे रिहा करने के लिए 2002 की तारीख को आधार बनाया जाना चाहिए, क्योंकि तभी उसे पुर्तगाल में हिरासत(detention in portugal) में ले लिया गया था. इस हिसाब से 25 साल की समय सीमा 2027 में खत्म होती है।



केंद्रीय गृह सचिव ने रखा पक्ष



अबू सलेम की याचिका के जवाब में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला(Union Home Secretary Ajay Bhalla) की तरफ से शीर्ष अदालत को बताया गया कि गैंगस्टर के प्रत्यर्पण के समय किया गया वादा ‘एक सरकार का दूसरी सरकार से किया गया वादा’ था।  सलेम के मामले में फैसला सुनाने वाले टाडा कोर्ट के जज इससे बंधे नहीं थे। उन्होंने भारतीय कानून के हिसाब से फैसला सुनाया और 1993 के मुंबई बम धमाकों में उसे दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा दी।  केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा कि सलेम को 2005 में भारत लाया गया था. इसलिए, 2030 में उसकी रिहाई के मामले पर जरूरी निर्णय लिया जाएगा। गृह सचिव ने यह भी सुझाव दिया है कि सुप्रीम कोर्ट अबू सलेम की अपील को सुनते हुए सिर्फ दोनों केस के तथ्यों को देखे और पुर्तगाल सरकार के साथ उसके प्रत्यर्पण को लेकर हुए समझौते का पालन सरकार पर छोड़ दे।



2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया था सलेम



एक स्पेशल टाडा कोर्ट ने 25 फरवरी 2015 को सलेम को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन हत्या करने के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जैन के साथ उनका ड्राइवर मेहंदी हसन भी मारा गया था। मुंबई में 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट के दोषियों में से एक सलेम को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था। इस दौरान उसके साथ फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी भी थी.



यूं पुर्तगाल में पकड़ाया था सलेम



पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में पुलिस ने अबू सलेम को उसकी कथित प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ 2002 में फर्जी दस्तावेजों पर सफर करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उस दौरान भारत और पुर्तगाल के बीच कोई प्रत्यर्पण समझौता नहीं था इसलिए सलेम को तुरंत भारत नहीं लाया जा सका था। पुर्तगाल ने सलेम को भारत भेजने के लिए एक शर्त रख दी थी कि उसे मृत्युदंड या 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जाएगी। 2007 में भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यपर्ण संधि हुई। तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और पुर्तगाल के राष्ट्रपति अनिबल कवाचो सिल्वा इस समझौते पर दस्तखत किए थे। भारत ने पुर्तगाल की दोनों शर्तों को स्वीकार कर लिया था।



अबू सलेम का भोपाली कनेक्शन, बनवाए थे 3 फर्जी पासपोर्ट 



माफिया अबू सलेम का भोपाल से भी कनेक्शन रहा है। पुलिस की मानें तो वह कई बार आ चुका है। उसने यहीं से फर्जी पासपोर्ट बनवाए थे। फर्जी पासपोर्ट बनाने से लेकर विदेश भागने का सारी साजिश भोपाल में रची गई थी। भोपाल से  सलेम ने अपनी पत्नी समीरा जुमानी और फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी का पासपोर्ट बनवाया था।  इस काम में उसकी मदद की थी, सलेम के पूर्व साथी भोपाल के सैयद अब्दुल जलील यानी शिराज ने। शिराज ने ना सिर्फ तीन पासपोर्ट बनवाने में सलेम की मदद की बल्कि पासपोर्ट में पता भी अपने घर का दिया। इस काम के लिए साल 2001 भोपाल में एजेंट को 35 हजार रुपये प्रति पासपोर्ट की दर से पासपोर्ट बनवाने का जिम्मा दिया गया।  सबके राशन कार्ड भी बनवाए गए। अबू सलेम का दानिश बेग, समीरा जुमानी का रुबीना बेग और मोनिका बेदी का फौजिया उस्मान के फर्जी नाम से पासपोर्ट बनवाए गए थे। ये पासपोर्ट क्षेत्रीय कार्यालय से जारी किए गए।  इस पर भोपाल के कोह-ए-फिजा थाने में 2001 में मामला दर्ज कराया गया था।  बाद में इस मामले में शिराज सरकारी गवाह बन गया. शिराज का आरोप है, कई बार सलेम ने उसे जान से मरवाने के लिए शूटर भी भेजे शिराज ने बताया कि अबू सलेम के पास और भी पासपोर्ट थे। वह नई पहचान बनाकर कहीं और सेट होना चाहता था. ज्यूरिख, लंदन भी उसके प्लान में था। शिराज ने बताया कि उसे जानकारी मिली थी कि सलेम विदेश में सेट होने के बाद उसे मरवा देगा। पासपोर्ट बनवाने के बाद सलेम मोनिका बेदी के साथ भोपाल में भी रहा था। 



मेोनिका



फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी से नजदीकी



अबू सलेम की फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी से भी गहरी नजदीकियां थीं। बॉलीवुड एक्‍ट्रेस मोनिका बेदी पर आरोप था कि उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की मदद से भोपाल में अपना फर्जी पासपोर्ट बनवाया था, जिसमें उनका नाम फौजिया उस्मान दर्ज था। इस मामले में भोपाल जिला अदालत ने साल 2007 में मोनिका बेदी को बरी कर दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने साल 2007 में निचली अदालत के फैसले को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी। भोपाल के कोहेफिजा थाने में पुलिस ने अंडरवर्ल्ड सरगना अबू सलेम, फिल्म स्टार मोनिका बेदी सहित अन्य के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट मामलें में विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था।


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