NEW DELHI. महाराष्ट्र में शिवसेना पर अधिकार को लेकर 3 अगस्त सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की तरफ से तीखी बहस हुई। हालांकि, इन दलीलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट से कुछ मुश्किल सवाल भी किए। कोई निष्कर्ष नहीं निकलने की वजह से 4 अगस्त के लिए नई तारीख दी गई। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी ओर से ये दलीलें दीं...
सिब्बल, सीजेआई की दलीलें
- उद्धव कैंप के वकील कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि अगर दो तिहाई विधायक अलग होना चाहते हैं तो उन्हें किसी से विलय करना होगा या नई पार्टी बनानी होगी। वह नहीं कह सकते कि वह मूल पार्टी हैं।
चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि मतलब आप कह रहे हैं कि उन्हें (शिवसेना से अलग हुए विधायकों को) BJP में विलय करना चाहिए था या अलग पार्टी बनानी थी। फिर सिब्बल ने कहा कि कानूनन यही करना था।
चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या सभी पक्षों ने मामले से जुड़े कानूनी सवालों का संकलन जमा करवा दिया है। राज्यपाल के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं अभी जमा करवा रहा हूं।
पार्टी सिर्फ विधायकों का समूह नहीं: सिब्बल
सिब्बल ने कहा कि पार्टी सिर्फ विधायकों का समूह नहीं होती है। इन लोगों को पार्टी की बैठक में बुलाया गया। वह नहीं आए। डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी लिख दी। अपना व्हिप नियुक्त कर दिया। असल में उन्होंने पार्टी छोड़ी है। वह मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते। आज भी शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं। जब संविधान में 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी प्रावधान) को जोड़ा गया, तो उसका कुछ उद्देश्य था। अगर इस तरह के दुरुपयोग को अनुमति दी गई तो विधायकों का बहुमत सरकार को गिरा कर गलत तरीके से सत्ता पाता रहेगा और पार्टी पर भी दावा करेगा। पार्टी की सदस्यता छोड़ने वाले विधायक अयोग्य हैं। चुनाव आयोग जाकर पार्टी पर दावा कैसे कर सकते हैं?
हमने 10 दिन के लिए सुनवाई क्या टाली, आपने सरकार बना ली?: सीजेआई
- चीफ जस्टिस- हमने 10 दिन के लिए सुनवाई टाली थी। इस बीच आपने सरकार बना ली। स्पीकर बदल गए। अब आप कह रहे हैं, सारी बातें निरर्थक हैं।
हरीश साल्वे- मैं ऐसा नहीं कह रहा कि इन बातों पर अब विचार ही नहीं होना चाहिए।
चीफ जस्टिस - ठीक है, हम सभी मुद्दों को सुनेंगे।
साल्वे और सिब्बल के बीच बहस
शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जिस नेता को बहुमत का समर्थन ना हो, वह कैसे बना रह सकता है? सिब्बल ने जो बातें कही हैं, वह प्रासंगिक नहीं हैं। इस पर साल्वे ने कहा कि किसने इन विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया? जब पार्टी में अंदरूनी बंटवारा हो चुका हो तो दूसरे गुट की बैठक में ना जाना अयोग्यता कैसे हो गया?
सीजेआई और साल्वे के बीच बहस
- CJI- इस तरह से तो पार्टी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। विधायक चुने जाने के बाद कोई कुछ भी कर सकेगा।
साल्वे- हमारे यहां एक भ्रम है कि किसी नेता को ही पूरी पार्टी मान लिया जाता है। हम अभी भी पार्टी में हैं। हमने पार्टी नहीं छोड़ी है। हमने नेता के खिलाफ आवाज उठाई है।
DELHI: हमने 10 दिन के लिए सुनवाई क्या टाली, आपने सरकार बना ली- एकनाथ शिंदे के वकील से बोले CJI
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NEW DELHI. महाराष्ट्र में शिवसेना पर अधिकार को लेकर 3 अगस्त सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की तरफ से तीखी बहस हुई। हालांकि, इन दलीलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट से कुछ मुश्किल सवाल भी किए। कोई निष्कर्ष नहीं निकलने की वजह से 4 अगस्त के लिए नई तारीख दी गई। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी ओर से ये दलीलें दीं...
सिब्बल, सीजेआई की दलीलें
पार्टी सिर्फ विधायकों का समूह नहीं: सिब्बल
सिब्बल ने कहा कि पार्टी सिर्फ विधायकों का समूह नहीं होती है। इन लोगों को पार्टी की बैठक में बुलाया गया। वह नहीं आए। डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी लिख दी। अपना व्हिप नियुक्त कर दिया। असल में उन्होंने पार्टी छोड़ी है। वह मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते। आज भी शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं। जब संविधान में 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी प्रावधान) को जोड़ा गया, तो उसका कुछ उद्देश्य था। अगर इस तरह के दुरुपयोग को अनुमति दी गई तो विधायकों का बहुमत सरकार को गिरा कर गलत तरीके से सत्ता पाता रहेगा और पार्टी पर भी दावा करेगा। पार्टी की सदस्यता छोड़ने वाले विधायक अयोग्य हैं। चुनाव आयोग जाकर पार्टी पर दावा कैसे कर सकते हैं?
हमने 10 दिन के लिए सुनवाई क्या टाली, आपने सरकार बना ली?: सीजेआई
साल्वे और सिब्बल के बीच बहस
शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जिस नेता को बहुमत का समर्थन ना हो, वह कैसे बना रह सकता है? सिब्बल ने जो बातें कही हैं, वह प्रासंगिक नहीं हैं। इस पर साल्वे ने कहा कि किसने इन विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया? जब पार्टी में अंदरूनी बंटवारा हो चुका हो तो दूसरे गुट की बैठक में ना जाना अयोग्यता कैसे हो गया?
सीजेआई और साल्वे के बीच बहस