MUMBAI: कभी महाराष्ट्र के CM बनने वाले थे एकनाथ शिंदे, क्या हुआ कि बागी बन गए? जानें उद्धव सरकार में मची खींचतान की कहानी

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
MUMBAI: कभी महाराष्ट्र के CM बनने वाले थे एकनाथ शिंदे, क्या हुआ कि बागी बन गए? जानें उद्धव सरकार में मची खींचतान की कहानी

Mumbai. महाराष्ट्र के कद्दावर शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी है। बाद में उनका बयान आया कि हम बालासाहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं। बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है। हम सत्ता के लिए कभी भी धोखा नहीं देंगे। एकनाथ शिंदे फिलहाल शिवसेना के 15, एक एनसीपी और 14 निर्दलीय विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में हैं। इस टोली में शिंदे के अलावा 3 मंत्री और हैं। मुख्यमंत्री तक का फोन नहीं उठा रहे हैं। अब सवाल उठने लगा है कि उद्धव सरकार बचेगी या जाएगी?



महाराष्ट्र में क्या हुआ, 8 पॉइंट्स में जानिए



1. एकनाथ शिंदे नाराज क्यों?



एकनाथ शिंदे (59) फिलहाल महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री हैं। 2019 में उद्धव ठाकरे ने शिंदे को विधायक दल का नेता बना दिया था। उस वक्त माना जा रहा था कि शिंदे ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे। हालांकि एनसीपी और कांग्रेस उद्धव ठाकरे को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी। इस तरह शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए। पिछले कुछ दिनों से शिंदे शिवसेना से नाराज हैं।



2. क्या है शिंदे के बगावत की वजह?



मुंबई से नागपुर के बीच बन रहा सुपर कम्युनिकेशन हाईवे फडणवीस का ड्रीम प्रोजेक्ट था। समृद्धि महामार्ग नाम के इस प्रोजेक्ट को फडणवीस ने शिंदे को सौंप रखा था। उद्धव सरकार में भी यह प्रोजेक्ट है तो शिंदे के पास, लेकिन उसका श्रेय उन्हें नहीं दिया जा रहा है।

शिंदे शिवसेना के उन नेताओं में शामिल हैं जो कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के खिलाफ थे। इस खेमे का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाकर शिवसेना को काफी नुकसान पहुंचाया।



महाराष्ट्र में मोटे तौर पर शिवसेना को मराठा अस्मिता के लिए काम करने वाली हिंदूवादी पार्टी माना जाता है। पवार की एनसीपी को मराठाओं की पार्टी और कांग्रेस की इमेज मुस्लिम समर्थक होने की है। शिंदे का कहना था कि कांग्रेस की इस इमेज से शिवसेना का वोटबैंक काफी कमजोर पड़ा है। वहीं, शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाअघाड़ी सरकार बनने के बाद से शिवसेना में संजय राउत, अनिल देसाई और आदित्य ठाकरे की ताकत काफी बढ़ गई। वहीं एकनाथ शिंदे खुद को दरकिनार महसूस कर रहे थे।



3. यहां से शुरू हुआ सियासी संकट



10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव से ही महाराष्ट्र में उद्धव सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। राज्यसभा की 6 सीटों पर महाविकास अघाड़ी यानी शिवसेना+कांग्रेस+NCP के 3 और BJP के 3 उम्मीदवार जीत गए। महाराष्ट्र विधानसभा में BJP के पास सिर्फ 106 विधायक हैं, निर्दलीयों को मिलाकर यह संख्या 113 से ज्यादा हो रही थी, लेकिन राज्यसभा चुनाव में उसे 123 वोट मिले तो एमएलसी चुनाव में 134 वोट मिले हैं। इसका सीधा मतलब हुआ कि BJP ने राज्यसभा चुनाव में सत्तापक्ष के 10 विधायकों को तोड़ा था। वहीं MLC चुनाव में BJP को 134 वोट मिले। यानी BJP के साथ अब तक सत्तापक्ष के 21 विधायक आ गए थे।



4. शिंदे के साथ ये विधायक



खबरों के मुताबिक एकनाथ शिंदे के साथ कुल 30 विधायक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में फिलहाल शिंदे के साथ गए 23 विधायकों की लिस्ट सामने आ रही है।



1. अब्दुल सत्तार राज्य मंत्री, सिलोड, औरंगाबाद



2. शंबुराजे देसाई, राज्य मंत्री, सतारा पाटन



3. प्रकाश अबितकर, राधानगरी कोल्हापुर



4. संजय राठौड़, डिग्रास, यवतमाल



5. संजय रायमुलकर, मेहकर



6. संजय गायकवाड़, बुलढाणा



7. महेंद्र दलवी, अलीबाग



8. विश्वनाथ भोईर, कल्याण, ठाणे



9. भरत गोगवाले, महाड रायगढ़



10. संदीपन भुमरे, राज्य मंत्री



11. प्रताप सरनाइक, मजीवाड़ा, ठाणे



12. शाहजी पाटिल



13. तानाजी सावंत



14. शांताराम मोरे



15. श्रीनिवास वनगा



16. संजय शीर्षसत



17. अनिल बाबर



18. बालाजी किन्निकर



19. यामिनी जाधव



20. किशोर पाटिल



21. गुलाबराव पाटिल



22. रमेश बोरानारे



23. उदय राजपूत



5. ऐसे सत्ता में आए थे उद्धव



महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 2019 में चुनाव हुए थे। इस चुनाव में बीजेपी 106 विधायकों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी गठबंधन में बात नहीं पाई। ऐसे में 56 विधायकों वाली शिवसेना ने 44 विधायकों वाली कांग्रेस और 53 विधायकों वाली NCP के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई।



6. कितने विधायक टूटे तो गिर जाएगी उद्धव सरकार?



इस वक्त एकनाथ शिंदे के साथ करीब 30 विधायक गुजरात के सूरत में ठहरे हुए बताए जा रहे हैं। 2 स्थितियों से समझें, उद्धव सरकार को कितना खतरा...



i : अगर 25 विधायक टूटते हैं



170 में से 25 विधायकों के समर्थन को घटा भी दें तो 145 विधायकों का समर्थन अब भी महाविकास अघाड़ी के पास है। ऐसे में महाविकास अघाड़ी के 25 विधायकों को टूटने से फिलहाल कोई खतरा सरकार पर नहीं दिख रहा। ये आंकड़ा बढ़ा तो उद्धव सरकार खतरे में आ जाएगी।



ii : अगर 30 विधायक टूटते हैं



कुल 170 विधायकों के उद्धव सरकार को समर्थन है, ऐसे में 30 विधायक टूट गए तो ये आंकड़ा गिरकर 140 हो जाएगा। वहीं, बहुमत का आंकड़ा 144 साफ है कि महाविकास अघाड़ी सरकार गहरे संकट में फंस जाएगी।



7. सरकार का गणित बिगाड़ने में बीजेपी का



बीजेपी के अब तक का ऑफिशियल स्टैंड है कि इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यह शिवसेना और महाविकास अघाड़ी का भीतरी झगड़ा है। हालांकि, 2019 चुनाव के बाद से महाराष्ट्र में बीजेपी पहले भी सरकार बनाने की कोशिश कर चुकी है। जब सुबह-सुबह अजित पवार को बीजेपी ने डिप्टी सीएम की शपथ दिला दी थी।



बीजेपी का मध्य प्रदेश और कर्नाटक समेत दूसरे राज्यों में सरकार बनाने को लेकर जो आक्रामक पॉलिसी रही है, उसे देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि इस पूरे मामले में बीजेपी की कोई भूमिका नहीं है। महाराष्ट्र में राज्यसभा और विधान परिषद के चुनावों में बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग होना इसका सबूत है।



8: अगर उद्धव सरकार गिर गई तो क्या?



अगर महाविकास अघाड़ी से 30 विधायक अलग हो जाते हैं तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी। ऐसे में बीजेपी सदन बुलवाकर अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश करेगी। ऐसे हालात में राज्यपाल की भूमिका सबसे अहम होगी। वहीं, अगर सदन में बहुमत साबित करने की बारी आती है तो स्पीकर का रोल सबसे खास हो जाएगा। कर्नाटक और उत्तराखंड जैसे राज्यों में ऐसे हालात होने पर मामले अदालत भी जा चुका है। महाराष्ट्र में भी इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।


शिवसेना BJP बीजेपी maharashtra महाराष्ट्र Sharad Pawar शरद पवार Eknath Shinde एकनाथ शिंदे देवेंद्र फडणवीस उद्धव ठाकरे Uddhav Thackerey ShivSena Political Crisis राजनीतिक संकट Devendra Fadanvis Rebel MLAs बागी विधाक