नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधानसभा पहुंचने का रास्ता साफ हो गया है। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की 3 विधानसभा सीटों और ओडिशा की एक सीट पर 30 सितंबर को उपचुनाव कराने का ऐलान किया है। बंगाल में भवानीपुर, शमशेरगंज और जंगीपुर सीटों पर उपचुनाव होंगे। वहीं, ओडिशा की पीपली सीट पर वोटिंग होगी।
ममता के विधानसभा पहुंचने का रास्ता साफ
उधर, चुनाव आयोग की घोषणा के बाद ममता बनर्जी के विधानसभा पहुंचने का रास्ता साफ माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव में भले ही ममता की पार्टी को जीत मिली हो, लेकिन वे खुद नंदीग्राम से चुनाव हार गई थीं। ममता को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी से हार का सामना करना पड़ा था। नियमानुसार, ऐसा व्यक्ति जो मंत्री या मुख्यमंत्री बनने के दौरान सदन का सदस्य नहीं है, उसे 6 महीने में चुनाव जीतना होगा। ममता के लिए टीएमसी विधायक शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने भवानीपुर सीट खाली भी कर दी थी। ममता इस सीट से दो बार विधायक भी बन चुकी हैं।
ममता उपचुनाव में हार गईं तो क्या होगा?
उपचुनाव में हार के बाद ममता को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा। मुख्यमंत्री रहते नेता चुनाव नहीं हारते, ऐसा नहीं कह सकते हैं। 2009 में झारखंड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन तमाड़ सीट से उपचुनाव हार गए थे। इसके बाद झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था। संभवत: ये दूसरा मौका था, जब कोई CM उप-चुनाव में हारा था।
इससे पहले 1970 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिभुवन नारायण सिंह गोरखपुर की मणिराम सीट से उपचुनाव हारे थे। तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी त्रिभुवन नारायण के खिलाफ प्रचार करने पहुंची थीं। ये पहला मौका था जब किसी उपचुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने रैलियां की थीं। हार के बाद त्रिभुवन नारायण को पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।