मोदी की सुरक्षा में पलीता: क्या है SPG एक्ट, बढ़ सकती है पंजाब DGP की मुश्किल?

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Pooja Kumari
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मोदी की सुरक्षा में पलीता: क्या है SPG एक्ट, बढ़ सकती है पंजाब DGP की मुश्किल?

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सुरक्षा में चूक (Security Lapse) मामले में जांच शुरू हो गई है। इसमें 3 सदस्यीय हाईलेवल टीम पंजाब पहुंच भी चुकी है। उधर, पंजाब सरकार (Punjab Govt) ने भी इस केस में उच्चस्तरीय समिति का गठन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। इस घटना में सबसे ज्यादा सवाल पंजाब के डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय (DGP Siddhartha Chattopadhyay) पर सवाल उठ रहे हैं। बड़ा सवाल ये है कि क्या चट्टोपाध्याय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं?





पंजाब सरकार का तर्क: गृह मंत्रालय ने प्रधानमंत्री के काफिले के हाईवे पर रुकने को सुरक्षा में गंभीर चूक बताया। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी पहले हेलिकॉप्टर से आने वाले थे, लेकिन ऐन वक्त में सड़क से आए, इसलिए ये घटना हुई।





DGP पर कार्रवाई हो सकती है?: 7 जनवरी को गृह मंत्रालय की टीम फिरोजपुर पहुंची। ये टीम उस जगह भी गई, जहां मोदी का काफिला (carcade) 20 मिनट तक रुका रहा था। इसी जगह पर फिरोजपुर के SSP और DIG को पूछताछ के लिए बुलाया गया। साथ ही DGP को भी तलब किया गया।  





संविधान के मुताबिक, ऑल इंडिया सर्विस के अफसर केंद्र सरकार के अधीन होते हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार कार्रवाई कर सकती है। इतना ही नहीं, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एक्ट (SPG Act) में भी लिखा है कि प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान SPG को मदद करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। SPG एक्ट की धारा 14 के तहत, 'केंद्र सरकार या राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन से जुड़े हर मंत्रालय और विभाग, हर स्थानीय प्रशासन या मिलिट्री अथॉरिटी की ये जिम्मेदारी बनती है कि जरूरत पड़ने पर वो ग्रुप के डायरेक्टर या किसी भी सदस्य की मदद करेंगे।' 





पंजाब पुलिस पर सवालिया निशान?







  • पहली वजहः प्रोटोकॉल के तहत राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव को प्रधानमंत्री के काफिले के साथ रहना जरूरी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि ये दोनों ही उस वक्त काफिले में नहीं थे।



  • दूसरी वजहः गृह मंत्रालय ने बताया है कि डीजीपी की ओर से रूट क्लीयर होने का ग्रीन सिग्नल मिला था, उसके बाद ही प्रधानमंत्री सड़क के रास्ते रवाना हुए थे, लेकिन आगे सड़क को प्रदर्शनकारियों ने जाम कर रखा था।


  • तीसरी वजह: प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले पूरा प्लान तैयार हो जाता है। हर जगह से पीएम को सुरक्षित निकालने के लिए कंटिंजेंसी (आपात) प्लान भी होता है। एक वैकल्पिक रास्ता भी तय होता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं था।


  • चौथी वजहः अगर प्रदर्शनकारियों ने रास्ता ब्लॉक कर दिया था तो उन्हें हटाया क्यों नहीं गया? पीएम का काफिला फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक फंसा था। इतनी देर में अतिरिक्त फोर्स क्यों नहीं बुलाई गई?


  • पांचवीं वजह: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पुलिसवाले खुद प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रहे थे।






  • ये था मामला: प्रधानमंत्री मोदी 5 जनवरी को पंजाब के फिरोजपुर में रैली करने जा रहे थे। उससे पहले उन्हें फिरोजपुर के हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक (National Martyr Memorial) जाना था। गृह मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री ने 20 मिनट तक एयरपोर्ट पर मौसम साफ होने का इंतजार किया, लेकिन उसके बाद वे सड़क के रास्ते रवाना हो गए। रास्ते में ही शहीद स्मारक से 30 किमी दूर फ्लाईओवर पर उनका काफिला (Convay) फंस गया। फ्लाईओवर के एक ओर किसान प्रदर्शनकारी रास्ता रोककर खड़े थे। 20 मिनट तक मोदी फ्लाईओवर पर ही रहे. उसके बाद रैली रद्द कर बठिंडा एयरपोर्ट लौट आए। 



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