भागवत की दो टूक: 47 के बाद से सावरकर को बदनाम किया जा रहा, अब विवेकानंद की बारी

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भागवत की दो टूक: 47 के बाद से सावरकर को बदनाम किया जा रहा, अब विवेकानंद की बारी

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर (Vir Savarkar) विरोधी विचारों पर निशाना साधा। 12 अक्टूबर को भागवत ने कांग्रेस समेत उन लोगों पर हमला बोला जो सावरकर को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा- वीर सावरकर को लेकर आज के भारत में जानकारी का अभाव है, सावरकर को बदनाम करने की कोशिश की गई। आजादी के बाद से ही सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चली। इसके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद को बदनाम करने का नंबर लगेगा, क्योंकि सावरकर इन तीनों का असर था।

अशफाक उल्ला खान जैसों का नाम गूंजे

भागवत ने ये भी कहा कि सैयद अहमद (Sayyad Ahmad  Khan) को मुस्लिम असंतोष (Muslim Unrest) का जनक कहा जाता है। इतिहास में दारा शिकोह, अकबर हुए पर औरंगजेब भी हुए, जिन्होंने चक्का उल्टा घुमाया। अशफाक उल्ला खान (Asfaq Ullah Khan) ने कहा था कि मरने के बाद अगला जन्म भारत में लूंगा। ऐसे लोगों के नाम गूंजने चाहिए। भागवत ये बातें दिल्ली में सावरकर पर लिखी एक किताब के विमोचन दौरान कहीं।

सब जोर से बोलते तो विभाजन नहीं होता

संघ प्रमुख ये भी बोले कि भारतीय भाषा की परंपरा के अर्थ में धर्म का अर्थ जोड़ने वाला है, उठाने वाला है, बिखरने ना देने वाला है। साधारण शब्दों में समझा जाए तो भारतीय धर्म मानवता है। जो भारत का है, उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के ही साथ जुड़ी है।

विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों का सम्मान वहां भी नहीं है। जो भारत का है, वो भारत का ही है। इतने वर्षों के बाद अब हम जब परिस्थितियों को देखते हैं तो ध्यान आता है कि जोर से बोलने की आवश्यकता तब थी, सब बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता।

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