GAUTAM BUDDHA NAGAR. देश के सबसे चर्चित निठारी कांड के 17 साल बाद शुक्रवार (20 अक्टूबर) को मोनिंदर सिंह पंढेर जेल रिहा हो गया। नोएडा की लुकसर जेल से वह वकील का हाथ पकड़कर बाहर निकाला। जब मीडियाकर्मियों ने उससे बात करने को कोशिश की, लेकिन उसनपे कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। वह हाथ जोड़ते हुए कार में बैठा और चला गया। उसकी रिहाई के दौरान जेल के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मोनिंदर को बरी कर दिया था। हालांकि सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में फांसी की सजा सुनाई है। जो फिलहाल बरकरार रहेगी।
उत्तराखंड की गाड़ी नंबर से निकला पंढेर
शुक्रवार सुबह मोनिंदर सिंह पंढेर का परवाना गौतमबुद्धनगर जिला जेल पहुंचा। फिर कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद उसे दोपहर में रिहा कर दिया है। अपने वकील के साथ मोनिंदर सिंह पंढेर जिस गाड़ी से गया है। उसका नंबर उत्तराखंड का है। दूसरी तरफ निठारी में D-5 नंबर की पंढेर की कोठी के पास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। कहा जा रहा है कि मोनिंदर चंढीगढ़ गया है, जहां उसका बेटा और परिवार के अन्य लोग रहते हैं।
जून 2023 में हुई थी शिफ्टिंग
जून 2023 में पंडेर को गाजियाबाद की डासना जेल से लुक्सर लाया गया था। बीमार होने के चलते उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी नरसंहार में सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा पाए सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त करार दिया था।
कोर्ट ने कुल 14 केस में किया था बरी
नोएडा के निठारी कांड में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर की अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली थी। गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने उन्हें पहले फांसी की सजा सुनाई थी। इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। निठारी मामले में टोटल 14 केस में हाईकोर्ट ने दोषियों को बरी कर दिया था। इसमें कोली को 12 और पंढेर को 2 मामलों में राहत मिली। हालांकि, कोली को सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में फांसी की सजा सुनाई है। जो फिलहाल बरकरार रहेगी। ये फैसला जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसएचए रिजवी की बेंच ने सुनाया है।
सभी मुकदमों में बरी हुआ मोनिंदर सिंह पंढेर
मोनिंदर सिंह पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने कहा, सेशन कोर्ट की फांसी की सजा के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी। दोनों मुकदमों में मोनिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी किया है। अब पंडेर के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है। कुल छह मुकदमों में सेशन ट्रायल थे। एक मुकदमा 2010 में हाईकोर्ट रद्द कर चुका है। तीन में सेशन कोर्ट ने बरी किया था। दो मुकदमों में फांसी हुई थी, जिनमें मोनिंदर सिंह पंढेर बरी हुए हैं।