New Delhi. आखिरकार मॉनसून ने केरल में रविवार यानी 29 मई को दस्तक दे दी। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने ये जानकारी दी है। मॉनसून अमूमन देश में 1 जून को एंट्री लेता है, लेकिन इस बार ये 2 दिन पहले ही आ गया। मौसम विभाग ने इस बार केरल में 27 मई को मॉनसून के दस्तक देने की संभावना जताई थी। मध्य प्रदेश में मॉनसून के 15 जून तक पहुंचने की संभावना है। भोपाल-इंदौर में यह 18 जून तक पहुंच सकता है। वहीं, राजस्थान में 20 जून तक आने की संभावना है। भोपाल के मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक, मॉनसून की रफ्तार एक हफ्ते तो धीमी रहेगी, लेकिन 6 से 10 जून के बीच मॉनसून फिर रिकवर होगा।
क्या है मॉनसून?
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में तापमान की वजह से पानी भाप बनकर बादलों के रूप में उत्तर भारत की ओर जाता है और बारिश कराता है। यही मॉनसूनी बारिश है। गर्मी के दिनों में जमीनी इलाकों की गर्म हवा ऊपर उठने लगती है, इस वजह से जमीनी इलाकों में लो प्रेशर एरिया बनने लगता है। इसके विपरीत समुद्र में हाई प्रेशर एरिया बनता है, क्योंकि जमीन के मुकाबले वहां ठंड ज्यादा होती है। समुद्र की ये हवा लो प्रेशर इलाकों यानी जमीन की तरफ बढ़ने लगती है। ये हवाएं अपने साथ समुद्र की नमी भी ले आती हैं। इन्हें ही मॉनसूनी हवाएं कहा जाता है।
भारत में ये हवाएं 2 दिशाओं से आती हैं। दक्षिण-पश्चिम (South West) और दक्षिण-पूर्व (South East)। हवाओं की दिशा के आधार पर ही दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिण-पूर्वी मॉनसून कहा जाता है। 15 सितंबर से मॉनसून भारत के उत्तर पश्चिम भागों से विदा लेना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक मानसून पूरी तरह विदा हो जाता है।
मॉनसून केवल भारत में एक्टिव नहीं होता
दुनिया की करीब 60% आबादी मॉनसून से होने वाली बारिश वाले इलाकों में रहती है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका जैसे महाद्वीप भी शामिल हैं। भारत में आने वाले मॉनसून से अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार समेत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश होती है।
मॉनसून को ऐसे मापा जाता है
पूरे देश में हुई औसत बारिश को लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है।
- LPA का 90% से लेकर 110% बीच हुई बारिश को सामान्य माना जाता है।