मुलायम परिवार हुआ एक: चाचा शिवपाल के घर पहुंचे अखिलेश; गठबंधन का ऐलान

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मुलायम परिवार हुआ एक: चाचा शिवपाल के घर पहुंचे अखिलेश; गठबंधन का ऐलान

लखनऊ. समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन हो गया है। सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात के बाद यह जानकारी दी है। अखिलेश चाचा से मिलने उनके घर पहुंचे थे। अखिलेश ने ट्विटर पर लिखा, प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।

सपा के कद्दावर नेता हैं शिवपाल

शिवपाल सिंह यादव पूर्व में अखिलेश यादव की सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री के रूप में काम करते रहे हैं। मुलायम सिंह की सरकार के वक्त से ही उन्हें समाजवादी पार्टी का एक कद्दावर चेहरा माना जाता है। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच दूरियां पनप गई थीं। शिवपाल ने इसके बाद अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था।

शिवपाल अभी समाजवादी पार्टी के ही विधायक हैं। उनकी पार्टी ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन हर जगह हार गई थी। इस हार में उन्हें अपना भविष्य नजर आने लगा था। उन्होंने 12 अक्टूबर से सामाजिक परिवर्तन रथयात्रा शुरू की। इसका मकसद सत्ता परिवर्तन बताया गया था। इस दौरान सत्ता परिवर्तन का तो पता नहीं शिवपाल सिंह यादव का हृदय परिवर्तन जरूर हो गया। उन्होंने पहले सपा से गठबंधन की पेशकश की। फिर सपा में अपनी पार्टी के विलय की बात शुरू कर दी। आखिरकार चाचा और भतीजे यूपी चुनाव से पहले साथ आ गए हैं। शिवपाल यादव ने हाल में कई बयानों में यह कहा था कि वह समाजवादी पार्टी में अपनी पार्टी के विलय के लिए भी तैयार हैं और एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की भी यही इच्छा है।

अन्य पार्टियों के लोग भी थाम रहे सपा का दामन

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी और संत कबीर नगर के खलीलाबाद क्षेत्र से भाजपा विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे ने सपा का दामन थाम लिया। इसके अलावा विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडे और पूर्व सांसद भीम शंकर तिवारी उर्फ कौशल तिवारी ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण की। साथ ही बसपा ने गत सोमवार को विधायक विनय शंकर तिवारी उनके बड़े भाई पूर्व सांसद कुशल तिवारी और रिश्तेदार गणेश शंकर पांडे को पार्टी विरोधी गतिविधियों और वरिष्ठ नेताओं से अनुचित व्यवहार करने के आरोप में निष्कासित कर दिया था।

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