दिल्ली. एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) को टाटा संस (Tata Sons) का एक्जीक्यूटिव चेयरमैन (Executive Chairman) बनाया गया है। वह इस पद के लिए दोबारा चुने गए हैं। उनका कार्यकाल पांच साल का होगा। उनके नाम का चयन टाटा संस के बोर्ड द्वारा किया गया है। टाटा संस के बोर्ड की आज यानी 11 फरवरी को मीटिंग हुई थी। इसी मीटिंग में ये फैसला किया गया। इस दौरान उनके पिछले पांच वर्षों के कामकाज की समीक्षा की गई और एन चंद्रशेखरन को फिर से पांच साल के लिए इस पद पर नियुक्ति दे दी गई। निदेशक मंडल की इस बैठक में रतन टाटा (Ratan Tata) विशेष आमंत्रित थे। उन्हीं की सिफारश पर यह निर्णय हुआ।
रतन टाटा ने नाम प्रपोज किया : रतन टाटा ने एन चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टाटा समूह की प्रगति और प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने सिफारिश की कि उनके कार्यकाल को और पांच साल की अवधि के लिए नवीनीकृत किया जाए। एक अधिकारी ने बताया कि रतन टाटा ने चंद्रशेखरन को पांच साल के लिए फिर से टाटा संस का एक्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाने की सिफारिश की। बोर्ड के सदस्यों ने उनके कामकाज की तारीफ की और एकमत से उनकी फिर से नियुक्ति के फैसले पर मुहर लगाई।
नियुक्ति पर ये बोले चंद्रशेखरन : अपनी नियुक्ति पर चंद्रशेखरन ने कहा कि उनके लिए पिछले पांच साल टाटा ग्रुप की अगुवाई करना एक शानदार अनुभव रहा और फिर से मौका दिए जाने से वह अभिभूत हैं। दोस्तों के बीच चंद्रा के नाम से मशहूर चंद्रशेखरन को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड में शामिल किया गया था। जनवरी 2017 में उन्हें चेयरमैन नियुक्त किया गया था और फरवरी 2017 में उन्होंने यह पद संभाला था। वह टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर और टीसीएस जैसी कंपनियों के बोर्ड में भी चेयरमैन हैं। चंद्रेशखरन का पहला कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है और उससे पहले ही उन्हें दूसरी बार इस पद नियुक्ति मिल गई है।
टाटा ग्रुप विवाद : चंद्रशेखरन को जब 2017 में पहली बार टाटा संस का चैयरमैन बनाया गया था, तो टाटा ग्रुप मुश्किल दौर से गुजर रहा था। साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया गया था। उनके और रतन टाटा के बीच खटपट चल रही थी। मिस्त्री ने इसके खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाया था। ऐसे में चंद्रशेखरन ने न केवल टाटा ग्रुप को संकट से उबारा बल्कि इसे नई ऊंचाई तक पहुंचाया। चंद्रशेखरन को टाटा समूह में काम करने का 34 साल का अनुभव है। 1988 में आईआईएम-कलकत्ता से एमबीए करने के बाद उन्होंने टाटा स्टील में नौकरी शुरू की थी। जब 2017 में उन्हें टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था तो वह देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस के प्रमुख थे।