प्रयागराज. महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में जेल भेजे जाने से पहले आनंद गिरि से करीब 27 घंटे तक पूछताछ चली। इस दौरान उसके चेहरे पर किसी तरह के पश्चाताप नहीं दिखा। पुलिस के ज्यादातर सवालों पर वे सिर्फ एक ही जवाब देते रहे कि मैं निर्दोष हूं। महंत की मौत के बाद आनंद गिरि को 20 सितंबर की रात ही हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया था। 21 सितंबर दोपहर 12 बजे के करीब उनसे पुलिस लाइन में पूछताछ शुरू हुई। आला अफसरों ने एक-एक कर उनसे सवाल किए। सूत्रों के मुताबिक, वह हर सवाल का शून्य भाव से जवाब देता रहा। आनंद गिरि को 22 सितंबर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेजा गया है।
हाईलेवल जांच करा लें, सच सामने आ जाएगा
सूत्रों का कहना है कि पूछताछ के दौरान आनंद ने मामले की उच्चस्तरीय (High Level) जांच की बात कही। ज्यादातर सवालों के जवाब पर उसका यही कहना था कि वह निर्दोष है और उसे फंसाया गया। एक अफसर ने जब उससे पूछा कि उसे फंसाने की साजिश कौन रच सकता है, तो जवाब दिया कि मामले की जांच करा ली जाए, सच्चाई सामने आ जाएगी।
खाना खाने से इनकार, सिर्फ पानी पिया
जानकारी के मुताबिक, पूछताछ के दौरान आनंद गिरि ने खाना खाने से इनकार कर दिया। जब उसे खाना दिया गया तो उसने खाने से मना कर दिया। इस दौरान वह केवल पानी पीकर रहा। आनंद ने 20 और 21 सितंबर को कुछ नहीं खाया। सूत्रों का यह भी कहना है कि खाने को लेकर उसने किसी अन्य चीज की डिमांड भी नहीं की।
गुरुजी का अंतिम दर्शन करा दीजिए
आनंद गिरि ने पूछताछ के दौरान अफसरों से नरेंद्र गिरि के अंतिम दर्शन की भी इच्छा जताई। हालांकि, पुलिस अफसरों ने उसे इसकी अनुमति नहीं दी। उसने कहा कि उस एक बार गुरु के अंतिम दर्शन करा दिए जाएं। आनंद गिरि के वकील विजय द्विवेदी ने भी एक दिन पहले यह मांग उठाई थी। उन्होंने कहा था कि उनके मुवक्किल अभी सिर्फ मामले में आरोपी हैं और जब तक कोर्ट फैसला न करे, किसी को दोषी कहना सही नहीं है। ऐसे में उन्हें अपने गुरु के अंतिम दर्शन की इजाजत देनी चाहिए।