New Delhi. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) 13 जून को प्रवर्तन निदेशालाय (Enforcement Directorate, ED) के दफ्तर पहुंचे। ED ने उन्हें समन दिया था। ये पूछताछ नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर थी। पहली बार में राहुल से 3 घंटे पूछताछ की गई। इसके बाद राहुल को लंच ब्रेक दिया गया। इसमें वे सर गंगाराम अस्पताल में एडमिट सोनिया गांधी से मिलने गए। लंच ब्रेक के बाद फिर साढ़े 5 घंटे की पूछताछ हुई।। राहुल से पूछताछ को लेकर कांग्रेस ने देशभर में प्रदर्शन किया, मार्च निकाला।
इससे पहले राहुल 13 जून की सुबह पूरे दमखम के साथ ED दफ्तर आए। ED के अफसरों ने उनसे 50 से ज्यादा सवाल किए। इससे पहले कांग्रेस ने इस कार्रवाई का जमकर विरोध किया। सुबह से पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली मे जगह-जगह राहुल के पोस्टर लगाए थे, जिस पर लिखा था- ये राहुल गांधी है, झुकेगा नहीं। देश के अन्य हिस्सों में पार्टी कार्यकर्ताओं ने धरना देकर प्रदर्शन किया।
पुलिस ने राहुल गांधी के साथ ED ऑफिस जा रहे नेताओं को हिरासत में ले लिया। इनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला समेत कई नेता शामिल थे।
प्रियंका कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचीं
राहुल के पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर बुलाए जाने को लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा ने सत्याग्रह मार्च निकाला। इस दौरान कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। जिन नेताओं को हिरासत में लिया गया, उनमें कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल भी थे। प्रियंका गांधी तुगलक रोड थाने में वेणुगोपाल और अन्य नेताओं से मिलने पहुंचीं। पुलिस की धक्का-मुक्की से वेणुगोपाल की तबीयत बिगड़ गई थी।
उधर, गुजरात के अहमदाबाद में राहुल गांधी के समर्थन में विरोध कर रहे कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने अपनी हिरासत में लिया। मुंबई पुलिस ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के समर्थन में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से ईडी कार्यालय तक विरोध मार्च निकालने वाले 250 से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
ना महात्मा गांधी डरे थे और ना उनके उत्तराधिकारी डरेंगे: सुरजेवाला
हिरासत में लिए जाने के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि गोडसे के वंशज एक बार फिर गांधी को डराने चले हैं, ना महात्मा गांधी डरे थे और ना उनके उत्तराधिकारी डरेंगे। अगर इस देश में अखबार के पत्रकारों की तनख्वाह देना, हाउस टैक्स देना, बिजली का बिल देना अपराध है तो हम ये अपराध बार-बार करेंगे। कायर मोदी सरकार हमें गिरफ्तार करे और आजीवन कारावास दे, अंग्रेज भी हारे थे और मोदी भी हारेगा।
ना महात्मा गांधी डरे थे और ना उनके उत्तराधिकारी डरेंगे: सुरजेवाला
हिरासत में लिए जाने के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि गोडसे के वंशज एक बार फिर गांधी को डराने चले हैं, ना महात्मा गांधी डरे थे और ना उनके उत्तराधिकारी डरेंगे। अगर इस देश में अखबार के पत्रकारों की तनख्वाह देना, हाउस टैक्स देना, बिजली का बिल देना अपराध है तो हम ये अपराध बार-बार करेंगे। कायर मोदी सरकार हमें गिरफ्तार करे और आजीवन कारावास दे, अंग्रेज भी हारे थे और मोदी भी हारेगा।
ED मशीनगन, जिसका बारूद कभी खत्म नहीं होता
नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी को पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर कांग्रेस ने दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेताओं ने ईडी को ऐसी 'मशीन गन' बताया, जिसका बारूद कभी खत्म नहीं होता। कांग्रेस की बात करें तो ईडी के नोटिसों की भरमार ने इन नेताओं को 'ED मामलों का विशेषज्ञ' बना दिया है। कार्ति चिदंबरम ने कहा, मुझे ईडी के नोटिस सबसे ज्यादा बार मिले हैं। मैं ईडी के मामलों में कांग्रेस का विशेषज्ञ हूं। दिग्विजय सिंह बोले- मोदी जब डरते हैं तो ईडी को आगे कर देते हैं।
समझें पूरा मामला, 6 पॉइंट्स
1. क्या है नेशनल हेराल्ड?
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब AJL के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबार प्रकाशित हुए।
भले ही AJL के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इस पर मालिकाना हक कभी भी उनका नहीं रहा। क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब AJL ने फैसला किया कि अब अखबारों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी।
2. यहां से शुरू हुआ विवाद
2010 में AJL के 1057 शेयरहोल्डर्स थे। घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड यानी YIL को ट्रांसफर कर दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना उसी साल यानी 2010 में हुई थी। इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए। कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई। शेष 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (दोनों का निधन हो चुका है) के पास थी।
शेयर ट्रांसफर होते ही AJL के शेयरहोल्डर्स सामने आ गए। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब YIL ने AJL का 'अधिग्रहण' किया था तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था। यही नहीं, शेयर ट्रांसफर करने से पहले शेयर होल्डर्स से सहमति भी नहीं ली गई। बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर AJL में शेयर था।
3. फिर केस दर्ज
2012 में बीजेपी नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी।
स्वामी ने दावा किया कि YIL ने 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति और फायदा लेने के लिए "गलत" तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को "अधिग्रहित" किया।
स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि YIL ने 90.25 करोड़ रुपए की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो AJL पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि AJL को दिया गया कर्ज "अवैध" था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।
4. ईडी की जांच, कोर्ट से सोनिया-राहुल को जमानत
2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार आई तो इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शुरू की। मामले में सोनिया और राहुल गांधी पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी थी। ऐसे में दोनों कोर्ट पहुंच गए। 19 दिसंबर, 2015 को निचली अदालत ने इस मामले में दोनों को जमानत दे दी थी। 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार करते हुए मामले के सभी पांच आरोपियों (सोनिया, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस और सुमन दुबे) को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी थी।
5. सरकार की कार्रवाई भी तय
2018 में केंद्र सरकार ने 56 साल पुराने स्थायी पट्टे को खत्म करने का फैसला लिया। इसके अलावा हेराल्ड हाउस परिसर से एजेएल को इस आधार पर बेदखल करने का फैसला किया कि एजेएल कोई प्रिंटिंग या पब्लिकेशन गतिविधि नहीं कर रहा था, जबकि इसी काम के लिए बिल्डिंग को 1962 में आवंटित किया गया था। हालांकि, 5 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अगली सूचना तक सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों का निष्कासन) अधिनियम, 1971 के तहत एजेएल के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दे दिया। अब इसी मामले में ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूछताछ के लिए तलब किया है।
6. क्या गिरफ्तार हो सकते हैं राहुल गांधी?
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने कहा, 'नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों जमानत पर बाहर हैं। ऐसे में पूछताछ के दौरान अगर ईडी को लगता है कि राहुल जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं तो वह उन्हें हिरासत में ले सकती है। इसके बाद राहुल को कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां से तय होगा कि उन्हें ईडी की कस्टडी में भेजना है या न्यायिक हिरासत में।'