नई दिल्ली. देश आज यानी 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था। तब कटक, बंगाल का ही हिस्सा था। वे पढ़ाई में बचपन से ब्रिलिएंट थे और इंडियन सिविल सर्विस यानी ICS में चौथे नंबर पर रहे थे। उन्होंने 1920 में आईसीएस का एग्जाम दिया था और उस वक्त इसकी सिर्फ 6 पोस्ट थीं। सुभाष ने आजादी की लड़ाई अपने तरीके से लड़ी। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया। हिटलर से मिले। जर्मनी-जापान की मदद से भारत की अंग्रेजी हुकूमत पर हमला भी बोला। नेताजी की निजी जिंदगी भी काफी दिलचस्प थी। बोस ने अपनी सेक्रेटरी एमिली से लव मैरिज की थी, जो ऑस्ट्रिया की रहने वाली थीं। 1945 में एक विमान हादसे में सुभाष का निधन हो गया। हालांकि, उनकी मौत आज भी रहस्य बनी हुई है। आइए, इसके बारे में जानते हैं...
निधन को लेकर दावे: बात 18 अगस्त 1945 की है। जापान सेकंड वर्ल्ड वॉर हार चुका था। अंग्रेज नेताजी के पीछे पड़े थे। इसे देखते हुए उन्होंने रूस से मदद मांगने का मन बनाया। 18 अगस्त 1945 को उन्होंने मंचूरिया की तरफ उड़ान भरी। इसके बाद किसी को फिर वो दिखाई नहीं दिए।
5 दिन बाद टोक्यो रेडियो ने जानकारी दी कि नेताजी जिस विमान से जा रहे थे, वो ताइहोकू हवाई अड्डे (ताइवान) के पास क्रैश हो गया। इस हादसे में नेताजी बुरी तरह से जल गए। ताइहोकू सैनिक अस्पताल में उनका निधन हो गया। कुछ ही दिन बार जापान सरकार ने फिर कहा कि ताइवान में उस दिन कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं। इस बयान से संशय और बढ़ गया कि जब कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं तो नेताजी गए कहां? उनके साथ सवार बाकी लोग भी मारे गए। आज भी दावा है कि उनकी अस्थियां टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं।
जांच आयोग भी बने: आजाद भारत की सरकार ने 3 बार सुभाष की विमान दुर्घटना की जांच के आदेश दिए। पहले दोनों बार हादसे की वजह प्लेन क्रैश को बताया गया। 1999 में तीसरा आयोग मनोज कुमार मुखर्जी के नाम पर बना। इस आयोग की रिपोर्ट में ताइवान सरकार के हवाले से कहा गया कि 1945 में कोई प्लेन क्रैश की घटना ही नहीं हुई। इस प्लेन क्रैश का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि, सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था।
गुमनामी बाबा का रहस्य: नेताजी के निधन के बाद भी देश के कई इलाकों में उन्हें देखे जाने के दावे किए जाते रहे। फैजाबाद में गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ में उनको देखे जाने की खबरें आईं। छत्तीसगढ़ में ये मामला राज्य सरकार के पास गया, लेकिन सरकार ने मामले में दखलअंदाजी करने से मना कर दिया।
जिन गुमनामी बाबा के नेताजी होने का दावा किया जाता है, उनके निधन के बाद उनके पास से नेताजी के परिवार की तस्वीरें, पत्र-पत्रिकाओं में छपे नेताजी से जुड़े लेख, कई अहम लोगों के पत्र, नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच के लिए गठित शाहनवाज आयोग और खोसला आयोग की रिपोर्ट जैसी चीजें मिलीं।