भोपाल. आज यानी 23 जनवरी को देश सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। सुभाष का मध्य प्रदेश के जबलपुर से गहरा नाता रहा। आइए जानते हैं...
दो बार कैद रहे: सुभाष चंद्र बोस 1933 और 1934 के दौरान दो बार जबलपुर जेल में बंद रहे। अब जबलपुर के सेंट्रल जेल में मध्य प्रदेश का पहला नेताजी पर आधारित एक संग्रहालय (Museum) खुलने जा रहा है। यहां जेल में रहने के दौरान नेताजी की इस्तेमाल चीजों को सहेजकर रखा गया है। 23 जनवरी से म्यूजियम आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।
जबलपुर में ही कांग्रेस में पड़ी थी फूट: 1939 में जबलपुर के पास त्रिपुरी अधिवेशन हुआ था। इसमें कांग्रेस के कई नेता सुभाष चंद्र बोस को अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन गांधीजी पट्टाभि सीतारमैया (बाद में मध्य प्रदेश के पहले राज्यपाल बने) को अध्यक्ष बनाना चाहते थे। लिहाजा चुनाव होना तय हुआ। सुभाष जीत गए। गांधीजी ने कहा कि पट्टाभि की हार मेरी हार है। इसके बाद सुभाष ने कांग्रेस छोड़ दी और अपनी अलग पार्टी फॉरवर्ड ब्लॉक बना ली। हालांकि बाद में सुभाष ने जब आजाद हिंद फौज बनाई तो गांधीजी को रेडियो पर राष्ट्रपिता संबोधित कर उनसे आशीर्वाद लिया था।
जबलपुर में बना है त्रिपुरी स्मारक: शहर के तिलवाराघाट के ठीक सामने पहाड़ी पर बना है त्रिपुरी स्मारक। जबलपुर का कमानिया गेट भी त्रिपुरी अधिवेशन की याद में बनाया गया था।
फौलादी इरादों वाले थे सुभाष: इतिहासकार बताते हैं कि नेताजी 104° बुखार होने के बावजूद जबलपुर आए थे और त्रिपुरी अधिवेशन में शामिल देशभक्तों का हौसला बढ़ाया था। कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नेताजी को मिली शानदार जीत का इजहार भी जबलपुर में शानदार अंदाज में किया था। कमानिया गेट के पास से 52 हाथियों के रथ पर उनका विजयी जुलूस निकाला गया था। बुखार होने के कारण सुभाष जुलूस में शामिल नहीं हुए थे, उनकी फोटो रखी गई थी। उनकी फोटो देखने के लिए ही हजारों लोग उमड़ पड़े थे।