DELHI: 340 कमरे वाले राष्ट्रपति भवन के गेस्ट हाउस में रहेगा नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आवास, जानिए क्या है इसकी वजह

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Atul Tiwari
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DELHI: 340 कमरे वाले राष्ट्रपति भवन के गेस्ट हाउस में रहेगा नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आवास, जानिए क्या है इसकी वजह

NEW DELHI. द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली। वे मुर्मू देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने आजाद भारत में जन्म लिया। उनसे पहले जितने भी राष्ट्रपति रहे, उनका जन्म देश की आजादी से पहले हुआ था। 64 साल की उम्र में राष्ट्रपति पद पर बैठने वाली मुर्मू सबसे कम उम्र की प्रेसिडेंट हैं। संथाल आदिवासी समाज में पैदा हुईं बेहद गरीब परिवार में पलने वाली द्रौपदी मुर्मू अब मैडम President कहलाएंगी। 





गेस्ट रूम में रहेंगी 





कभी आपने सोचा है कि 340 कमरों के मकान में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू किस कमरे में रहेंगी? आम नागरिकों की सोच यही है कि द्रौपदी मुर्मू के लिए राष्ट्रपति भवन का सबसे बड़ा और विशेष कमरा चुना गया होगा। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि 340 कमरों और विशाल परिसर वाले राष्ट्रपति भवन में द्रौपदी मुर्मू एक Guest Room में रहेंगी। अगले 5 साल द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन के गेस्ट रूम रहकर अपना कार्यकाल पूरा करेंगी।





देश के राष्ट्रपति का राष्ट्रपति भवन के गेस्ट हाउस में रहना एक परंपरा है और ये सिलसिला बहुत लंबे समय से चला आ रहा है आजादी से पहले राष्ट्रपति भवन को वाइसरॉय हाउस कहा जाता था। 15 अगस्त 1947 के बाद इसका नाम बदल राजभवन कर दिया गया था। इस राजभवन में रहने वाले पहले व्यक्ति थे देश के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी।





राजगोपालाचारी बहुत विनम्र और जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति थे, इसलिए उन्हें वाइसरॉय का भव्य राजसी कमरा रास नहीं आया। तब उन्होंने गेस्ट हाउस के कमरे को रहने के लिए चुना था। इसे Family wing कहा जाता है। 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने। उन्हीं के कार्यकाल में राजभवन का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन हो गया। राष्ट्रपति भवन में जिस कमरे में राजगोपालाचारी रहते थे, डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भी उसी कमरे में रहने का फैसला किया। तब से लेकर अब तक देश के सभी राष्ट्रपति इसी परंपरा को निभा रहे हैं।





मुर्मू के संबोधन की 4 बातें जो आपको उम्मीद और प्रेरणा से भर देंगी





1. मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी।





2. मैं जनजातीय समाज से हूं, और वार्ड काउंसिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला। यह लोकतंत्र की जननी भारत वर्ष की महानता है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।





3. राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।





4. ये मेरे लिए संतोष की बात है कि जो सदियों तक वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वो गरीब, पिछड़े , दलित और आदिवासी मुझे ही अपना प्रतिबिंब देख सकते हैं। मेरे इस निर्वाचन में में गरीब का आशीर्वाद शामिल है, बेटियों के सपने की झलक है।



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