Varanasi. जम्मू-कश्मीर हमेशा सुर्खियों में रहता आया है। अब कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने कश्मीर के धार्मिक विकास को लेकर एक ब्लू प्रिंट तैयार किया है। इसमें कहा है कि तिब्बतियों की तरह ही कश्मीरी पंडितों के लिए हिमाचल में एक कश्मीर महानगर बनाया जाए, जहां कश्मीरी शैव और शाक्त दर्शनों पर रिसर्च होगा। मंगलवार (3 अक्टूबर) को शंकराचार्य ने बताया कि कश्मीर के आध्यात्मिक विकास को लेकर विजयादशमी (दशहरा) से महाशिवरात्रि तक कश्मीर के सभी मंदिरों में वैदिक अनुष्ठान कराए जाएंगे। इसमें ऋग्वेद संहिता और चतुर्वेद पारायण के पाठ सहित सूर्य नमस्कार भी कराया जाएगा। कश्मीर में हजारों धर्म अनुष्ठान, विश्व शांति यज्ञ भी कराए जाएंगे। इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है।
कश्मीर विकासाय - प्रथम चरण : 18 बिंदुओं का डॉक्यूमेंट तैयार
कश्मीर और कश्मीरियों के विकास के लिए 18 बिंदुओं का डॉक्यूमेंट तैयार किया है, जिसे शंकराचार्य ने वाराणसी आए देशभर के विद्वानों और संतों के साथ मिलकर बनाया है। इसको कश्मीरी पंडितों के साथ ही करीब 1000 लोगों में बांटा गया है। इस डॉक्यूमेंट को कश्मीर विकासाय : प्रथम चरण नाम दिया गया है।
हर महीने की कृष्ण चतुर्थी को गणपति की पूजा होगी
शंकराचार्य ने कहा, कश्मीर भारत का ऐतिहासिक तीर्थ और पर्यटन क्षेत्र के साथ ही भारत की ज्ञान भूमि है। यहां हर महीने की कृष्ण चतुर्थी को गणपति की पूजा होगी। जो पांच महीने तक की जाएगी। जम्मू-कश्मीर के अलावा नई दिल्ली में जहां कश्मीरी पंडित रहते हैं, वहां भी यह पूजा होगी। यह पूजा तिरुपति मंदिर, कांची पीठ और कश्मीर के पंडितों द्वारा ही कराई जाएगी। हर कश्मीरी पंडित को इसे करना है, जिससे कश्मीर का विकास हो सके।