‘आयुष्मान’ में अब मानसिक रोगों का भी होगा इलाज, एनएचआरसी ने केंद्र और राज्य सरकारों को जारी की एडवाइजरी

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Pratibha Rana
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‘आयुष्मान’ में अब मानसिक रोगों का भी होगा इलाज, एनएचआरसी ने केंद्र और राज्य सरकारों को जारी की एडवाइजरी

New Delhi. आयुष्मान भारत योजना में अब इलाज का दायरा बढ़ रहा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मानसिक रोगियों के इलाज की समुचित व्यवस्था पर जोर देते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को मानसिक स्वास्थ्य पर एडवाइजरी जारी की है। आयोग के महासचिव भरत लाल ने कहा- आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मानसिक मानसिक विकारों के उपचार तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए आयुष्मान भारत योजना में मानसिक बीमारी को शामिल करना आवश्यक है।

मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड गठित करने पर जोर

आयोग ने सभी राज्यों से कहा है कि वे मेंटल हेल्थ कानून के तहत मेंटल हेल्थ अथारिटी और मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड गठित करने व नियमों नियामकों को तैयार करने को प्राथमिकता दें। आयोग ने केंद्र और राज्यों से एडवाइजरी में दिए गए सुझावों को पूर्ण रूप से लागू करके दो महीने में एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल कर आयोग को सूचित करने को कहा है।

आयोग ने अपने ए़डवाइजरी में क्या कहा?

एनएचआरसी ने कहा, मानसिक स्वास्थ्य किसी भी व्यक्ति के सार्थक और उत्पादक जीवन की नीव है। हालांकि, मानसिक रोगी को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 होने के बावजूद जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन चिंता का विषय बना हुआ है।

सात प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित

एडवाइजरी में मानसिक रोग ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों का सात प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिनमें मौजूदा कानूनों और नीतियों का कार्यान्वयन, बुनियादी ढांचा और सुविधाएं, मानव संसाधन, सामुदायिक सेवाएं, ठीक हो चुके रोगियों का पुर्नवास, राज्य की सेवाएं और जन जागरूकता व संवेदीकरण शामिल है।

बीमा पालिसियों और योजनाओं में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल हो

एडवाइजरी में आयोग ने जो सिफारिशें की हैं उनमें कहा गया है कि बीमा पालिसियों और योजनाओं में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच और साम‌र्थ्य बढ़ाने के लिए मानसिक बीमारियों का इलाज शामिल होना चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर आबादी के लिए मानसिक विकारों के इलाज तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए आयुष्मान भारत योजना में मानसिक बीमारी को शामिल करना आवश्यक है।

रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों को बैंक खाते खोलने पर जोर

रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों को उनके बैंक खाते खोलने के लिए उचित सहायता प्रदान की जानी चाहिए और उन्हें विभिन्न लाभों और सामाजिक योजनाओं के प्रति जागरूक करते हुए सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। रोगियों को आधार कार्ड प्रदान करने और उनके विवरण को अनिवार्य रूप से अपडेट करने के लिए प्रतिष्ठानों में शिविर आयोजित किए जा सकते हैं।

48 घंटों के भीतर एनएचआरसी को दें मौतों की सूचना

एडवाइजरी में कहा, मानसिक रोगी के स्वस्थ होने के बाद उसे एक दिन के लिए भी प्रतिष्ठानों यानी मानसिक रोगियों के अस्पताल में नहीं रखा जाना चाहिए। एडवाइजरी में एक और महत्वपूर्ण सिफारिश की गई है कि अस्पताल, संस्थान, आश्रय गृह, साझा आवास , पुनर्वास गृह, दया घर आदि परिसर में होने वाली सभी मौतों की सूचना 24 घंटे के अंदर स्थानीय पुलिस को और मृत्यु के 48 घंटों के भीतर एनएचआरसी को दी जानी चाहिए।

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