SRINAGAR: जम्मू कश्मीर में अब बाहरी भी सकेंगे मतदान, चुनाव आयोग का बड़ा ऐलान, सियासत गर्माई

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Vivek Sharma
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SRINAGAR: जम्मू कश्मीर में अब बाहरी भी सकेंगे मतदान, चुनाव आयोग का बड़ा ऐलान, सियासत गर्माई

Srinagar. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव (Jammu and Kashmir Assembly Election) को मद्देनजर चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है जिसको लेकर अब सियासत भी शुरु हो गई है। धारा 370 हटने के बाद राज्य में सियासी पारा एक बार फिर गर्म होने की उम्मीद है। दरअसल राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार(Chief Electoral Officer Hridesh Kumar) ने कहा कि जो गैर कश्मीरी लोग राज्य में रह रहे हैं, वे अपना नाम वोटर लिस्ट(voter list) में शामिल कराकर वोट डाल सकते हैं।  इसके लिए उन्हें निवास प्रमाण पत्र(Address proof) की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाबलों(security forces) के जवान भी वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल करा सकते हैं। हृदेश कुमार ने बताया कि जम्मू कश्मीर में इस बार करीब 25 लाख नए वोटरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि कर्मचारी, छात्र, मजदूर और कोई भी गैर स्थानीय जो कश्मीर में रह रहा है, वह अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल करा सकता है। उन्होंने बताया कि वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के लिए स्थानीय निवास प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों के  जवान भी वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराकर वोटिंग कर सकते हैं।  





बड़े पैमाने पर वोटर बढ़ने की उम्मीद



हृदेश कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची में विशेष संशोधन हो रहा है।  ऐसे में उम्मीद है कि इस बार बड़े पैमाने पर बदलाव होगा।  इतना ही नहीं तीन साल में बड़ी संख्या में 18 साल या उससे अधिक उम्र के हो गए हैं।





अभी 76 लाख वोटर





उन्होंने बताया कि 15 सितंबर से वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. यह 25 अक्टूबर तक चलेगी। हालांकि, 10 नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा. हृदेश कुमार के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 98 लाख लोग हैं, जबकि अंतिम मतदाता सूची के अनुसार  कुल संख्या 76 लाख है





महबूबा मुफ्ती केंद्र सरकार पर बरसीं, बोलीं-चोर दरवाजे से चुनाव जीतना चाहती है BJP





पीडीपी चीफ और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.  उन्होंने ट्वीट किया, जम्मू कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने संबंधी भारत सरकार का फैसला, पहले बीजेपी को लाभ पहुंचाने और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने का फैसला चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए है. असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करके जम्मू-कश्मीर पर शासन जारी रखना है। इसी आदेश पर अपना विरोध दर्ज करते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही हैं. उन्होंने इस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है। बीजेपी के लिए जम्मू-कश्मीर एक प्रयोगशाला बन गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान करने के लिए 25 लाख बाहरी वोर्टस को शामिल किया गया है। बीजेपी इजराइल  और फासी जर्मनी की नीति कश्मीर में लाना चाहती है। बीजेपी संविधान को खत्म कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी पैसा और ईडी के बल पर सरकार बनाती है। किसी स्थानीय फासीवादी को बीजेपी जम्मू-कश्मीर का शासक बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि चोर दरवाजे से बीजेपी जम्मू- कश्मीर  का चुनाव जीतना चाहती है. इस तरह से तो पूरे मुल्क में लोकतंत्र खतरे है। पार्टी चुनाव में जीत पाने के लिए evm और पैसे का इस्तेमाल कर रही है। 





उमर अब्दुल्ला भी भड़के





जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर पूछा कि क्या बीजेपी म्मू-कश्मीर के वास्तविक वोटरों को लेकर इतनी असुरक्षा महसूस कर रहे हैं कि उसे चुनाव जीतने के लिए अस्थायी वोटरों को आयात करने की जरूरत है उन्होंने कहा, जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने वोट का प्रयोग करने का मौका दिया जाएगा तो इनमें से कोई भी चीज बीजेपी के काम में नहीं आएगी





बीजेपी ने किया पलटवार 



वहीं दूसरी तरफ महबूबा मुफ्ती पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने कहा कि महबूबा मुफ्ती किसी और युग में जी रही हैं। दरअसल पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस की दुकानदारी खत्म हो गई है। इसलिए वो इस तरह की बातें कर रही हैं। बीजेपी ने कहा कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस पाकिस्तानी वोटर को शामिल करते थे।





अब तक क्या था?





आर्टिकल 370 और 35A ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया था। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटा दिया था. साथ ही आर्टिकल 35A को भी खत्म कर दिया था. इससे अब वहां के लोगों को भी वो सारे अधिकार मिल गए हैं, जो देश के दूसरे हिस्सों में रह रहे लोगों के पास थे।आर्टिकल 35A के तहत, जम्मू-कश्मीर के गैर-नागरिक न तो यहां स्थायी रूप से बस सकते थे, न संपत्ति खरीद सकते थे। और न ही पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव में वोट डाल सकते थे. उन्हें सिर्फ लोकसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार था. 



हिरदेश कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर का वोटर बनने के लिए अब मूल निवासी प्रमाण पत्र होना जरूरी नहीं है. कोई भी कर्मचारी, छात्र, मजदूर या कोई भी  व्यक्ति जो दूसरे राज्य से आकर जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं, वो अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वा सकते हैं।





जम्मू-कश्मीर में क्या बदल गया है?





370 हटने के साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग कर दिया था. अब दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश है जम्मू-कश्मीर में विधानसभा है, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए परिसीमन आयोग ने 5 मई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इसे लागू कर दिया गया है. इससे जम्मू-कश्मीर में 7 विधानसभा सीटें बढ़ गईं हैं. इनमें जम्मू में 6 और कश्मीर में एक सीट बढ़ गई है।जम्मू-कश्मीर में अब तक कुल 111 विधानसभा सीटें होती थीं ।इनमें से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में थीं। वहां चुनाव नहीं कराए जा सकते। इस तरह कुल 87 सीटें होती थीं, लेकिन लद्दाख के अलग होने के बाद 83 सीटें बची थीं। 



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