DELHI. पाकिस्तान के पत्रकार नुसरत मिर्जा ने कुछ दिनों पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि वे भारत के उपराष्ट्रपति से मिले थे। उन्होंने दावा किया था कि तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से उनकी पांच बार मुलाकात हुई थी। मुलाकात में उन्हें जो भी जानकारी मिली थी उसे मिर्जा ने आईएसआई को सौंप दिया था। मिर्जा के इस दावे से भारत की राजनीति में भूचाल आ गया। बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने बकायदा प्रेस वार्ता करके अंसारी पर देश धोखा देने के आरोप लगाए थे।
वहीं अब पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने अपने ही बयान से पलट गए हैं। एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, वे कभी भी हामिद अंसारी से निजी तौर पर नहीं मिले। वहीं आईएसआई को जानकारी सौंपने के मामले में उन्होंने दावा किया कि, जो दस्तावेज उन्होंने ISI को दिए थे, उनका भारत से कोई संबंध नहीं था। वो दस्तावेज 2010 में आतंकवाद पर हुए एक सेमिनार में मौजूद पूर्व सोवियत जासूस के आरोपों से जुड़े थे।
बेवजह खड़ा किया विवाद
नुसरत मिर्जा ने कहा कि, उनके बयान के बाद बेवजह विवाद खड़ा किया गया। मैं 80 साल का सीनियर पत्रकार हूं और मुझे जासूस बना दिया गया। मेरी जिंदगी खुली किताब की तरह है। उन्हें समस्या हामिद अंसारी से है, वो हामिद अंसारी को निशाना बनाने चाहते थे और उनके चक्कर में मुझे भी निशाना बना दिया।
अंसारी से नहीं हुई निजी मुलाकात
हामिद अंसारी से मुलाकात को लेकर नुसरत मिर्जा बोले कि, हामिद अंसारी से मेरी कभी निजी मुलाकात नहीं हुई। मैंने एक सेमिनार में हिस्सा लिया था। हामिद अंसारी उसमें चीफ गेस्ट थे। मैं वहां स्पीकर था। उसके पुराने वीडियो निकालकर आप देख सकते हैं। इसके बाद कराची में भी एक सेमिनार किया था। हिंदुस्तान से कई लोगों को बुलाया था। उसमें पत्रकार भी थे। जिसको लेकर अब विवाद हो रहा है, तो मैं क्या कर सकता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि, मैं तीन बातें साफ करता हूं- न ही मैं व्यक्तिगत तौर पर हामिद अंसारी से मिला, न मेरी उनसे किसी तरह की कोई बात हुई। जब मैं आया था तब मेरी उनसे सिर्फ दुआ सलाम हुई थी। उस दौरे पर मनमोहन सिंह जी से जरूर मेरी मुलाकात हुई थी।
बीजेपी बना रही निशाना
मिर्जा ने कहा कि, हामिद अंसारी एक मुसलमान हैं और दूसरी बात ये है कि वो कांग्रेसी हैं। इसीलिए विवाद बनाया जा रहा है। BJP उन्हें निशाना बना रही है। ये सब भारत की पॉवर पॉलिटिक्स का हिस्सा है। एक गैर जरूरी विवाद खड़ा किया गया।
मैंने जो भी दस्तावेज आईएसआई को देने की बात की थी, उन दस्तावेजों का भारत से कोई संबंध ही नहीं था। मैं जब भारत पहुंचा तो पाकिस्तान के दूतावास से मुझे सिम कार्ड दिया गया था। ये बताया गया था कि मुझ पर नजर रखी जा रही है। मैंने कहा कि रखने दो नजर। मैं दोस्त बनाने आया हूं। दोस्त बनाकर चला जाऊंगा।
वाजपेयी का किया था स्वागत
मिर्जा ने कहा कि, हिंदुस्तान में लोग समझ रहे होंगे कि कोई गैर जिम्मेदार पत्रकार है, जो कुछ भी बोल रहा है। वे लोग जानते नहीं हैं कि मैं कैसा पत्रकार रहा हूं। जब वाजपेयी जी वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान आए थे, तब मैं उनका स्वागत करने वाले लोगों में शामिल था, क्योंकि तब मैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का सलाहकार था।
उन्होंने आगे कहा कि मैं सिर्फ पत्रकार ही नहीं हूं, राजनीति में भी रहा हूं। इस तरह के विवादों का हम जैसे लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। लोग मुझे गालियां दे रहे हैं, देते रहें। मुझे क्या फर्क पड़ता है। मुझे तो इस विवाद पर कुछ महसूस ही नहीं हो रहा है। अगर लोग बेवजह पागल हो रहे हैं तो उस पर मैं क्या कर सकता हूं, मैं तो बस हंस ही सकता हूं।