DELHI: 12 साल की उम्र में एक कोच ने प्रतिभा पहचानी, 86 के एशियन गेम्स में 4 गोल्ड जीते, उड़न परी कहलाईं; क्या नहीं बन रही बायोपिक

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The Sootr CG
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DELHI: 12 साल की उम्र में एक कोच ने प्रतिभा पहचानी, 86 के एशियन गेम्स में 4 गोल्ड जीते, उड़न परी कहलाईं; क्या नहीं बन रही बायोपिक

DELHI. पय्योली एक्सप्रेस के नाम से प्रचलित पी टी ऊषा 27 जून को 58 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। भारत के ट्रैक एंड फील्ड के इतिहास में महिला वर्ग में पीटी ऊषा का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। 80s और 90s में उन्होंने अपने शानदार खेल से देश का नाम रोशन किया। केरल स्थित कोझिकोड के पय्योली गांव में 27 जून 1964 को पी टी ऊषा का जन्म हुआ। गरीब परिवार में जन्मी पी टी ऊषा को एथलीट बनने में बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। लेकिन सभी मुश्किलों पार कर वे एक बेहतरीन रनर (Athelete) बनीं और देश का नाम रोशन किया।





बेहतरीन प्रदर्शन भी कम





1980 में 16 साल की पीटी उषा ने मॉस्को (Moscow) में समर ओलंपिक (Summer olympic) में हिस्सा लिया था। चार साल बाद ओलंपिक खेल के फाइनल (Olympic finals) में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं। लेकिन थोड़े से फासले से ऊषा ओलंपिक का मेडल जीतने से चूक गईं। 1984 के लॉस एंजेलेस ओलंपिक (Los Angeles Olympic) में महिलाओं की 400 मीटर की बाधा दौड़ (Obstacle race) का वीडियो आज भी लोगों को बहुत पसंद आता है। एशियाई रिकॉर्ड को अपने नाम करने वाली पी टी को लॉस एंजेलेस ओलंपिक के दौरान ज्यादा प्रचलित नहीं थीं। यह एक बड़ा मौका था मेडल अपने नाम करने का और दुनिया में अपनी पहचान बनाने का। 





12 साल की उम्र में कोच ने पहचानी प्रतिभा





पूर्व वायु सैनिक नांबियार ने 1968 में कोचिंग का डिप्लोमा किया और 1971 में केरल खेल परिषद से जुड़े। नांबियार ने कोच के रूप में अपने कार्यकाल में 12 साल की ऊषा की प्रतिभा पहचानी थी। ऊषा ने 1977 में एक चयन ट्रायल में दौड़ जीती थी, जिसके बाद नांबियार ने उन्हें ट्रेन किया था।  तेज रफतार वाली ऊषा सहित नांबियार ने कई अंतरराष्ट्रीय एथलीट तैयार किए। 





पी टी ऊषा की उप्लब्धियां





1980: मास्को ओलम्पिक खेलों में भाग लिया



कराची अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में 4 स्वर्ण पदक (Gold medal) जीते।





1981: पुणे अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में 2 स्वर्ण पदक (Gold medal) अपने नाम किए।



हिसार अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में 1 गोल्ड और लुधियाना अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में 2 स्वर्ण पदक (Gold medal) जीते।





1982: विश्व कनिष्ठ प्रतियोगिता, सियोल (Seoul)में 1 स्वर्ण व एक रजत (Silver) जीता।



नई दिल्ली एशियाई खेलों में 2 रजत पदक (Silver) जीते।





1983: कुवैत (Quwait) में एशियाई दौड़कूद प्रतियोगिता में 1 स्वर्ण (Gold), 1 रजत  (Silver)पदक जीता।



नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में 2 स्वर्ण पदक (Gold) हासिल किए।





1984: इंगल्वुड संयुक्त राज्य (Inglewood united states) में, अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में  स्वर्ण पदक (Gold) प्राप्त किया।





1985: चेक गणराज्य में ओलोमोग में विश्व रेलवे खेलों में 2 स्वर्ण (Gold) व 2 रजत पदक (Gold) जीते, उन्हें सर्वोत्तम रेलवे खिलाड़ी (best railway player) घोषित किया गया। भारतीय रेल के इतिहास में यह पहला बार था जब किसी भारतीय स्त्री या पुरुष को यह सम्मान मिला।





कब बनेगी बायोपिक





बॉलीवुड में बायोपिक बनाने का रिवाज चलता आ रहा है। पिछले कुछ सलों में कई एथलीट्स के जीवन पर फिल्में बन चुकी हैं। इसी रिवाज के चलते पीटी ऊषा की बायोपिक बनने की भी न्यूज सामने आईं। पी टी ऊषा की बायोपिक बनने की चर्चा 2017 से ही शुरू हो गई थी। इस महान एथलीट के जीवन को पर्दे पर देखने की रिपोर्ट्स तो सामने आई लेकिन किन्हीं कारण वश फिल्म की शूटिंग टलती रही।





इटरव्यू में बताया बायोपिक के बारे में





2017 में हुई बायोपिक की अनाउंसमेंट के तीन साल बाद एक बाद फिर उनकी फिल्म चर्चा का विषय रही। 2020 में कोरोना महामारी के टाइम खुद पीटी ऊषा ने फिल्म की जानकारी दी। जून 2022 में एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि फिल्म की शूटिंग साल के अंत तक शुरू हो जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रतियोगिताएं शुरू हो जाती हैं तो उनके पास टाइम बहुत कम रहेगा। साथ ही यह भी कहा कि वे मदद करने की पूरी कोशिश करेंगी एक्टर को अपना किरदार समझाने में। हालांकि अब तक फिल्म की शूटिंग शुरू नहीं हुई। 



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