DELHI: PM Modi का राष्ट्र के नाम संबोधन, बोले- ये गांधी, बोस, अंबेडकर को याद करने का समय है, जानें उनके भाषण के अहम बिंदु

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The Sootr CG
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DELHI: PM Modi का राष्ट्र के नाम संबोधन, बोले- ये गांधी, बोस, अंबेडकर को याद करने का समय है, जानें उनके भाषण के अहम बिंदु

Delhi. पीएम मोदी(PM Modi ) ने सोमवार सुबह लाल किले की प्राचीर(red fort ramparts) से 7.30 बजे तिरंगा फहराया। यह 9वां मौका है, जब उन्होंने भारत के पीएम के तौर पर स्वतंत्रता दिवस(Independence Day) पर तिरंगा फहराया है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारा तिरंगा आन बान शान के साथ लहरा रहा है। उन्होंने कहा, 'आज का दिवस ऐतिहासिक दिवस(historical day) है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बीता है। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष के लिए नमन करने का अवसर है। उनका स्मरण करते हुए उनके सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प लेने का भी अवसर है। आज हम सभी कृतज्ञ हैं पूज्य बापू के, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब आंबेडकर, वीर सावरकर के... जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया। यह देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल। ऐसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।'





हमने उन्हें याद किया, जिन्हें भुला दिया गया







जब हम आजादी की चर्चा करते हैं, तो जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाज का गौरव नहीं भूलते। बिसरा मुंडा समेत अनगिनत नाम है। जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर सुदूर जंगलों में आजादी के लिए मर मिटने की प्रेरणा जताई। एक दौर वो भी था, जब स्वामी विवेकानंद, स्वामी अरविंदो, रविंद्र नाथ टैगोर भारत की चेतना जगाते रहे। 2021 से शुरू हुए आजादी के अमृत महोत्सव में देशवासियों ने व्यापक कार्यक्रम किए। इतिहास में इतना बड़ा महोत्सव पहली बार हुआ। हमने उन महापुरुषों को भी याद किया, जिन्हें इतिहास में जगह नहीं मिली या उन्हें भुला दिया गया।





सबने दर्द खुशी खुशी सहे





मोदी ने कहा, '14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को भी हृदय के घावों को याद करके मनाया। देश वासियों ने भारत के प्रति प्रेम के कारण सबने दर्द खुशी खुशी सहे। आजादी के अमृत महोत्सव में हम सेना के जवानों, पुलिस कर्मी, ब्यूरोक्रेट, लोकसेवक, जनप्रतिनिधि, शासक-प्रशासकों को याद करने का अवसर है।'





2014 में नागरिकों ने मुझे जिम्मेदारी दी





पीएम मोदी ने कहा कि, इस 75 साल की यात्रा में, आशाओं, आकांक्षाओं, उतार-चढ़ावों के बीच हम सभी के प्रयास से उस मुकाम तक पहुंचे जहां हम पहुंच सकते थे. 2014 में, नागरिकों ने मुझे जिम्मेदारी दी- आजादी के बाद पैदा हुए पहले व्यक्ति को लाल किले से इस देश के नागरिकों की प्रशंसा गाने का मौका मिला।





आदिवासी समुदाय को नहीं भूल सकते





पीएम ने आगे कहा, जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हम आदिवासी समुदाय को नहीं भूल सकते. भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, अल्लूरी सीताराम राजू, गोविंद गुरु- ऐसे असंख्य नाम हैं जो स्वतंत्रता संग्राम की आवाज बने और आदिवासी समुदाय को मातृभूमि के लिए जीने और मरने के लिए प्रेरित किया।





भारत की महिलाओं की ताकत को याद करते हैं





लाल किले से पीएम मोदी ने कहा कि, हर भारत गर्व से भर जाता है जब वे भारत की महिलाओं की ताकत को याद करते हैं- चाहे वह रानी लक्ष्मीबाई हो, झलकारी बाई, चेन्नम्मा, बेगम हजरत महल।





मेरा देश विकसित देश होगा





पीएम मोदी ने युवाओं से अपील की कि वे आजादी के 100 साल पूरे होने के लिए अभी से संकल्प लें, कि तब यह विकसित देश होगा। विकास के केंद्र में मनुष्य होगा. पीएम मोदी ने कहा कि जब देश आजादी के 100 साल पूरे कर रहा होगा, तब युवा 50-55 साल का होगा। 



 





इतिहास में जगह न मिलने वाले महापुरुषों को भी किया याद





प्रधानमंत्री ने कहा, हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था. आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया। 





विश्व भारत की ओर गर्व से देख रहा





पीएम ने कहा, विश्व भारत की ओर गर्व, अपेक्षा से देख रहा है. दुनिया समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर खोजने लगी है। यह हमारे 75 साल की अनुभव यात्रा का परिणाम में है, जिस तरह से संकल्प लेकर हम चल रहे हैं, दुनिया हमारी ओर देख रही है. मैं इसे इतनी शक्ति के रूप में देखता हूं. मैं थ्री शक्ति के तौर पर देखता हूं। 





पीएम मोदी ने दिया नया नारा





पीएम मोदी ने कहा, लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा और अब इसमें जय अनुसंधान जोड़ने का समय आ गया है. अब जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान हो।





 लाल किले से छलका पीएम का दर्द





पीएम मोदी का लाल किले से दर्द भी छलका. पीएम मोदी ने कहा, मेरी एक पीड़ा है, मेरा दर्द है. मैं इसे दर्द को देशवासियों के सामने नहीं कहूंगा तो कहां कहूंगा. पीएम मोदी ने कहा, आज किसी न किसी कारण से हमारे अंदर विकृति आई है, हमारे बोल चाल में. हमारे स्वभाव में, हम नारी का अपमान करते हैं. क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं. नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है, ये सामर्थ्य में देख रहा हूं।





पीएम मोदी ने लाल किले से दिलाए ये 5 प्रण







  • विकसित भारत- अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए।



  • गुलामी के हर अंश से मुक्ति का प्रण- दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना।


  • विरासत पर गर्व- तीसरी प्रण शक्ति है कि हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए. यही विरासत है, जिसने भारत को स्वर्णिम काल दिया था. यह विरासत है जो समय समय पर परिवर्तन करने का सामर्थ्य रखती है।


  •  एकता और एकजुटता का प्रण- चौथा प्रण है एकता और एकजुटता. 130 करोड़ देशवासियों में एकजुटता. न कोई अपना न कोई पराया. एक भारत औऱ श्रेष्ठ भारत के लिए यह प्रण है.


  • नागरिकों को अपने कर्तव्यपालन का प्रण- पीएम मोदी ने कहा, 5वां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य. इससे पीएम, मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता है. ये 25 सालों के संकल्प को पूरा करने के लिए हमारे प्रण हैं।






  • आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था





    पीएम ने कहा कि जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है, वे जब संकल्प लेकर चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी सल्तनतों के लिए संकट का काल लेकर आती है। ये लोकतंत्र की जननी हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में उतार चढ़ाव आए। 2014 में देशवासियों ने मुझे दायित्व दिया। आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला लेकिन मेरे दिल में जो भी आप लोगों से सीखा हूं, जितना आप लोगों को जान पाया हूं, सुख दुख को समझ पाया हूं... उसको लेकर मैंने अपना पूरा कालखंड देश के उन लोगों को सशक्त बनाने में खपाया- दलित, शोषित, किसान, महिला, युवा हो, हिमालय की कंदराएं हों समुद्र का तट हो। हर कोने में बापू का जो सपना था आखिरी इंसान को सामर्थ्य बनाने की, मैंने अपने आप को उसके लिए समर्पित किया।



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