New Delhi. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर वैट घटाने की अपील की है। उन्होंने 27 अप्रैल को कोरोना पर मुख्यमंत्रियों का साथ बैठक में कहा कि 6 महीने लेट ही सही, लेकिन अब राज्य सरकारें तेल पर टैक्स घटा लें। इससे लोगों को फायदा होगा। केंद्र ने भी तेल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। वैश्विक संकट में केंद्र और राज्यों में सामंजस्य बहुत जरूरी है।
केंद्र ने तेल पर ड्यूटी घटाई लेकिन राज्यों ने राहत नहीं दी
मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत में मोदी ने कहा कि जो दुनिया में युद्ध जो परिस्थिति पैदा हुई है, इससे सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। ऐसे माहौल में दिनों-दिन चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। ये वैश्विक संकट अनेक चुनौतियां लेकर आ रहा है, ऐसे में केंद्र और राज्य के बीच तालमेल को और बढ़ाना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का उदाहरण देते हुए कहा कि लोगों पर भार कम करने के लिए नवंबर में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी। तब राज्य सरकारों से भी VAT घटाने को कहा गया था। इस पर कुछ राज्यों ने तो केंद्र की बात मानकर लोगों को राहत दी, लेकिन कुछ राज्यों ने ऐसा नहीं किया।
पेट्रोल-डीजल पर ज्यादा वैट से पड़ोसी राज्यों को भी नुकसान
मोदी ने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड, तमिलनाडु का जिक्र करते हुए कहा कि इन राज्यों ने किसी न किसी कारण से केंद्र की बातों को नहीं माना। इस वजह से उन राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमत इस वक्त बाकी राज्यों से ज्यादा है। आज तमिलनाडु में पेट्रोल 111 रुपए है, जयपुर में 118 से ज्यादा, हैदराबाद में 119 से ज्यादा है। मुंबई में 120 और बगल में ही दमन दीव में 102 रुपए है। पीएम ने कहा कि ऐसा करना अन्याय है क्योंकि इसका नुकसान पड़ोसी राज्यों को भी होता है क्योंकि लोग वहां तेल भरवाने जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा एक्साइज ड्यूटी घटाए हुए छह महीने बीत चुके हैं। राज्य सरकारें चाहें तो अब भी VAT कम करके जनता को राहत दे सकती हैं। मेरी प्रार्थना है कि राज्य सरकारें वैट कम करके अपने नागरिकों को इसका लाभ पहुंचाएं।
बढ़ते कोरोना केस पर जताई चिंता
बैठक में पीएम ने कोरोना के वैक्सीनेशन और सावधानियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में कोरोना के केस बढ़ते रहे हैं। लेकिन कोरोना की चुनौती टली नहीं है। इसकी गंभीर हालत हो सकती है। पिछले दो हफ्तों में केस बढ़ने से यह समझ आया है कि हमें अलर्ट रहना है। हमारे पास कुछ महीने पहले जो लहर आई, उससे हमने बहुत कुछ सीखा। सभी ओमिक्रॉन से सफलता से निपटे, मुकाबला किया। दो साल के भीतर देश ने हेल्थ इंफ्रस्ट्रक्चर से लेकर मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने का काम किया है।
वैक्सीनेशन ने तीसरी लहर से बचाया
मोदी ने कहा कि देश में कोरोना की पहली दो लहरों के मुकाबले तीसरी लहर में हालात उनते नहीं बिगड़े। इस दौरान हर राज्य में वैक्सीन जन जन तक पहुंची। हर भारतीय के लिए गौरव की बात है आज कि 96 प्रतिशत आबादी को पहली डोज, 15 साल से ऊपर के 85 प्रतिशत को दूसरी डोज लग चुकी है। आप सब समझते हैं कि वैक्सीन ही सबसे बड़ा कवच है। देश में लंबे समय बाद स्कूल खुले हैं। ऐसे में केस बढ़ने से चिंता बढ़ रही है। मार्च में हमने 12 से 14 के लिए, मंगलवार 26 अप्रैल से देश में 6 से 12 साल आयु के बच्चों के लिए कोवैक्सिन की परमीशन मिल गई है।
तीसरी लहर से सबक सीखा, आगे बनाए रखना होगा
देश में अब सभी एलिजेबल बच्चों का जल्द से जल्द टीकाकरण हमारी प्राथमिकता है। पहले की तरह स्कूलों में विशेष अभियान चालने की जरूरत होगी। टीचर्स-पेरेंट्स और बाकी एलिजेबल लोग भी प्रिकॉशन के रूप में बूस्टर डोज ले सकते हैं। उन्हें हमें जागरूक करते रहना होगा। तीसरी लहर के दौरान हमने हर दिन, तीन लाख से ज्यादा केस देखे। हमने इसे हैंडल किया। यही बैलेंस हमारी आगे की स्ट्रैटेजी का हिस्सा होना चाहिए। संक्रमण को शुरुआत में ही रोकना है। हमारी प्राथमिकता पहले भी यही थी और आगे भी यही है।
इंफ्लूएंजा के गंभीर मरीजों का आरटीपीसीआर कराएं
पीएम ने कहा कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों में जो गंभीर एंफ्लूएंजा के मरीज हैं उनका शत प्रतिशत आरटीपीसीआर टेस्ट कराना चाहिए। पॉजिटिव आने पर उसके सैम्पल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजिए। यह भी सुनिश्चित करें कि पब्लिक में पैनिक न फैले। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के अपडेट का काम तेजी से चलते रहना चाहिए। सभी सुविधाएं फंग्शनल रहें यह भी तय करना होगा। जिम्मेदारियां तय की जाएं, ताकि जरूरत पड़ने पर पैनिक के हालात निर्मित न हों।