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इंटरनेशनल डेस्क. दुबई में COP28 वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपने हेल्थ कार्ड के बारे में सोचते हैं, उसी तरह हमको पर्यावरण के बारे में भी सोचना चाहिए। हमें ये भी सोचना चाहिए कि हमारी तरह पृथ्वी के हेल्थ कार्ड में भी पॉजिटिव पॉइंट्स जुड़ें। मेरे हिसाब से यही ग्रीन क्रेडिट है।
पीएम मोदी ने अमीर देशों पर साधा निशाना
पीएम नरेंद्र मोदी ने संबोधन के दौरान बिना नाम लिए अमीर देशों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सदियों पहले चंद देशों के किए की कीमत पूरी दुनिया को चुकानी पड़ रही है। जो भी देश ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें क्लाइमेट चेंज का सामना करने के लिए विकासशील और गरीब देशों को निस्वार्थ होकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करनी चाहिए। पीएम मोदी ने 2028 की क्लाइमेट समिट भारत में ऑर्गनाइज कराने की इच्छा जाहिर की।
'कार्बन उत्सर्जन 45 फीसदी तक घटाना है'
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने इकोलॉजी और इकोनॉमी के संतुलन का उदाहरण दुनिया के सामने पेश किया है। 17 फीसदी आबादी के बावजूद कार्बन उत्सर्जन में हमारी हिस्सेदार सिर्फ 4 फीसदी है। हमारा लक्ष्य 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 45 फीसदी तक घटाना है। भारत ने ग्लोबल बायो फ्यूल एलायंस बनाया। क्लाइमेट फाइनेंस फंड को मिलियन से बढ़ाकर ट्रिलियन डॉलर तक करना चाहिए।
विकासशील देशों को हर्जाना देंगे अमीर देश
धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। कहीं बाढ़ आ रही है तो कहीं सूखा पड़ रहा है। क्लाइमेट चेंज सभी देशों के लिए नतीजे सभी देशों के लिए एक जैसे समान नहीं रहे हैं। 2022 में पाकिस्तान में बाढ़ आई। वांताउ आइलैंड देश को समुद्र का जलस्तर बढ़ने से 6 शहरों को रीलोकेट करना पड़ा। क्लाइमेट चेंज की वजह से आ रही त्रासदियों से बचने के लिए विकासशील देश लगातार फंड की मांग कर रहे हैं। भारत और चीन जैसे विकासशील देशों का मानना है कि क्लाइमेट चेंज का खामियाजा अमीर देशों को भुगतना चाहिए। क्योंकि उनके किए कार्बन उत्सर्जन की वजह से धरती का तापमान बढ़ा है।
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किसने कितना किया कार्बन उत्सर्जन
1975 से 2021 तक 25 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन अकेले अमेरिका ने किया। वहीं भारत ने सिर्फ 3.4 फीसदी कार्बन उत्सर्जन किया। इस वजह से अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे कई देशों को विकासशील देशों को सालाना हर्जाना देना होगा। इस बैठक का फोकस फॉसिल फ्यूल और कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाना है।