निपाह वायरस की पांच देशों में दहशत, अब तक नहीं बन पाई वैक्सीन, जानें कोरोना से भी खतरनाक क्यों माना जा रहा?

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Chakresh
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निपाह वायरस की पांच देशों में दहशत, अब तक नहीं बन पाई वैक्सीन, जानें कोरोना से भी खतरनाक क्यों माना जा रहा?

New Delhi. केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस मिलने के बाद से हाई अलर्ट है। यह वायरस कई देशों में भी अपना प्रकोप फैला रहा है। इसे पहली बार 1999 में पहचाना गया था। यह वायरस अब तक पांच देशों - मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश, फिलीपींस और भारत में रिपोर्ट किया गया है। केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के संक्रमण से दो लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं तीन अन्य मरीजों को अस्पताल में क्वारंटाइन किया गया है। चिंता वाली बात यह है कि इस वायरस को विशेषज्ञों ने कोरोना से भी खतरनाक बताया है। मनुष्यों या जानवरों के लिए अब तक निपाह के कोई टीके उपलब्ध नहीं हैं। मरीज की देखभाल के अलावा कोई प्रभावी उपचार सामने नहीं आया है। शोधकर्ता वर्तमान में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी - इम्यूनोथेराप्यूटिक दवाएं विकसित कर रहे हैं, जो सीधे वायरस से लड़ेंगी, लेकिन अभी तक कोई लाइसेंस प्राप्त उपचार उपलब्ध नहीं मिल सका है।

बांग्लादेश से आया है नया स्ट्रेन

इस बार केरल में जो स्ट्रेन पाया गया है, वह बांग्लादेश से आया है, हालांकि इसे पहले के आए स्ट्रेन के मुकाबले कम संक्रामक माना जा रहा है, लेकिन इसकी मृत्यु दर अधिक है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह मानव से मानव में फैलता है।अगर थोड़ी भी लापरवाही बरती गई तो बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।

पांच सालों में चौथी बार केरल में मिला निपाह वायरस

निपाह वायरस केरल में बीते पांच सालों में चौथी बार सामने आया है। इसकी हिस्ट्री पर नजर डालें तो यह वायरस 2018 के बाद से केरल में चौथी बार सामने आया है। पहले इस वायरस से 23 लोग संक्रमित हुए थे, जिनमें से 21 लोगों की मौत हो गई थी। 2019 और 2021 में निपाह हल्का प्रकोप दिखा था, जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी।

कैसे फैलता है वायरस

निपाह एक जूनोटिक वायरस है, जिसका संक्रमण जानवर से इंसानों में होता है। यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे मनुष्यों के बीच स्राव के संपर्क में आने से फैल सकता है। इसलिए मास्क पहनने के साथ सैनिटाइजर का उपयोगर करने की सलाह दी जा रही है।

क्या हैं निपाह के लक्षण

सामान्य वायरल बुखार के लक्षण उत्पन्न करने के अलावा, यह संक्रमण तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है। इससे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप एन्सेफलाइटिस या मस्तिष्क की सूजन हो जाती है। इससे 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है। हालत बिगड़ने पर मरीज की मौत भी हो सकती है।

इसे कैसे रोका जा सकता है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोविड-19 जैसे ही निवारक उपाय सुझाते हैं। मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइज़र का उपयोग और सावधानी बरतने से ही इस वायरस से बचा जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। आईसीएमआर ने कहा कि निपाह वैक्सीन कहीं तैयार नहीं है। इसकी वैक्सीन बनाना हमारा लक्ष्य है। आईसीएमआर ने कहा कि हमें कोविड की तरह ही चिंता करनी चाहिए। यह वायरस म्यूटेटिंग है। इसलिए सतर्कता बरतने की जरूरत है।

कोझिकोड में एक हफ्ते तक स्कूल बंद

कोझिकोड में सभी शिक्षा संस्थान अगले रविवार तक एक हफ्ते के लिए बंद रहेंगे। इसमें स्कूल, पेशेवर कॉलेज, ट्यूशन सेंटर्स आदि शामिल हैं। पूरे हफ्ते के दौरान ऑनलाइन क्लासेस चलाने को कहा गया है। वर्तमान में संपर्क सूची में 1080 लोग हैं। शुक्रवार (15 सितंबर) को 130 नए लोग शामिल हुए हैं। सूची में 327 लोग स्वास्थ्य कर्मचारी हैं। पड़ोसी जिलों में 29 संपर्क सूची में हैं। इनमें मलप्पुरम में 22, कन्नूर में 3, त्रिशूर में 3, और वायनाड जिले में 1 व्यक्ति शामिल है



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