NEW DELHI.चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को इस साल जुलाई में पृथ्वी से करीब 36,000 किलोमीटर की दूरी पर भेजने वाला रॉकेट एलवीएम 3 एम4 क्रायोनिक करीब पांच महीने बाद वापस लौट आया है। इसकी जानकारी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने दी है। ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल LVM3 M4 का एक हिस्सा पृथ्वी की कक्षा में फिर प्रवेश कर गया। और प्रशांत महासागर में जा गिरा। इसरो ने कहा कि इस पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता था। प्रशांत महासागर में गिरने वाला रॉकेट एलवीएम-3 एम4 क्रायोजेनिक का ऊपरी हिस्सा था। 14 जुलाई को चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। रॉकेट का ये हिस्सा क्रायोजेनिक अपर स्टेज है।
जानकारी में इसरो में बताया कि रॉकेट ये हिस्सा बुधवार दोपहर 2:42 IST के आसपास पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश कर गया। ISRO ने कहा, "संभावित प्रभाव बिंदु की भविष्यवाणी उत्तरी प्रशांत महासागर के ऊपर की गई थी। फाइनल ग्राउंड ट्रैक भारत के ऊपर से नहीं गुजरा। रॉकेट बॉडी का दोबारा से प्रवेश इसके लॉन्च के 124 दिनों के भीतर हुआ।
124 दिन में वापस लौटा
इसरो ने इंटर-एजेंसी स्पेस डेबरी कॉर्डिनेशन कमेटी को बताया कि यह पहले से तय था कि पृथ्वी की निचली कक्षा से किसी भी चीज को वापस लौटने में करीब 124 दिन लगते हैं। एलवीएम-3 एम4 रॉकेट का ऊपरी हिस्सा भी अनुमानित 124 दिन में ही वापस लौटा है। इसरो ने बताया कि धरती पर लौटते समय रॉकेट के ऊपरी हिस्से से किसी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए अंतरिक्ष में ही इसका पैसिवेशन कर दिया गया था। बता दें कि पैसिवेशन रॉकेट से फ्यूल निकालने की एक प्रक्रिया है।
ISRO ने कहा कि इस तरह LVM-3 M-4 क्रायोजेनिक अपर स्टेज का मिशन के बाद का कक्षीय जीवनकाल, इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रिस कोऑर्डिनेशन कमेटी की ओर से अनुशंसित एलईओ (लो अर्थ ऑर्बिट) वस्तुओं के लिए "25-वर्षीय नियम" के पूरी तरह से अनुपालन में है।