स्थापनाकाल से 70 बार टूटी-बिखरी कांग्रेस, खराब दौर से गुजर रही है 137 साल पुरानी पार्टी, कई सीनियर नेता छोड़ चुके हैं पार्टी

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Vivek Sharma
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स्थापनाकाल से 70 बार टूटी-बिखरी कांग्रेस, खराब दौर से गुजर रही है 137 साल पुरानी पार्टी, कई सीनियर नेता छोड़ चुके हैं पार्टी

DELHI. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस एक बार फिर संकट के दौर से गुजर रही है। कई सीनियर नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। कांग्रेस को लगातार झटके लग रहे हैं। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में देखें तो कांग्रेस अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रही है। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस के 2 कद्दावर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबला था। हालांकि कर्नाटक से आने वाले और गांधी परिवार के अत्यंत करीबी मल्लिकार्जुन खड़गे के जीतने की संभावनाएं ज्यादा है। 22 साल बाद हुए कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव का परिणाम कल यानी 19 अक्टूबर को आएगा। वहीं कांग्रेस में अगर टूट की बात की जाए तो स्थापना काल अब तक 70 बार पार्टी टूट चुकी है। इतिहास में कांग्रेस को कई बार टूट का सामना करना है। हालांकि कई बड़े नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने के बाद भी कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी रही। 



कब बनी कांग्रेस 



कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज के दौरान 28 दिसंबर 1885 को हुई थी। एलन ऑक्टेवियन ह्यूम (Allan Octavian Hume) 1857 के गदर के वक्त इटावा के कलेक्टर थे। ह्यूम ने खुद ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाई. वह थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य भी थे। उन्होंने 1882 में पद से अवकाश लेकर कांग्रेस यूनियन का गठन किया। उन्हीं की अगुआई में बॉम्बे में पार्टी की पहली बैठक हुई थी। कांग्रेस के संस्थापकों में ए. ओ. ह्यूम, दादा भाई नौरोजी थे। 



कब-कब लगे झटके




  • 1951 में पहली बार जेबी कृपलानी ने किसान मजदूर पार्टी बनाई।


  • 1956 में सी रोजगाोपालाचारी ने इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई

  • 1967 में चौधरी चरण सिंह ने भारतीय क्रांति दल की नींव रखी।

  • 1969 में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस आर बनाई बाद में यही पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस बनी।

  • 1988 में वीपी ने जनमोर्चा का गठन किया।

  • 1998 में ही ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की।

  • 1999 में शरद पवार, पीएम संगमा और तारिक अनवर ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की

  • 2011 में जगनमोहन रेड्डी ने वायएसआर कांग्रेस का गठन किया।

  • 2016 में छत्तीसगढ़ के दिवंगत नेता और पूर्व सीएम अजित जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम से ख़ुद की पार्टी बनाने की घोषणा की।

  • 2021 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब लोक कांग्रेस बनाई बाद में बीजेपी का इसका विलय हो गया।

  • 2022 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने 'डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी' के नाम से अपनी पार्टी बनाई



  • आजादी से पहले ही टूटी, मोतीलाल नेहरू ने तोड़ा



    आजादी से पहले ही कांग्रेस दो बार टूट चुकी थी। 1923 में सीआर दास और मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी का गठन किया था। 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सार्दुलसिंह और शील भद्र के साथ मिलकर अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक का निर्माण किया। आजादी के बाद कांग्रेस से टूटकर लगभग 70 दल बन चुके हैं। इनमें से कई खत्म हो चुके हैं, जबकि कुछ आज भी अस्तित्व में हैं।



    आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस को 1951 में टूट का सामना करना पड़ा, जब जेबी कृपलानी ने अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई और एनजी रंगा ने हैदराबाद स्टेट प्रजा पार्टी बनाई। सौराष्ट्र खेदुत संघ भी इसी साल बनी। 1956 में सी. राजगोपालाचारी ने अलग होकर इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई।



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    कई राज्यों में भी टूटी



    1959 में बिहार, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा में कांग्रेस टूट गई। यह सिलसिला लगातार जारी रहा और 1964 में केएम जॉर्ज ने केरल कांग्रेस बनाई। 1967 में चौधरी चरणसिंह ने कांग्रेस से अलग होकर भारतीय क्रांति दल बनाया। बाद में इन्होंने लोकदल के नाम से पार्टी बनाई। 



    जब इंदिरा गांधी को ही दिखा दिया गया बाहर का रास्ता



    पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ही 12 नवंबर 1969 को कांग्रेस से बाहर कर दिया गया। यह कांग्रेस के इतिहास की सबसे बड़ी घटना थी। इसके बाद इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (R) नाम से नई पार्टी बनाई। इसे ही बाद में कांग्रेस (I) नाम दे दिया गया। यही पार्टी आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) के नाम से जानी जाती है।



    बैल जोड़ी था मूल चिन्ह



    मूल कांग्रेस का चुनाव चिह्न बैल जोड़ी था लेकिन आंतरिक कलह के चलते 12 नवंबर, 1969 को कांग्रेस ने इंदिरा गांधी को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। उस समय इंदिरा ने कांग्रेस (आर) नाम से एक नई पार्टी बनाई, जिसका चुनाव चिह्न 'गाय और बछड़ा' था। बाद में कांग्रेस (आर) कांग्रेस (आई) हुई और कालांतर यही कांग्रेस आईएनसी यानी इंडियन नेशनल कांग्रेस हो गई। 



    वीपी सिंह ने बनाया जनमोर्चा 



    1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। उनके खिलाफ वीपी सिंह ने मोर्चा खड़ा कर दिया। राजीव गांधी के खिलाफ बगावत हुई और 1988 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा। उसके बाद वीपी सिंह ने जनमोर्चा नाम से नई पार्टी का गठन किया। जनमोर्चा के भी बाद में कई टुकड़े हो गए। इससे जनता दल, जनता दल (यू), राजद और समाजवादी पार्टी का गठन हुआ। 



    शरद पवार, ममता, पटनायक और मुफ़्ती ने किया किनारा



    कांग्रेस को 1999 के आसपास एक और बड़ी टूट का सामना करना पड़ा, जब कांग्रेस में सोनिया गांधी की ताजपोशी की तैयारी की जाने लगी तो कई बड़े नेताओं ने इसका विरोध शुरु कर दिया। शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस (TMC), YSR कांग्रेस, छत्तीसगढ़ में अजित जोगी की जनता कांग्रेस, ओडिशी में बीजू पटनायक ने बीजू जनता दल (BJD) बना लिया। उधर जम्मू कश्मीर में मुफ़्ती मुहम्मद सईद ने  PDP नाम से नई पार्टी बना ली।



    एनडी तिवारी और पी चिदंबरम ने भी बनाई थी पार्टी



    1996 में अर्जुन सिंह के साथ मिलकर नारायण दत्त तिवारी ने तिवारी कांग्रेस बनाई थी। यह पार्टी कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी। दोनों ही नेता बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। वहीं पी. चितंबरम ने  GK मूपनार के साथ मिलकर तमिल मनिला कांग्रेस के नाम से नई पार्टी बनाई थी। बाद में पी चिदंबरम बाद में कांग्रेस में वापस आ गए। साथ ही दिवंगत नेता माधव राव सिंधिया ने मप्र विकास कांग्रेस के नाम से आपनी पार्टी बनाई हालांकि बाद में कांग्रेस में लौट गए, लेकिन उनके बेटे ज्योतिरादित्य ने बीजेपी का दामन थाम लिया है और केंद्र में हैवीवेट मंत्री हैं।



    जगन मोहन रेड्डी ने आंध्रा में कांग्रेस का किया खात्मा



    दक्षिण भारत की सियासत में आज क्षत्रप बनकर उभरे जगन मोहन रेड्डी कभी कांग्रेसी हुआ करते थे लेकिन आज वे आंध्रा के सीएम हैं उन्होंने आंध्रा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ ही कर दिया। उनके पिता 2004 में अविभाजित आंधा के सीएम थे लेकिन विमान हादसे में उनकी मौत के बाद जगन ने पार्टी से खुद के लिए सीएम पद की मांग कि लेकिन पार्टी ने उन्हें निराश करते हुए उनके पिता कि सरकार में वित्तमंत्री रहे के रोसैया की ताजपोशी कर दी। बाद में 2011 में उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस का गठन करते हुए चुनाव लड़ा और भारी जीत दर्ज की। इस चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गई। आज आंध्रा में कांग्रेस अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रही है। 



    साल-दर-साल कमजोर हो रही कांग्रेस 



    कांग्रेस पार्टी पिछले 10 साल में लगातार कमजोर होती जा रही है। कई बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। इसी साल गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल, गुजरात नेता पूर्व कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल, नरेश रावल और राजू परमार, कपिल सिब्बल, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़, पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार, आरपीएन सिंह पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। 



    सर्वाधिक समय सत्ता में रहने का रिकॉर्ड 



     आजादी के बाद से लेकर 2014 तक 16 आम चुनावों में से कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत हासिल किया, जबकि 4 बार सत्तारुढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया। कांग्रेस भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सर्वाधिक समय (करीब 55 वर्ष) तक सत्ता में रही। पहले चुनाव में कांग्रेस ने 364 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत प्राप्त किया था, लेकिन 16वीं लोकसभा में यही पार्टी 44 सीटों पर सिमट गई, जबकि 17वीं लोकसभा में स्थिति में मामूली सुधार हुआ और यह संख्या बढ़कर 51 तक पहुंच गई। इस चुनाव में तो कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका अमेठी में लगा, जहां राहुल गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव हार गए। 

     


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