भोपाल. मशहूर शायर मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) ने जाने माने शायर मंजर भोपाली (Manjar Bhopali) को मामूली आदमी बताते हुए कहा है कि वे मशहूर होने की कोशिश करते हैं लेकिन हो नहीं पाते। उनके इस बयान से मंजर भोपाली भड़क गए हैं। उन्होंने द सूत्र से खास चर्चा में राणा पर शायराना अंदाज में पलटवार करते हुए कहा है कि मैं मामूली आदमी हूं तो आपने मेरी किताब तिश्नगी के मजमून पर कसीदे क्यों पढ़े? आप बुजुर्ग है, बुजुर्ग बनकर रहिए। अपनी किडनी के साथ दिमाग का इलाज भी कराइए। राणा को मंजर ने शायराना तरीके से जवाब देते हुए कहा कि बस यहीं कहूंगा कि मेरे बुजुर्गों के किरदार अभी जिंदा है.......ये पेड़ वो है जो गिरते नहीं हवा से भी। आप एक बुजुर्ग है, बुजुर्ग बनकर रहिए। भोपाली ने कहा कि मुझे फलक की बुलंदियों की हवस नहीं है.......जो मेरे रब ने मुझे दिया है यही बहुत है।
मंजर ने राणा को भोपाल में रहने के लिए अपना फॉर्म हाउस किया था ऑफर: मंजर भोपाली ने राणा को संबोधित करते हुए कहा है कि जनाब आपके बयान वर्ग विशेष पर काला दाग लगाते हैं। आपने यूपी छोड़ने का कहा था तो अब छोड़िए। दरअसल, मुनव्वर राणा ने विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वापसी पर यूपी छोड़ने का ऐलान किया था। इस पर मंजर भोपाली ने भोपाल में रहने के लिए अपना फॉर्म हाउस ऑफर करके तंज कसा था। साथ ही मुनव्वर को कम बोलने की सलाह दी थी। जिसके जवाब में मुनव्वर ने मंजर को मामूली आदमी और बेवकूफ बताया है।
मुनव्वर को मामूली का जवाब दिया: मंजर भोपाली ने बताया कि वो मुझे मामूली शायर कह रहे हैं। लेकिन शायद वे भूल गए कि मेरी किताब तिश्नगी पर बाकायदा मुनव्वर राणा के हाथों से लिखा मजमून है। इसमें उन्होंने इस मामूली शायर को बड़े शानदार तरीके से नवाजा है। ये करीब 5 साल पहले दिल्ली में मेरी किताब के विमोचन के समय का ये वाकया है। मेरा कहना ये है कि मुनव्वर की नजर में मैं मामूली आदमी हूं तो इस मामूली आदमी की किताब पर लिखे मजमून में उन्होंने क्यों मेरी तारीफ में कसीदे गढ़े?
मंजर का सवाल, क्या ओवैसी की वजह से हिंदुस्तान छोड़ देंगे? मंजर भोपाली ने राणा से सवाल किया है कि क्या वे ओवैसी की वजह से हिंदुस्तान छोड़ देंगे? ओवैसी की वजह से कहां-कहां से छोड़ते फिरेंगे। कलकत्ता भी छोड़ देंगे क्या? ओवैसी तो पूरे हिंदूस्तान में जाते हैं पूरा हिंदूस्तान छोड़ देंगे क्या? अगर आप कह रहे है कि मैं यूपी छोड़ दूंगा तो अब छोड़िए। किसी ने आपसे सवाल तो किया नहीं था। शायर को तो ऐसा करना चाहिए कि गैरजरूरी आदमी शायर की वजह से शहर छोड़कर जाए। आप उनके खौफ से शहर नहीं छोड़ेंगे। अगर आप में इतना दम है तो कहते कि ओवैसी को हमारा शहर छोड़कर जाना चाहिए। नहीं लड़ने देंगे ओवैसी को इलेक्शन। तब मानते कि मुनव्वर भाई राणा भी हैं।
खुद अपने आप को मामूली तफ्सील कर चुके: भोपाली ने बताया कि कैफी आजमी ने लिखा है मुझ पर। पूरी दुनिया में ऐसा कौनसा उर्दू का शायर है जिसने मुझ पर नहीं लिखा। मामूली तो वो खुद अपने आप को तफ्सील कर चुके हैं। जब उनके परिवार में झगड़ा हुआ था। तब उन्होंने खुद कहा था कि मैं तो ड्राइवर हूं। क्या कहूं इनके बारे में। जितने अंतर्राष्ट्रीय मुशायरे हमने छोड़ दिए। उतने तो कई शायरों ने पढ़े भी नहीं है। दुनिया भर में मेरी कई किताबें छपी। हो सकता है कि मुनव्वर राणा की किताबें मुझसे ज्यादा हों। मैं ये तो नहीं कहूंगा कि मैं बड़ा शायर हूं कि छोटा शायर हूं। शायरी में कोई बड़ा छोटा नहीं होता है। ये तो आवाम फैसला करती है कि बड़ा कौन है?
मुनव्वर राना का कहना है कि मंजर भोपाली मशहूर होने के लिए ऐसा कर रहे हैं, इस पर आप का क्या कहना है?
मंजर भोपाली का कहना है कि मुझे अब कोई शोहरत की तमन्ना नहीं है। मैं मशहूर होने के लिए उल्टे सीधे बयान नहीं देता। नहीं तो मशहूर होने के लिए कई विकल्प है। किसी के बारे में कुछ भी बोल दो। ये मशहूर होने की बात नहीं है। मशविरा है कि कम बोलिए जनाब। इतनी जहालत के बाद वो फिर कुछ और बोलेंगे, लोग फिर हसेंगे। मेरी द सूत्र के माध्यम से मुनव्वर जी से गुजारिश है कि अभी मैं लखनऊ आया हुआ हूं। वो तो चले गए एम्स में इलाज का बहाना करके। अब वो अच्छे से इलाज कराएं, अपनी किडनी का भी। अपने दिमाग का भी। बाकी जो साहित्य प्रेमी आदमी है वो इस तरह के बयान पसंद नहीं करता। सियासत में सब कुछ चलता है। साहित्य में ऐसा नहीं चलता। कुमार बाराबंकी साहब का एक शेर है, दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए तो आइना सामने रख लिया कीजिए।
सस्ती शोहरत के लिए मुनव्वर ऐसा करते हैं: मंजर भोपाली ने कहा कि शायरी अब वो कर नहीं रहे। शेर वो कह नहीं रहे। मैं समझता हूं कि उन्हें तमाम चीजों में ज्यादा मजा आता है। वो सस्ती शोहरत पाने के लिए ऐसा करते हैं। मैं डेढ़-दो साल से देख रहा हूं कि वो ऐसे बयान देते हैं, जिससे वर्ग विशेष पर एक धब्बा लग जाता है। उन्हें लगता है कि सब मुनव्वर राणा के इशारों पर चलते हैं, ऐसा नहीं है। इसी वजह से लोग डाइस पर बुला नहीं रहे। नहीं तो मुनव्वर राणा बड़ी शख्सियत थे। आज भी वो बोलना कम कर दें तो इज्जत में कमी थोड़ी आएगी।
सैयद अली राजा कैसे कहलाए......मंजर भोपाली: 62 बरस के मंजर भोपाली का पूरा नाम सैयद अली रजा है। वे उर्दू शायरी की दुनिया का बड़ा नाम है। उन्हें भोपाल से गहरा लगाव है। इसी वजह से रजा रामपुरी साहब ने उन्हें मंजर भोपाली नाम दिया था। भोपाल शहर के लोग मंजर भोपाली को अपना सितारा मानते हैं। मंजर लिखने के साथ ही मखमली आवाज में शेर और गजल सुनाने के लिए भी जाने जाता है। देश के अजीम शायर कैफी आजमी ने मंजर पर लिखा था कि मंजर की हौंसलामंद तबीयत चंद मुशायरों पर अपनी छाप छोड़के मुतमइन नहीं हो सकती। वो एक सदी पर अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं।
मंजर के तंज पर मुनव्वर के सख्त तेवर, बोले- मामूली शायर है, UP छोड़ने पर ट्विस्ट