DELHI: जाते-जाते कोविंद की नसीहत- दलगत राजनीति से ऊपर उठें, आपस में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देशहित के लिए मिलकर काम करें

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Atul Tiwari
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DELHI: जाते-जाते कोविंद की नसीहत- दलगत राजनीति से ऊपर उठें, आपस में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देशहित के लिए मिलकर काम करें

NEW DELHI. संसद भवन के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का विदाई समारोह हुआ। समारोह में प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, लोकसभा स्पीकर समेत कई केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। कोविंद को विदाई पत्र, स्मृति चिह्न भेंट किया गया। इस बीच राष्ट्रपति भवन की ओर से बताया गया कि रामनाथ कोविंद कल यानी 24 जुलाई (रविवार) को देश को संबोधित करेंगे।





इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठने को कहा। उन्होंने राजनीतिक दलों से यह तय करने को कहा कि लोगों के कल्याण के लिए क्या जरूरी है? संसद के सेंट्रल हॉल (Central Hall) में अपने विदाई भाषण में सांसदों को संबोधित करते हुए कोविंद ने शांति और सद्भाव के मूल्य पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने लक्ष्यों को पाने की कोशिश करने के लिए विरोध करने और दबाव बनाने का अधिकार है, लेकिन उनके तरीके गांधीवादी होने चाहिए।





कोविंद ने कहा कि वह हमेशा खुद को बड़े परिवार का हिस्सा मानते हैं, जिसमें सांसद भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी परिवार की तरह कई बार उनके बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें देश के व्यापक हितों के लिए मिलकर काम करना चाहिए।





हृदय में कई पुरानी स्मृतियां





विदाई अभिभाषण के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आप सबसे जब मैं विदाई ले रहा हूं तो मेरे हृदय में अनेक पुरानी स्मृतियां उमड़ रही हैं। इसी परिसर में जिसे सेंट्रल हॉल के रूप में जाना जाता है। वर्षों तक ना जाने कितने सांसदों के साथ यादगार पल बिताए हैं। 5 साल पहले मैंने इसी स्थान पर शपथ ली है। आप लोगों के लिए मेरे दिल में विशेष स्थान है। 





सभी पूर्व राष्ट्रपति मेरे प्रेरणास्त्रोत : कोविंद





यहां मौजूद सभी सांसदों और मंत्रियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप सभी के लिए यह गर्व की बात है कि आप भारत की जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। मेरे सभी पूर्व राष्ट्रपति मेरे लिए प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अंबेडकर के सपनों का भारत बन रहा है। 





देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी द्रौपदी मुर्मू





निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी। वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर काबिज होने वाली पहली आदिवासी होंगी। अपने भाषण के दौरान कोविंद ने मुर्मू को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उनके मार्गदर्शन से देश को फायदा होगा। मुझे राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए देश के नागरिकों का हमेशा आभारी रहूंगा।



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