मध्यप्रदेश के लाखों कर्मचारियों के प्रमोशन का मामला अटका, सरकार के प्रस्ताव पर विधि विभाग ने क्यों लगाई आपत्ति ?

author-image
The Sootr CG
एडिट
New Update
मध्यप्रदेश के लाखों कर्मचारियों के प्रमोशन का मामला अटका, सरकार के प्रस्ताव पर विधि विभाग ने क्यों लगाई आपत्ति ?

हरीश दिवेकर, BHOPAL. मध्यप्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के प्रमोशन पर पानी फिर सकता है। कर्मचारी और अधिकारी पिछले 6 साल से प्रमोशन की राह देख रहे हैं। कर्मचारियों को कुछ दिनों पहले बड़ी खुशी हुई थी क्योंकि सरकार ने प्रमोशन के नए नियम बनाए थे लेकिन ये नियम कैबिनेट में आते उससे पहले ही लॉ डिपार्टमेंट ने इस पर आपत्ति लगा दी है। लॉ डिपार्टमेंट की आपत्ति के बाद अब लाखों कर्मचारियों के प्रमोशन का मामला अटक गया है।



प्रमोशन के नियमों पर विधि विभाग की आपत्ति



प्रमोशन में आरक्षण के लिए राज्य सरकार ने नियम-2022 का खाका तैयार किया लेकिन लॉ डिपार्टमेंट ने इस प्रस्ताव पर क्या आपत्ति दर्ज की है। वो आपको सिलसिलेवार बताते हैं।




  • लॉ डिपार्टमेंट ने सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण वाले प्रस्तावित नियम-2022 में एससी-एसटी कर्मचारी-अधिकारियों को पदोन्नति में आरक्षण पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई है। पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए कर्मचारी-अधिकारियों का डेटा अनिवार्य होगा लेकिन नियमों में कहीं भी ये नहीं लिखा गया है कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व का डेटा कहां से लिया जाएगा और उसकी गणना कैसे की जाएगी।


  • लॉ डिपार्टमेंट ने एम नागराज वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया 2006 और जनरल सिंह एवं अन्य वर्सेज लक्ष्मीनाराण गुप्ता के 2018 के मामले में पांच सदस्यीय जजों के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षित वर्ग एससी-एसटी को लोक सेवा में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए उनके पर्याप्त प्रतिनिधित्व को आधार मानना उचित ठहराया है लेकिन इसके लिए मात्रात्मक डेटा होना आवश्यक है जिससे ये साबित हो सके कि आरक्षित वर्ग को पदोन्नति में पर्याप्त आरक्षण नहीं मिल रहा है। ऐसे में ये साफ है कि बिना डेटा के सरकार ये नहीं कह सकती कि आरक्षित वर्ग के कर्मचारी-अधिकारियों को पदोन्नति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है।

  • लॉ डिपार्टमेंट ने ये भी साफ किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने मात्रात्मक डेटा संग्रहित करने के तरीके में राज्य सरकार को छूट दी है कि वो अपने तरीके से ये डेटा तैयार कर सकती है लेकिन उसे न्यायालय में ये साबित भी करना होगा कि जिस पद्धति से ये मात्रात्मक डेटा तैयार किया गया है वो साईंटिफिक तरीके से सही है।

  • लॉ डिपार्टमेंट ने सामान्य प्रशासन के प्रस्तावित पदोन्नति नियम-2022 के उस उपनियम पर भी आपत्ति जताई है जिसमें कहा गया है कि पदोन्नति के लिए आरक्षित पद के कर्मचारी-अधिकारी किसी चयन वर्ष में नहीं मिलते। तब तक उनके पद रिक्त रखे जाएंगे। इस पर लॉ डिपार्टमेंट का कहना है कि इन पदों को रोकने की समय सीमा निर्धारित करना होगी। अनिश्चितकाल के लिए पद रिक्त नहीं रखे जा सकते।

  • लॉ डिपार्टमेंट ने ये भी कहा है कि एससी-एसटी-अनारक्षित यानि तीनों प्रवर्गों के लोक सेवकों की सिनियरिटी फिक्स करने के लिए उनके कैडर को ईकाई मानकर रिक्त पद भरे जाना उचित होंगे। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी 2022 में अपने एक फैसले में ये स्पष्ट भी किया है कि कैडर को इकाई मानकर ही सिनियरिटी फिक्स की जाए। इसके बाद भारत सरकार ने भी 22 अप्रैल 2022 को आदेश भी जारी किया है।



  • इस पेंच में फंसा सरकार का प्रस्ताव



    ये वो पेंच है जिसमें सरकार का ये प्रस्ताव फंस गया है। दरअसल सरकार चाहती थी कि 2023 से पहले कर्मचारियों को प्रमोशन का तोहफा दिया जाए मगर लगता है कि तोहफे का रैपर खुलेगा ही नहीं। मध्यप्रदेश में 6 साल से प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगी है। हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को प्रमोशन में आरक्षण से जुड़े नियम-2002 को खारिज कर दिया था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मई 2016 में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे। इन 6 सालों में 70 हजार से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं जिनमें से करीब 39 हजार कर्मचारी रिटायरमेंट तक पदोन्नति का इंतजार करते रह गए लेकिन प्रमोशन नहीं मिला। इस फैसले को चुनावी कहना गलत नहीं होगा। 2023 के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उसमें कर्मचारियों की नाराजगी सरकार पर भारी न पड़े इसलिए सरकार इस रोक को हटाने की कवायद कर रही है।



    अब जो प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग ने तैयार किया था वो क्या है। एक बार वो भी बता देते हैं। प्रमोशन में आरक्षण के लिए कैटेगरी के मुताबिक सीआर के नंबर तय किए हैं।




    • प्रथम श्रेणी से प्रथम श्रेणी में पदोन्नति के लिए 15 अंक


  • सेकंड क्लास से फर्स्ट क्लास में प्रमोशन के लिए 14 अंक

  • सेकंड क्लास से सेकंड क्लास में हाई पे-स्केल में प्रमोशन के लिए 13 अंक

  • थर्ड क्लास से सेकंड क्लास में प्रमोशन के लिए 12 अंक

  • थर्ड क्लास से थर्ड क्लास में प्रमोशन के लिए 12 अंक

  • फोर्थ से थर्ड क्लास के प्रमोशन के लिए 10 अंक

  • फोर्थ से फोर्थ क्लास में हाई पे-स्केल में प्रमोशन के लिए 9 अंक तय

  • अंकों में ऊंच-नीच होने पर पड़ सकता है प्रमोशन पर असर



  • सिर्फ सीआर अंक ही नहीं पूरी ग्रेडिंग भी होगी काउंट



    प्रमोशन के हकदार अधिकारी और कर्मचारियों को सिर्फ सीआर के अंक ही नहीं मिलेंगे बल्कि उनकी पूरी ग्रेडिंग भी काउंट की जाएगी, जो एक्सीलेंट, वेरीगुड, गुड, एवरेज और पुअर ग्रेड में डिवाइड होगी। जाहिर है जिस अधिकारी-कर्मचारी को एक्सीलेंट ग्रेडिंग मिली होगी वो प्रमोशन का सबसे पहला हकदार होगा। एक से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारियों को एक्सीलेंस सीआर मिलने पर सिनियरिटी के अनुसार प्रमोशन दिया जाएगा। एक्सीलेंट ग्रेडिंग वाले सभी अधिकारी कर्मचारियों के प्रमोशन के बाद पद खाली रहते हैं तो उन्हें वेरी गुड ग्रेडिंग वाले अधिकारियों को प्रमोशन देकर भरा जाएगा।



    किस तरह के अधिकारी और कर्मचारियों को नहीं मिलेगा प्रमोशन



    नियमों के नए खाके में ये भी तय है कि किस तरह के अधिकारी और कर्मचारियों को 6 साल के लंबे इंतजार के बाद भी प्रमोशन नहीं मिलेगा। इन अधिकारी और कर्मचारियों में वो लोग शामिल होंगे जिन्हें किसी कारण से निलंबित किया गया हो या उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही हो। इसके अलावा जिन अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक आरोप दर्ज हैं और कोर्ट में चालान पेश हो चुका है, उन्हें भी प्रमोशन नहीं मिलेगा।


    MP News मध्यप्रदेश की खबरें Promotion of employees of mp stuck Promotion of lakhs of employees stuck Law Department objection मध्यप्रदेश के कर्मचारियों का प्रमोशन लाखों कर्मचारियों का प्रमोशन रुका विधि विभाग की आपत्ति