RSS हिंदू राष्ट्र ही चाहता है, संघ प्रमुख के 8 बयान यही कहते हैं, जानें सब

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Atul Tiwari
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RSS हिंदू राष्ट्र ही चाहता है, संघ प्रमुख के 8 बयान यही कहते हैं, जानें सब

Bhopal. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने हरिद्वार में कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है। वैसे तो 20 से 25 साल में भारत अखंड भारत होगा, लेकिन अगर हम थोड़ा सा प्रयास करेंगे, तो स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद के सपनों का अखंड भारत 10 से 15 साल में ही बन जाएगा। इसे कोई रोकने वाला नहीं है, जो इसके रास्ते में जो आएंगे, वे मिट जाएंगे। अब इस बयान पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।  





थोड़ी तल्खी, थोड़ा विरोध...





भागवत के बयान के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत का बयान आया। राउत ने कहा कि आप अखंड भारत बना लीजिए, लेकिन 15 साल का नहीं, 15 दिन का वादा कीजिए और अखंड हिंदुस्तान बनाइए। अखंड हिंदुस्तान का सपना कौन नहीं देखता। वीर सावरकर, बाला साहब ठाकरे का ये सपना था तो सबसे पहले आप वीर सावरकर को भारत रत्न दीजिए। अखंड भारत बनाने के लिए सबसे पहले PoK को भारत से जोड़िए, फिर जो पाकिस्तान का विभाजन हुआ था, उसे भी भारत से जोड़ना पड़ेगा। पहले जहां भी भारत की सीमाएं हुआ करती थीं, उसे भी जोड़िए, श्रीलंका को भी जोड़िए और फिर एक महा सत्ता बना लीजिए, आपको किसी ने नहीं रोका। लेकिन उससे पहले कश्मीरी पंडितों की घर वापसी करवा दीजिए और अगर आप ये कर लेते हैं तो हम आपका समर्थन जरूर करेंगे।





कहां से आया हिंदू?





कुछ इतिहासकारों का कहना है कि हिंदू शब्द ईरानियों की देन है। 500 ईसा पूर्व से पहले ईरानी शासक दारयवहु या डेरियस प्रथम का राज्य भारत तक (तक्षशिला) था। ईरानी अभिलेखों में साफ मिलता है कि डेरियस को सबसे ज्यादा (360 टेलेंट) कर भारतीय प्रांत से मिलता था। माना जाता है कि ईरानियों ने सिंधु का उच्चारण हिंदू के रूप में किया और सिंधु नदी के पार के इलाके के हिंदुओं की भूमि या हिंदुओं का देश कहा। 





ऐसे आई वर्ण व्यवस्था





सिंधु घाटी या हड़प्पा सभ्यता में हिंदू धर्म जैसी कोई बात नहीं थी। यहां खुदाई में जो बटखरे मिले, उन्हें बाद में आदिशिव कहा गया। वैदिक या ऋग्वैदिक काल में (1500-1000 ईसा पूर्व) में वर्णव्यवस्था नहीं थी। तब तीन वर्ग थे- शासक, पुरोहित और सामान्य जन। वर्ण व्यवस्था उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व) में आती है। गुप्तकाल (319 ईसवी के बाद) आते-आते वर्ण व्यवस्था काफी क्लिष्ट (कठिन) होती चली गई। 14वीं से 18वीं सदी के बीच धार्मिक संतों कबीर, एकनाथ, विद्यापति ने अपनी पद्यों में हिंदू धर्म और तुरक (मुस्लिमों) का उल्लेख किया। यूरोपीय व्यापारियों ने हिंदू धर्म मानने वालों को संयुक्त रूप से हिंदू और तुर्क, मुगल, अरब को मोहम्मडन कहा।





2011 की जनगणना के मुताबिक, मुस्लिम और ईसाई के बाद दुनिया में हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। भारत की 120 करोड़ की आबादी में 96 करोड़ से ज्यादा हिंदू हैं। भारत के अलावा दुनिया के जिन 9 देशों में हिंदू आबादी है, उनमें (घटते क्रम में) नेपाल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, अमेरिका, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) हैं।  सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में अपने एक निर्णय में कहा था कि हिंदुत्व का मतलब भारतीयकरण से है, उसे पंथ या मजहब जैसा नहीं माना जाना चाहिए।    





भागवत के 7 बयान





4 जुलाई 2021: गाजियाबाद में एक पुस्तक के विमोचन समारोह में कहा कि सभी भारतीयों का DNA एक है, भले ही वे किसी भी धर्म के क्यों न हों। हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें भी भ्रामक हैं, क्योंकि ये दोनों अलग नहीं, बल्कि एक ही हैं। लोगों के बीच पूजा पद्धति के आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता। ये साबित हो चुका है कि हम पिछले 40 हजार साल से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। इसमें एकजुट होने जैसी कोई बात नहीं है, सभी लोग पहले से ही एक साथ हैं।





बयान के कुछ दिन बाद भागवत ने स्वामी रामभद्राचार्य महाराज से मुलाकात की थी। स्वामीजी ने उनके डीएनए वाले बयान से असहमति जताई थी। वहीं, दिग्विजय सिंह ने तंज कसा था कि अगर हिंदू-मुस्लिम DNA एक है तो लव जिहाद कानून क्यों बनाया गया।





21 जुलाई 2021: गुवाहाटी में कहा था- 1930 से योजनाबद्ध तरीके से मुसलमानों की संख्या बढ़ाने के प्रयास हुए, ऐसा विचार था कि जनसंख्या बढ़ाकर अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे और फिर इस देश को पाकिस्तान बनाएंगे। ये विचार पंजाब, सिंध, असम और बंगाल के बारे में था। कुछ मात्रा में ये सत्य हुआ। भारत का विखंडन हुआ और पाकिस्तान बन गया। लेकिन जैसा पूरा चाहिए था वैसा नहीं हुआ।





6 सितंबर 2021: मुंबई में 'राष्ट्र प्रथम-राष्ट्र सर्वोपरि' संगोष्ठी में फिर कहा कि भारत में रहने वाले हिंदुओं और मुस्लिमों के पूर्वज एक ही है। भारत में रहने वाले मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं है। हमें मुस्लिम वर्चस्व की नहीं, बल्कि भारत के वर्चस्व की सोच रखनी होगी। अंग्रेजों ने गलत धारणा बनाकर हिंदुओं (Hindus) और मुसलमानों को लड़ाया। उन्होंने हिंदुओं से कहा कि मुसलमान चरमपंथी हैं। अंग्रेजों ने इस तरह दोनों समुदायों को लड़ा दिया। इस कारण दोनों समुदाय विश्वास की कमी के कारण एक दूसरे से दूसरी बनाए रखने की बात करते रहे हैं। 





12 अक्टूबर 2021: दिल्ली में सावरकर पर लिखी एक किताब के विमोचन दौरान कहा कि भारतीय भाषा की परंपरा के अर्थ में धर्म का अर्थ जोड़ने वाला है, उठाने वाला है, बिखरने ना देने वाला है। साधारण शब्दों में समझा जाए तो भारतीय धर्म मानवता है। जो भारत का है, उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के ही साथ जुड़ी है। विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों का सम्मान वहां भी नहीं है। जो भारत का है, वो भारत का ही है। इतने वर्षों के बाद अब हम जब परिस्थितियों को देखते हैं तो ध्यान आता है कि जोर से बोलने की आवश्यकता तब थी, सब बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता।





15 अक्टूबर 2021:  विभाजन की टीस अब तक नहीं गई है। हमारी पीढ़ियों को इतिहास के बारे में बताया जाना चाहिए जिससे की आने वाली पीढ़ी भी अपने आगे की पीढ़ी को इस बारे में बताए। 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर (Population Growth Rate) में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88% से घटकर 83.8% रह गया। वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8% से बढ़कर 14.24% हो गया है। जनसंख्या नीति होनी चाहिए।





27 नवंबर 2021: ग्वालियर में कहा- हिंदुओं की संख्या कम हो गई, हिंदुओं की शक्ति कम हो गई या हिंदुत्व का भाव कम हो गया है। यह इतिहास सिद्ध, तर्क सिद्ध, अनुभव सिद्ध बात है। भारत हिंदुस्तान है। हिंदू (Hindu) और भारत अलग नहीं हो सकते। भारत को भारत रहना है, भारत को स्व का आवलंबन करना ही पड़ेगा। हिंदू रहना ही पड़ेगा और हिंदू को हिंदू रहना है तो भारत को एकात्म और अखंड बनना ही पड़ेगा।





19 दिसंबर 2021: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में कहा- कुछ शब्द हमारे जीवन से चिपक जाते हैं, उन्हें हटाया नहीं जा सकता। हिंदुस्तान (Hindustan) से हिंदू (Hindu) शब्द पड़ा। संघ से हिंदुत्व (Hindutva) शब्द चिपक गया है। हिंदुत्व किसी को जीतने की बात नहीं करता। हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले गुरु नानक देव जी ने किया था। हिंदुत्व जोड़ने की बात करता है, किसी को बांटता नहीं। पिछले 40 हजार सालों से सभी भारतीयों का DNA एक है।





भागवत के बयानों में क्या खास





ऊपर के भागवत के 7 बयानों के देखें तो दो बार वे DNA की बात करते हैं। इस पर देशभर में बहस भी छिड़ी। उनके बयानों में संघ की विचारधारा के शब्द हिंदू, हिंदू राष्ट्र, हिंदुत्व ही ज्यादा मिलते हैं। 





भागवत के हिंदुत्व बयान अभी क्यों?





2014 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी ने केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 2019 में फिर मोदी का करिश्मा चला और दोबारा मोदी की सरकार बनी। संघ, बीजेपी का पितृ संगठन है। हिंदू राष्ट्र, संघ के एजेंडे का प्रमुख हिस्सा है। केंद्र में बीजेपी की मजबूत सरकार, संघ के एजेंडे को पूरा करने में कारगर साबित हो सकती है। 





राहुल ने भी हिंदुत्व का मतलब समझाया था





12 दिसंबर 2021 को राहुल ने जयपुर में महंगाई हटाओ रैली की थी। इसमें राहुल ने कहा था कि देश में इस समय हिंदू नहीं, हिंदुत्ववादियों की सरकार है। हिंदुत्ववादियों की सरकार को बाहर कर, हिंदुओं का शासन लाना है। हिंदू कौन जो सबको गले लगाता है। हिंदू कौन जो किसी से नहीं डरता। हिंदू हर धर्म का आदर करता है। आप कोई भी ग्रंथ पढ़ लीजिए, रामायण, महाभारत, गीता-उपनिषद पढ़िए, दिखाइए कि कहां लिखा है कि किसी गरीब को मारना है। कहां लिखा है कि किसी कमजोर व्यक्ति को कुचलना है। आप मुझे बता दीजिए। ये कहीं नहीं लिखा।





एक्सपर्ट कमेंट





मोहन भागवत के 15 साल में अखंड भारत बनने के बयान पर वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल का कहना है- बाल गंगाधर तिलक ने नारा दिया था कि स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे हम लेकर रहेंगे। इसी तरह से मोहन भागवत का संकल्प है। उसी तरह जैसे आजादी हासिल करने के लिए हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संकल्प हुआ करते थे। जब हम कोई लक्ष्य सामने रखते हैं तो उस दिशा में काम करने के लिए लोगों को ताकत मिलती है। जरूरी नहीं है कि भागवत ने 15 साल कहा तो 15 ही होगा, 30 साल भी हो सकता है। 





दुनिया में बहुत से ऐसे उदाहरण हैं। जर्मनी दो हिस्सों में बंटा था, फिर एक हो गया। भारत और पाकिस्तान की साझा संस्कृति है। हम पाकिस्तान के गायकों को सुनते हैं, उनके यहां भी भारत के तमाम सिंगर सुने जाते हैं, हमारी फिल्में देखी जाती हैं। क्रिकेट डिप्लोमेसी में सरकारें जरूर लड़ती हैं, दोनों देशों में उनके खिलाड़ी काफी लोकप्रिय हैं। भारत और पाक दोनों जगह सोच और ललक करीब-करीब एक ही हैं। राष्ट्रपति जिया उल हक का नाता भोपाल से था। परवेज मुशर्रफ दिल्ली में पढ़े। मनमोहन, आडवाणी पाकिस्तान में पैदा हुए। एक आशावादिता है कि लोगों में एक साझी संस्कृति का आवेग बढ़ेगा। 





अल्लामा इकबाल कहते हैं- हिंदू हैं हम, वतन है हिंदोस्ता हमारा। असल में हिंदू कोई धर्म नहीं है, हिंदू एक संस्कृति है। जैसे इतालवी, जर्मन, डच, अमेरिकन हैं, वैसे हिंदुस्तानी होते हैं। हिंदुस्तान में रहने वाला मुसलमान भी हिंदुस्तानी ही है। ये लोग भी बाहर जाएंगे तो हिंदुस्तानी ही कहे जाएंगे। सिख कोई धर्म नहीं है, वे हमारे शिष्य पंथ हैं। धर्म की रक्षा के लिए पंच प्यारे आए। इसके राजनीतिक मायने नहीं देखने चाहिए।





सावरकर की थ्योरी थी- हिंदू कौन हैं, जिसकी पुण्यभू और पितृभू हो। मुसलमानों की पितृभू हिंदुस्तान ही है। 90% मुसलमान कन्वर्टेड हैं। भारत में इस्लाम 8वीं सदी में आया। ईसाईयत 2022 साल पुरानी है। इससे पहले ईसाई, मुसलमान क्या थे?  चाहे जैन धर्म हों या बौद्ध, सब एक ही सनातन धर्म से निकले हैं। सनातन धर्म का कोई नाम नहीं है। सुकरात भी अवतारवाद की कल्पना करते थे। जो ग्रीक दार्शनिक सोच रहे थे, वो हम भी सोच रहे थे।



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