दिल्ली. कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शुक्रवार को पार्टी के डिजिटल 'जन जागरण अभियान' (Jan Jagran Abhiyan) का उद्घाटन किया। ऐसे में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, खुर्शीद के बचाव में उतर गए हैं। उन्होंने पूरे विवाद पर सीधे तौर पर कुछ कहने के बजाय इशारों में अपने नेता का पक्ष लिया है। राहुल ने कहा, "आखिर हिदू धर्म (Hinduism) और हिंदुत्व (Hindutva) में क्या अंतर है, क्या वे एक ही बातें हैं। अगर वे एक ही बात हैं, तो हम उनके लिए एक जैसा नाम क्यों नहीं इस्तेमाल करते? ये जाहिर तौर पर दो अलग-अलग चीजें हैं। क्या हिंदू धर्म किसी सिख या मुस्लिम (Muslim) को मारना है, लेकिन हिंदुत्व का यही काम है।" पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की नई किताब में 'हिंदुत्व की तुलना खूंखार इस्लामी आतंकी संगठनों बोको हरम और इस्लामिक स्टेट की विचारधारा' से किए जाने पर हंगामा मच गया है। कांग्रेस संगठन की ट्रेनिंग के राष्ट्रीय कार्यक्रम में राहुल ने पार्टी कार्यकर्ताओं को हिंदू धर्म और हिंदुत्व का फर्क समझाया। राहुल ने कहा कि 'हिंदू धर्म और हिंदुत्व, दोनों अलग-अलग बातें हैं। अगर एक होते तो उनका नाम भी एक होता।'
राहुल ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का उदाहरण दिया
राहुल ने कार्यकर्ताओं के सामने उदाहरण भी पेश किया। उन्होंने कहा, 'एक बार चीन के कुछ नेता आए थे। मैंने उनसे पूछा कि आप लोग कहते हो कि आप कम्युनिस्ट हो, फिर आप कहते हैं कि आप कम्युनिस्ट में भी चीनी विशेषताओं वाले हो। तो आप मुझे यह बता दो कि आप कम्युनिस्ट हो या आपके अंदर चीनी विशेषताएं हैं, दोनों तो हो नहीं सकतीं। क्योंकि अगर आप कम्युनिस्ट हो तो आपको कम्युनिस्ट ही कहलाना चाहिए, तो मुस्कुराने लगे।' राहुल ने कहा, 'सिम्पल सा लॉजिक है... अगर आप हिंदू हो हिंदुत्व की क्या जरूरत? ये नए नाम की क्या जरूरत?'
कांग्रेस की विचारधारा का प्रसार जरूरी
राहुल ने आगे कहा, "हमारी विचारधारा अभी भी जिंदा है, जीवंत है, लेकिन इसका प्रभाव कुछ कम हुआ है।" उन्होंने पार्टी की विचारधारा आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि इसका प्रभाव कम इसीलिए हुआ है, क्योंकि हम इसका अपने ही लोगों के बीच ठीक से प्रसार नहीं कर पाए।
राहुल ने आगे अपनी योजना को लेकर कहा, "हमारी कांग्रेस का कोई भी व्यक्ति कितना भी सीनियर हो, कितना भी जूनियर हो, उसके लिए ट्रेनिंग अहम है। सिस्टमैटिकली ट्रेनिंग अहम है और यह हमें पूरे देश में करनी है। अगर हमने अपनी विचारधारा को अपने संगठन में गहराई से उतार लिया, तो हम आगे बढ़ सकते हैं।"