बजाज मोटर्स के संस्थापक राहुल बजाज (Rahul Bajaj) का 12 फरवरी को निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे। बजाज 50 साल तक अपनी खड़ी की हुई कंपनी के चेयरमैन भी रहे। उन्हें सरकार ने 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। राहुल बजाज भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता जमनालाल बजाज (Jamnalal Bajaj) के पोते थे। राहुल ने अपनी पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से की। उन्होंने मुंबई के लॉ यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री भी हासिल की।
नेहरू ने दिया था नाम : कमलनयन बजाज (राहुल बजाज के पिता) और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) एक ही स्कूल में पढ़ते थे। कमलनयन की शादी हो गई। उनके घर में बच्चे का जन्म हुआ। चूंकि कमलनयन बजाज और जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru) पक्के दोस्त थे, तो उनके बच्चे का नामकरण खुद जवाहरलाल नेहरू ने किया था। राहुल नाम रखा गया था। जब ये बात इंदिरा गांधी को पता चली कि कमलनयन ने अपने बच्चे का नाम राहुल रखा है, तो वे नाराज हो गईं। इंदिरा की नाराजगी इसलिए थी कि वे खुद अपने बच्चे का नाम राहुल रखना चाहती थीं।
बिजनेस का एक और सूरमा चला गया : राहुल बजाज (Bajaj) भारतीय कारोबार जगत का एक जगमगाता नाम है । 70 से 90 के दशक तक बजाज स्कूटर (Bajaj Scooter) की तूती बोलती थी। 1972 में बजाज ऑटो ने देश में अपने चेतक स्कूटर को लॉन्च किया। इस स्कूटर ने बाजार में आते ही धूम मचा दी थी और देश के युवाओं की पहली पसंद बन चुका थी। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि उस दौर में इस स्कूटर का वेटिंग पीरियड 4 से 5 साल का था। हालांकि अब कंपनी ने कुछ महीनों पहले चेतक को इलेक्ट्रिक वर्जन के साथ फिर से री-लॉन्च किया है।
ऐसा दौर भी था जब : एक समय ऐसा था जब अस्सी और नब्बे के दशक में मध्यम वर्ग के घरों में स्कूटर को ही शान की सवारी समझा जाता था। दशकों तक स्कूटर भारतीय मध्यम वर्ग का बड़ा सपना रहा है। इन्हीं सपनों को संजोते टीवी पर बजाज ऑटो के ‘हमारा बजाज’ वाले विज्ञापन हज़ारों लोगों के दिल को छू गए थे। किसी घर में जब बजाज चेतक आता था तो उसे देखने और ‘टेस्ट ड्राइव’ करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती थी।
इन्हीं सपनों को संजोते टीवी पर बजाज ऑटो के ‘हमारा बजाज’ वाले विज्ञापन हज़ारों लोगों के दिल को छू गए थे। किसी घर में जब बजाज चेतक आता था तो उसे देखने और ‘टेस्ट ड्राइव’ करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती थी।
राहुल बजाज के बारे में जानिए : राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को एक मारवाड़ी परिवार में बंगाल प्रेसिडेंसी (आजादी से पहले का पश्चिम बंगाल) में हुआ था। राहुल बजाज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजसेवी जमनालाल बजाज के पोते हैं। बचपन से ही व्यवसायिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले राहुल बजाज के रगों में भी बिजनेस ही दौड़ता था।
स्कूल के दिनों में वो बॉक्सिंग चैंपियन थे। फिर सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में बीए की डिग्री ली। मुंबई यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री लेने के बाद अमेरिका चले गए। वहां हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री पूरी की। 1965 में भारत लौटे। अपना फैमिली बिजनेस जॉइन कर लिया। 1968 में बजाज ऑटो के सीईओ बनाए गए।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफ़न कॉलेज से इकोनॉमिक में ऑनर्स करने के बाद राहुल बजाज ने तीन साल तक बजाज इलेक्ट्रिकल्स कंपनी में ट्रेनिंग की। इसी दौरान उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई भी की हैं। राहुल बजाज ने 60 के दशक में अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री ली थी।
30 साल की उम्र में संभाली बजाज ऑटो की कमान : पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1968 में 30 वर्ष की उम्र में जब राहुल बजाज ने ‘बजाज ऑटो लिमिटेड’ के सीईओ का पद संभाला तो कहा गया कि ये मुकाम हासिल करने वाले वो सबसे युवा भारतीय हैं। जब राहुल बजाज के हाथों में कंपनी की कमान आई तब देश में ‘लाइसेंस राज’ था यानी देश में ऐसी नीतियां लागू थीं, जिनके अनुसार बिना सरकार की मर्ज़ी के उद्योगपति कुछ नहीं कर सकते थे।
ये व्यापारियों के लिए मुश्किल परिस्थिति थी। उत्पादन की सीमाएं तय थीं। उद्योगपति चाहकर भी मांग के अनुसार पूर्ति नहीं कर सकते थे। उस दौर में ऐसी कहानियां चलती थीं कि किसी ने स्कूटर बुक करवाया तो डिलीवरी कई साल बाद मिली।
बेबाकी के लिए मशहूर थे : देश के सबसे सफलतम उद्योगपतियों में से एक राहुल बजाज को उनके खुलकर बोलने के लिए जाना जाता है और वह 2006 से लेकर 2010 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। नवंबर 2019 को मुंबई में इकोनॉमिक टाइम्स के एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में इस जाने माने उद्योगपति ने सरकार की आलोचना को लेकर उद्योगपतियों के डर के बारे में चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘डर का यह माहौल, पक्के तौर पर हमारे दिमाग में है। आप (केन्द्र सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद हमारे भीतर यह विश्वास नहीं है कि आप आलोचना को सराहेंगे।’’
उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्वायत्तता की रक्षा करने के लिए तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल की प्रशंसा की थी। बजाज ने कहा कि सरकार को रिजर्व बैंक पर अपने फैसले नहीं थोपने चाहिए।
राहुल इसलिए हैं खास-
- वे एकमात्र एक्जीक्यूटिव हैं जो CII के दो बार अध्यक्ष रहे। CII देश की प्राइवेट पब्लिक सेक्टर की 5000 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है।
इन पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित -
- आर्थिक और व्यापार के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान को देखते हुए, राहुल को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
ये उपलब्धियां भी हैं उनके खाते में -
- सन 1979-1980 से लेकर सन 1999-2000 तक राहुल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष रहे। वे सोसाइटी ऑफ इंडियन इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) और महरत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रहे। इसके साथ-साथ राहुल ऑटोमोबाइल और संबद्ध उद्योगों के विकास परिषद के अध्यक्ष भी रहे।