NEW DELHI. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की गहमागहमी के बीच दिल्ली में राजस्थान के सियासी संकट का हल निकल गया। 29 सितंबर को दिल्ली में सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर राजस्थान के मुख्यमंत्री की बैठक हुई। इसमें पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गहलोत जब सोनिया से मिलने पहुंचे तो उनके हाथ में एक लेटर था, जिसमें लिखा था- जो भी हुआ, वो दुखद है। इससे मैं आहत हूं। गहलोत ने साफ कर दिया कि इस माहौल में मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ रहा। ये मेरी नैतिक जिम्मेदारी है। गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका निर्णय मैं नहीं कर रहा। इसका फैसला सोनिया गांधी करेंगी।
सोनिया जी के आशीर्वाद से तीसरी बार मुख्यमंत्री बना- गहलोत
मुलाकात के बाद गहलोत ने कहा, बीत दिनों जो भी हुआ उसके लिए मैंने सोनिया जी से माफी मांग ली है। उन्होंने कहा कि बीते 50 साल में कांग्रेस पार्टी ने इंदिरा गांधी जी और राजीव जी के बाद सोनिया जी के समय से मैंने वफादार सिपाही के तौर पर काम किया। मुझे हमेशा बड़ी जिम्मेदारी दी गई, चाहे प्रदेशाध्यक्ष हो या केंद्रीय मंत्री हो। सोनिया जी के आशीर्वाद से तीसरी बार मुख्यमंत्री बना। उसके बावजूद जो घटना दो दिन पहले हुई, उसने सबको हिलाकर रख दिया। मैंने सोनिया जी से भी सॉरी कहा है, क्योंकि पवित्रता मारी गई है। चाहे चुनाव हो या मुख्यमंत्री का फैसला करना हो। हमारा नियम है कि हम एक लाइन का प्रस्ताव रखते हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैं यह एक लाइन का प्रस्ताव पास नहीं करवा पाया, इस बात का दुख रहेगा।
गहलोत खेमे के विधायकों की खुली चेतावनी
सोनिया गांधी से मुलाकात के बीच अशोक गहलोत खेमे के विधायक ने खुलकर चुनौती दी। गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि अगर किसी और खेमे से सीएम बनाया गया, तो हम सभी विधायक इस्तीफा दे देंगे। हम मध्यावधि चुनाव के लिए भी तैयार हैं। कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी जल्द ही सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल उन्होंने पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है।
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गले मिले दिग्विजय और थरूर
दिल्ली पहुंचे दिग्विजय सिंह ने केरल से सांसद शशि थरूर से मुलाकात की। इस दौरान दोनों से गले लगे। इस मौके पर थरूर ने कहा कि मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत करता हूं। हम दोनों इस बात पर सहमत थे कि हमारी लड़ाई प्रतिद्वंद्वी नहीं है, बल्कि सहयोगियों के बीच एक दोस्ताना मुकाबला है। हम केवल यह चाहते हैं कि जो भी जीतेगा, कांग्रेस जीतेगी!
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