NEW DELHI. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाया जाएगा। NCERT की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में रामायण और महाभारत कुछ भागों को शामिल किया जा सकता है। इसको लेकर एनसीईआरटी के उच्च-स्तरीय समिति ने सिफारिश की।
सुझावों में इतिहास के पाठ्यक्रम पर खास फोकस
एनसीईआरटी की उच्च स्तरीय सामाजिक विज्ञान समिति ने सिफारिश की है कि भारत के 'शास्त्रीय काल' के तहत रामायण और महाभारत को इतिहास पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा समिति ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को भी पाठ्यपुस्कतकों में शामिल करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा एनसीईआरटी के उच्च-स्तरीय समिति ने इसके साथ ये भी सुझाव दिया है कि स्कूल में कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना स्थानीय भाषाओं में लिखी जाए। हालांकि एनसीईआरटी से इन सिफारिशों पर अंतिम मंजूरी नहीं मिली है।
क्लास की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखे जाने का सुझाव
समिति के बताया कि स्कूलों के लिए सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए गठित राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की सामाजिक विज्ञान समिति ने पाठ्यपुस्तकों में भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने सहित कई प्रस्ताव शामिल हैं। इन सिफारिशों के अलावा उच्च स्तरीय समिति ने संविधान की प्रस्तावना सभी कक्षाओं की दीवारों पर स्थानीय भाषाओं में लिखा जाना चाहिए।
इतिहास को चार अवधियों में बांटने की भी सिफारिश
समिति ने कहा कि भारतीय इतिहास के केवल तीन वर्गीकरण हुए हैं- प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत, इतिहास को चार अवधियों में बांटने की भी सिफारिश की है। शास्त्रीय काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत। सिफारिश के अनुसार रामायण और महाभारत को शास्त्रीय काल के अंतर्गत पढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा है। समिति ने कहा कि छात्रों को ये पता होना चाहिए कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था। छात्रों के पास इन महाकाव्यों के बारे में बुनियादी ज्ञान होना जरूरी है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो रामायण और महाभारत से जुड़े कुछ प्रमुख अंश किताबों में शामिल किए जा सकते हैं।