NEW DELHI. इन दिनों डीपफेक के जरिए बनाए गए रश्मिका मंदाना के वीडियो की जमकर चर्चा हो रही है। अमिताभ बच्चन से लेकर खुद रश्मिका मंदाना भी इस पर हैरत जता चुके हैं। दरअसल सोशल मीडिया में लाखों लोगों ने डीपफेक के जरिए बनाए गए इस वीडियो को असली समझ लिया था, इस वीडियो को इतनी बारीकी से डॉक्टर्ड किया गया था कि रश्मिका को जानने वाले भी इस पर विश्वास कर बैठे थे।
सबसे पहले रश्मिका की प्रतिक्रिया
इस वीडियो की सच्चाई सामने आने के बाद रश्मिका मंदाना ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि ईमानदारी से कहूं तो ऐसा कुछ न केवल मेरे लिए, बल्कि हममें से हर एक के लिए बेहद डरावना है। अगर मेरे साथ ये तब हुआ होता, जब मैं स्कूल या कॉलेज में होती, तो मैं इससे निपटने का सोच भी नहीं सकती थी।
क्या है डीपफेक?
डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल जमकर पोर्नोग्राफी के लिए किया जा रहा है। इसका उपयोग धोखाधड़ी, सेलिब्रिटी को बदनाम करने के साथ-साथ इलेक्शन में हेर-फेर, सोशल इंजीनियरिंग और फाइनेंशियल फ्रॉड के लिए भी किया जा रहा है।
एमा वॉटसन और स्कारलेट जोहानसन भी हो चुकीं शिकार
डीपफेक शब्द का खुलासा पहली मर्तबा साल 2017 में हुआ था, जब अमेरिका के सोशल न्यूज एग्रीगेटर रेड्डिट पर डीपफेक आईडी से कई सेलिब्रिटीज के वीडियो पोस्ट किये गए थे। जिसमें एक्ट्रेस एमा वॉटसन, स्कारलेट जोहानसन और गैल गैलोट के पोर्न वीडियोज थे।
भारत में नहीं अलग से कोई कानून
भारत में इसके शिकार लोगों के लिए कोई कानून या नीति नहीं बनाई गई है। इस प्रकार के तमाम मामले आईटी एक्ट के तहत ही सुने जाते हैं। हां ऐसे वीडियो या जानकारी फैलाने वाले को आईटी एक्ट के तहत 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान जरूर है।
क्या कहते हैं साइबर लॉ एक्सपर्ट?
साइबर लॉ एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर किसी के साथ डीपफेक जैसा कुछ होता है तो वह स्थानीय पुलिस और साइबर सेल में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पुलिस धोखेबाजों का आईपी एड्रेस पता लगा सकती है और उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। हालांकि यदि अपराधी विदेश में हो तो फिर उस पर कार्रवाई में काफी दिक्कत आती है।