खरगोन दंगे में सरकारी-निजी प्रॉपर्टी के नुकसान की वसूली होगी, ट्रिब्यूनल का गठन

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Shivasheesh Tiwari
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खरगोन दंगे में सरकारी-निजी प्रॉपर्टी के नुकसान की वसूली होगी, ट्रिब्यूनल का गठन

Khargone. यहां सांप्रदायिक दंगों (communal riots) से हुई सरकारी और प्राइवेट प्रॉपर्टी (Private Property) के नुकसान की पहली वसूली की जाएगी। इसके लिए सरकार ने ट्रिब्यूनल (Tribunal) का गठन किया है। राज्य सरकार (State Government) ने इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज शिवकुमार मिश्रा (Shivkumar Mishra) को ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष और रिटायर्ड सेक्रेटरी प्रभात पाराशर (Prabhat Parashar) को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है। ट्रिब्यूनल का मुख्यालय खरगोन (Khargone) में रहेगा। यहां लोग उपद्रवकारियों (Nuisance) के नुकसान के दावों संबंधी क्लेम कर सकेंगे। प्राप्त आवेदनों पर 3 महीने में क्लेम डिक्लेयर करने होंगे।



मध्यप्रदेश में नुकसान की वसूली का नियम



उत्तर प्रदेश की तर्ज पर दिसंबर 2021 को मध्य प्रदेश में भी वसूली वाला विधेयक पारित हो गया था। इस कानून से मध्यप्रदेश में पत्थरबाजों की खैर नहीं होगी। राज्य में सरकारी और प्राइवेट संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से सीधे वसूली की जाएगी। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 'मध्य प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण व नुकसान की वसूली विधेयक-2021' सदन में पेश पास हो गया था। इस विधेयक को प्रदेश के विधि एवं विधायी कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विपक्षी दलों के विरोध के बीच पटल पर रखा था। बिना चर्चा के ही इस विधेयक पारित कर दिया गया। 



सरकार कैसे करेगी वसूली, क्या हैं बड़ी बातें?




  • प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगों, हड़ताल, बंद, प्रदर्शन, जुलूस या व्यक्तियों समूह द्वारा सरकारी या निजी संपत्ति को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई की जाएगी। इनमें केंद्र, राज्य, स्थानीय निकाय के साथ ही सहकारी संस्थाओं की संपत्तियां शामिल हैं।


  • राज्य सरकार द्वारा ऐसे क्षेत्र या ऐसी अवधि के लिए क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन करेगी, जो इस विधेयक में उल्लेखित सरकारी या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने से संबंध में प्रतिकर नियत कर सकें।

  • राज्य सरकार सेवानिवृत्त जिला जज एवं राज्य सरकार से सेवानिवृत्त सचिव को क्लेम ट्रिब्यूनल में नियुक्त कर सकेगी।

  • सरकारी संपत्ति पर जिला मजिस्ट्रेट या कार्यालय प्रमुख द्वारा निजी संपत्ति की नुकसान पर संपत्ति का मालिक या संपत्ति का नियंत्रणकर्ता क्लेम ट्रिब्यूनल के पास 30 दिन के भीतर आवेदन कर सकेंगे।

  • क्लेम ट्रिब्यूनल ऐसे क्लेम कमिश्नर को नियुक्त कर सकेगा जो उसे नुकसान के संबंध में जांच में मददगार हो सके।

  • नुकसान की वसूली, संपत्ति नुकसान करने वाले व्यक्ति के साथ ही इसके लिए उकसाने वालों से भी किया जा सकेगा। क्लेम ट्रिब्यूनल मूल नुकसानी की दोगुना तक के अवॉर्ड पारित कर सकेंगे। 15 दिन के अंदर वसूली रकम भरनी होगी। अगर नहीं किया तो ब्याज भी भरना होगा। क्लेम के दौरान हुआ खर्च भी देना होगा।

  • क्लेम ट्रिब्यूनल का हर्जाना या फिर मुआवजे का निर्धारण आवेदन करने के 3 महीने के अंदर करना होगा।

  • क्लेम ट्रिब्यूनल के द्वारा नुकसान की वसूली का अवार्ड घोषित किए जाने के 15 दिन में राशि जमा नहीं करने पर क्लेम ट्रिब्यूनल जिला कलेक्टर को प्रमाण पत्र जारी कर सकेंगे।

  • क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश केवल माननीय उच्च न्यायालय में अवार्ड पारित होने के 90 दिन में चैलेंज किए जा सकेंगे।



  • क्या दंगाइयों से वसूली जा सकती है नुकसान की कीमत



    इस बारे में सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम 1984 है। इसके प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी साबित होता है तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है। इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। कानून के मुताबिक सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाने के दोषी को तब तक जमानत नहीं मिल सकती, जब तक कि वो नुकसान की 100 फीसदी भरपाई नहीं कर देता है। सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम 1984 केंद्रीय कानून है। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों ने इस बारे में अपने-अपने कानून बना रखे हैं। केंद्रीय कानून के अलावा राज्यों के कानून के मुताबिक ऐसे मामलों में दोषियों को सजा सुनाई जाती है।




    संपत्ति के नुकसान को लेकर राज्यों ने बनाए हैं कानून



    केरल में पिछले दिनों सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश का मसला काफी उछला था। इसको लेकर राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का काफी नुकसान पहुंचा। इससे निपटने के लिए केरल सरकार एक नया बिल लेकर आई। केरल की विधानसभा में Kerala Prevention of Damage to Property and Payment of Compensation Ordinance 2019 पेश किया गया था। इसमें पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान को सार्वजनिक या सरकारी संपत्ति के नुकसान के बराबर ही माना गया है। इस बिल के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी विरोध प्रदर्शन में पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है। इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है। केरल के इस एक्ट के मुताबिक अगर हिंसक विरोध प्रदर्शन में विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ हो या फिर आगजनी हुई हो तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है।



    सुप्रीम कोर्ट ने जारी की है गाइडलाइंस




    • सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी गाइडलाइंस जारी की है। 2007 में सार्वजनिक संपत्ति के भीषण नुकसान की खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। उस वक्त हिंसक विरोध प्रदर्शन, बंद और हड़ताल में सरकारी संपत्ति का खूब नुकसान हुआ था।


  • सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में कानून में बदलाव के लिए दो कमिटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज केटी थॉमस और सीनियर वकील फली नरीमन को कमेटियों का प्रमुख बनाया गया था। 2009 में इन दोनों कमिटियों की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति को लेकर कुछ गाइडलाइंस जारी किए थे।

  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने गाइडलाइंस में सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान होने की स्थिति में सारी जिम्मेदारी नुकसान के आरोपी पर डाली है। गाइडलाइंस के मुताबिक अगर सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होता है तो कोर्ट ये मानकर चलती है कि नुकसान का आरोपी इसका जिम्मेदार है। आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना होता है। निर्दोष साबित होने तक कोर्ट उसे जिम्मेदार मानकर चलती है। नरीमन कमिटी ने कहा था कि ऐसे मामलों में दंगाइयों से सार्वजिनक संपत्ति के नुकसान की वसूली की जाए।

  • हालांकि विरोध प्रदर्शनों में सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान को वसूल पाना बहुत मुश्किल होता है। 2015 में गुजरात में हुए पाटीदार आंदोलन में सार्वजनिक संपत्ति का बहुत नुकसान हुआ। हार्टिक पटेल को सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का आरोपी बनाया गया। लेकिन उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि हार्दिक पटेल के कहने पर हिंसा फैली। हार्दिक पटेल से कोई वसूली नहीं हुई।



  • सबसे पहले योगी सरकार लाई थी विधेयक



    सबसे पहले यूपी की योगी सरकार 'उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेजेज टु पब्लिक ऐंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश-2020' लेकर आई थी। उत्तर प्रदेश में जुलूस, प्रदर्शन, बंदी, हड़ताल के दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ वसूली का आदेश होते ही उनकी संपत्तियां कुर्क किए जाने का प्रावधान था। 



    CM योगी के कदमों पर चली थी खट्टर सरकार



    हरियाणा में एक के बाद एक हो रहे आंदोलनों में उपद्रवियों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की मंशा भांपते हुए हरियाणा सरकार 'संपत्ति क्षति वसूली विधेयक-2021' लेकर आई थी। इसमें उपद्रवियों से भारी-भरकम जुर्माने की वसूली से लेकर जेल की सजा का प्रावधान है। हालांकि संपत्ति क्षति वसूली ट्रिब्यूनल को लेकर हरियाणा सरकार के विधेयक में साफ था कि ट्रिब्यूनल न तो स्थायी होगा और न ही पूरे प्रदेश के लिए। यह केवल उन जिलों में काम करेगा जहां पर हिंसा से निजी या सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है।  



    विपक्ष ने सरकार को घेरा



    कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुलडोजर के सहारे बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर बुलडोजर चलाना चाहिए लेकिन बीजेपी के बुलडोजर पर तो नफरत और दहशत सवार है। उनका इशारा मध्य प्रदेश के खरगौन में रामनवमी पर हुई हिंसा के आरोपियों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए जाने की ओर था।




    — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 12, 2022



    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा कि ‘भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है जिसका मतलब पवित्रता का प्रतीक होता है। राम नवमी पर असहिष्णुता, हिंसा और घृणा के कृत्य किए जा रहे हैं।’ उन्होंने सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि ‘देश के शीर्ष नेता नफरत के प्रसार को देखने और सुनने से इनकार करते हैं। वे मौन हैं।’





    — P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 12, 2022


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