BHOPAL. आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि हमारे देश में दिनरात मेहनत-मजदूरी करने वाले किसान से ज्यादा कमाई गली-मोहल्लों में भीख मांगने वाले भिखारियों की है। एक यूनिवर्सिटी और एक स्वयंसेवी संस्था के अध्ययन के मुताबिक, देश में लोग भिखारियों को हर साल करीब 2900 करोड़ रुपए दे देते हैं। सरकारी आकलन के अनुसार, भारत में करीब 4.17 लाख भिखारी हैं। इस लिहाज से भिखारियों की औसत आमदनी 4800 रुपए है। जबकि पूरे महीने मेहनत करने के बाद भी एक किसान केवल 3798 रूपए ही कमा पाता है।
किसान परिवार की औसत आय 10 हजार रुपए
कुछ महीने पहले NSSO की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि एक औसत किसान परिवार की कुल आय 10,218 रु. महीना है। इसमें खेती से 3798 रुपए मिलते हैं। बाकी आय मजदूरी/पगार, पशुपालन, गैर-कृषि व्यवसाय और जमीन किराए से होती है। सरकार ने भीख मांगने के खिलाफ कानून बनाने की भी पहल की है।
लोगों का भीख देने में ज्यादा भरोसा
एक अध्ययन में पाया गया कि मिडिल क्लास किसी समाजसेवी संस्था को दान देने के बजाय भीख देना ज्यादा पसंद करता है। दानदाता 70% धार्मिक संस्थाओं और मंदिरों को दान देने में विश्वास रखते हैं और 12% भिखारियों को देने में। गैर धार्मिक संस्थाओं को केवल 5 फीसदी दान मिलता है। हर साल इन तमाम मदों में करीब 23.70 करोड़ रुपए दान किए जाते हैं। जनकल्याण में लगी स्वयंसेवी संस्थाओं का सीधे धार्मिक संस्थाओं से ना जुड़ा होना शायद आम दानकर्ता को ज्यादा उदासीन बनाता है।
भीख मंगवाने पर सजा का प्रावधान
किशोर न्याय अधिनियम, 2000 की धास 24 की उप-धारा (1) में यह प्रावधान है कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी किशोर अथवा बच्चे से भीख मंगवाता है या इस उद्देश्य से रोजगार पर रखता हैं तो उसे तीन साल तक की सजा दी जा सकती हैं। साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता हैं।