देश इस बार अपना 73वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में अनोखा होगा। इस साल राजपथ पर आजादी के अमृत महोत्सव की छटा देखने को मिलेगी। गणतंत्र दिवस पर पहले भी बहुत कुछ पहली बार होता रहा है। आइए आपको बताते हैं गणतंत्र दिवस से जुड़ी कुछ कहानियां।
इरविन एम्फीथिएटर में मनाया गया पहला गणतंत्र दिवस: 26 जनवरी 1950 की है। मतलब आजाद हिंदुस्तान के गणतांत्रिक होने का पहला दिन। वह दिन जिसका करीब 200 सालों से ज्यादा वक्त से इंतजार था। गणतंत्र दिवस समारोह पहली बार राजपथ पर नहीं बल्कि इरविन एम्फीथिएटर में मनया गया था। आजादी के दो साल बाद 1951 में इस इरविन एम्फीथिएटर का नाम नेशनल स्टेडियम करके इसमें देसी होने का फील दिया गया।
गणतंत्र दिवस पर पहले विदेशी मेहमान: पहली बार मनाए जा रहे गणतंत्र दिवस समारोह में विदेशी मेहमान के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो पहुंचे थे। भारत ने सुकर्णो को विदेशी मेहमान के तौर पर बुलाकर पश्चिमी देशों को संदेश दिया था कि एशिया में अब सम्राज्यवादियों के दिन ढलने लगे हैं।
पहली बार बग्घी में बैठ समारोह में पहुंचे राष्ट्रपति: पहले गणतंत्र दिवस समारोह में राजेंद्र प्रसाद बग्घी में बैठकर रायसीना हिल्स से इर्विन एम्फीथियेटर पहुंचे थे। आजादी मिलने के बाद राजेंद्र बाबू चाहते तो अंग्रेजी कार में भी बैठकर जा सकते थे। लेकिन राजेंद्र बाबू ठेठ हिंदुस्तानी बग्घी पर बैठकर जब निकले तो लोगों ने देश की आजादी को दिल से महसूस किया था।
राजपथ पर हुई गणतंत्र दिवस की पहली परेड: 1955 में पहली बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन हुआ। इसके बाद हर साल इस कार्यक्रम का आयोजन इसी राजपथ पर होता आ रहा है। इसी साल भारतीय सेना और दिल्ली पुलिस के जवान राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को सैल्यूट दे रहे हैं।
जब RSS की टुकड़ी को समारोह में शामिल किया: 26 जनवरी 1963 की बात है। इस दिन जब पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 3 हजार से ज्यादा कार्यकर्ता राजपथ पर सजधज कर परेड करने उतरे तो ‘भारत माता की जय’ के गगनभेदी नारे लगने लगा।पंडित जवाहर लाल नेहरू ने खुद RSS को इस परेड में शामिल होने का न्योता दिया था।
इंदिरा गांधी ने लोक कलाकारों के साथ किया नृत्य: 1966 में देश के PM लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद इंदिरा के हाथ में देश की सत्ता आई। प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद ही गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान इंदिरा खुद को रोक नहीं पाई और लोक कलाकारों के साथ नृत्य करने लगीं। उस वक्त देश-विदेश के मीडिया में इंदिरा गांधी की इस तस्वीर ने कोहराम मचा दिया था।
जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल लोगों के बीच आई: बंग्लादेश विभाजन के दो साल बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद तल्ख थे। ऐसे में गणतंत्र दिवस समारोह में हिंदुस्तान ने पहली बार राजपथ पर अपने शौर्य और ताकत का प्रदर्शन किया।
पहली महिला राष्ट्रपति ने ली परेड की सलामी: आजादी के 60 साल बाद देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल बनीं। राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल राजपथ पर परेड की सलामी ले रही हैं। जिस गणतंत्र ने महिला और पुरुषों को बराबरी का अधिकार दिया था। उसी गणतंत्र ने देश के सर्वोच्च पद पर एक महिला को बिठा दिया।
पहली बार गणतंत्र दिवस पर देश हुआ शर्मसार: 26 जनवरी 2021..एक तरफ राजपथ पर गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा था। वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली की सड़कों पर लाखों किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर रैली निकाल रहे थे। इसी दौरान कुछ असामाजिक तत्व तमाम सुरक्षा बेरिकेड को तोड़कर लाल किले तक पहुंच गए।