भोपाल. कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' (Sunrise Over Ayodhya) में हिंदुत्व की तुलना बोको हरम और इस्लामिक स्टेट (ISIS) से करने के बाद बवाल मचा हुआ है। शुक्रवार को मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने कहा कि मध्यप्रदेश में ये किताब बैन (Book Ban Controversy) करेंगे। इसको लेकर विधि विशेषज्ञों से कानूनी (Law) राय ली जाएगी। उन्होंने कहा कि खुर्शीद ने बहुत निंदनीय पुस्तक छाप दी है। हिंदुत्व को खंडित करने का, हिंदू को जाति में बांटने का, कोई अवसर ये लोग नहीं छोड़ते। भारत देश को खंडित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते।
महान भारत को बदनाम करना चाहते हैं- मिश्रा
कांग्रेस देश को खंडित करने की बात करती है और #SalmanKhurshid ने अपनी किताब Sunrise Over Ayodhya में उसी विचार को आगे बढ़ाया है।
हम इस किताब को #MadhyaPradesh में बैन करने को लेकर विधि-विशेषज्ञों से राय लेंगे। pic.twitter.com/v1gRGjkuAB
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) November 12, 2021
गृहमंत्री मिश्रा ने बताया कि 'भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह कहने वाले के पास सबसे पहले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) गए थे। ये वही विचार है, जिसे सलमान खुर्शीद आगे बढ़ा रहे हैं। महान भारत नहीं बदनाम भारत है, जो कमलनाथ जी (Kamalnath) ने कहा था, ये उसी का हिस्सा है। कैसे भी देश जातियों में बंट जाए। हिंदुत्व के टुकड़े हों और इसलिए वजह से हमारी आस्था पर प्रहार करने का कभी कोई अवसर नहीं छोड़ा। जिस हिंदुत्व के बारे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कह चुका है कि हिंदुत्व एक जीवनपद्धति है। उस हिंदुत्व पर भी उन्होंने सवाल उठा दिए। अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) जी इसे स्पष्ट करें कि वो किसके साथ हैं।'
खुर्शीद के इस कोटेशन पर मचा बवाल
खुर्शीद ने अपनी किताब में लिखा है कि 'सनातन और शास्त्रीय हिंदू धर्म को संतों और मनीषियों के लिए जाना जाता है, उसे मौजूदा हिंदुत्व किनारे कर रहा है और उसके तमाम राजनैतिक स्वरूप ISIS और बोको हरम जैसे इस्लामी संगठनों जैसे हैं।'
पार्टी नेता ही कर रहे विरोध
खुर्शीद के पार्टी सहयोगी गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने किताब के एक विवादास्पद हिस्से को गलत करार दिया है। आजाद ने कहा कि 'हम हिंदुत्व के साथ एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन आईएसआईएस और जिहादी इस्लाम के साथ इसकी तुलना करना तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिशयोक्ति है।'