यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने प्रिजन वैन में बैठने से क्यों किया इनकार, क्यों बोले- हाथ-पैर तोड़कर मुझे ले चलो

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Rahul Garhwal
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यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने प्रिजन वैन में बैठने से क्यों किया इनकार, क्यों बोले- हाथ-पैर तोड़कर मुझे ले चलो

RAMPUR. 2 जन्म प्रमाण पत्र से जुड़े मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को रविवार (22 अक्टूबर) सुबह रामपुर से सीतापुर जेल में शिफ्ट किया गया। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को भी हरदोई जेल लाया गया। आजम-अब्दुल्ला को सुबह 5 बजे रामपुर जेल से रवाना किया गया। जेल से निकलने के बाद आजम ने कहा कि हमारा एनकाउंटर भी किया जा सकता है। कुछ भी हो सकता है।

आजम क्यों बोले- हमारे हाथ-पैर तोड़कर ले चले

आजम इस दौरान थोड़ा परेशान दिखे। वे बार-बार बेटे अब्दुल्ला से बात कर रहे थे। उन्होंने बेटे से 2 चादरें भी मांगी। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उनसे कहा, आप चिंता मत करिए, हम है न। फिर पुलिस वाले आजम को गाड़ी की बीच की सीट पर बैठाने लगे। तो उन्होंने बैठने से मना कर दिया। कमर में दर्द का हवाला दिया। पुलिसकर्मियों से कहा कि हमारे हाथ-पैर तोड़ कर ले चलो।

7-7 साल की सुनाई गई है सजा

आजम 9 बजकर 24 मिनट पर सीतापुर जेल पहुंचे थे, जबकि अब्दुल्ला सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर हरदोई जेल पहुंचा। आजम 20 मई 2022 को सीतापुर जेल से रिहा हुए थे। 16 महीने 22 दिन बाद आज फिर वहीं पहुंच गए हैं। बता दें कि 2 जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर कोर्ट ने बुधवार को आजम, पत्नी तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला को 7-7 साल की सजा सुनाई। आजम की पत्नी तंजीन फातिमा रामपुर जेल में हैं।

2019 में आकाश सक्सेना ने दर्ज करवाया था केस

बीजेपी नेता और विधायक आकाश सक्सेना ने साल 2019 में रामपुर के गंज थाने में अब्दुल्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। ये केस 2 जन्म प्रमाण पत्रों से जुड़ा था। इसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम, उनकी पत्नी डॉ. तंजीन को भी आरोपी बनाया था। पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। तब से यह मामला एमपी/एमएलए कोर्ट में चल रहा था। मामले में आजम खान के पक्ष की ओर से जिला जज की अदालत में रिवीजन दाखिल की गई थी। जिसे सेशन कोर्ट ने रद्द कर दिया था।

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आजम फैमिली के पास अब क्या विकल्प ?

कानूनी जानकारों के अनुसार, 3 साल से ज्यादा सजा होने के चलते फिलहाल उन्हें जेल भेजा जाएगा। इसके बाद 30 दिन के अंदर वह इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। उनके वकील जजमेंट एनालिसिस करेंगे, तमाम बिंदुओं को जांचकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

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