Mumbai. महाराष्ट्र में मचा सियासी घमासान(Maharashtra Political Crisis) दिन प्रतिदिन तेज होता जा रहा है। पल-पल नए घटनाक्रम(
new developments) सामने आ रहे हैं जिसके बाद राजनीति तेजी से गर्मा रही है। मुंबई से संजय राऊत(Sanjay Raut) तो गुवाहाटी से शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे(Shiv Sena rebel MLA Eknath Shinde) मोर्चा संभाले हुए हैं। दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप(Counter charges) का दौर जारी है। सत्ता के संघर्ष के लिए मची ये लड़ाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है। साथ ही सियासी संघर्ष अब संग्राम में बदल चुका है। शिवसेना समर्थक(Shiv Sena Supporter) अब सड़कों पर उतरकर हिंसा(violence) पर उतारू हो गए हैं। इसी बीच अब एक और टिवस्ट सामने आया है। बताया जा रहा है कि शिंदे कैंप के विधायक मनसे प्रमुख राज ठाकरे(MNS chief Raj Thackeray) के पाले में जा सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो उद्धव के लिए बड़े झटका होगा। सूत्रों के मुताबिक एकनाथ की राज ठाकरे से बात चल रही है। इसके पीछे कारण यह है कि शिंदे के पास दो तिहाई, यानी 37 से ज्यादा विधायकों का समर्थन होने के बावजूद विधानसभा में अलग पार्टी की मान्यता मिलना आसान नहीं है। अगर बागी गुट राष्ट्रपति चुनाव से पहले मसले का हल चाहता है तो उसके पास सबसे आसान रास्ता खुद का किसी दल में विलय करना है। ऐसे में एक बड़ी संभावना मनसे में शामिल होने की ही है।
विचारधारा एक
मनसे नेताओं के अनुसार राजनीति में कभी कोई संभावना खत्म नहीं होती है। दोनों पक्षों के लोगों की विचारधारा एक जैसी है, इसलिए अगर वे साथ आते हैं तो यह महाराष्ट्र की जनता के लिए अच्छा ही होगा। हालांकि, अभी सिर्फ दोनों पक्षों के बीच चर्चा शुरू हुई है। इस बीच, एकनाथ शिंदे ने भी राज ठाकरे से तीन बार बात की है। हालांकि, मनसे नेता ने इसे राज ठाकरे की सेहत जानने के लिए किया गया फोन बताया है।
इसलिए कर सकता है विलय
राजनीतिक जानकारों की मानें तो शिंदे गुट डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल द्वारा अपात्र करार दिए गए अपने 16 विधायकों को बचाने के लिए जल्द से जल्द पहले से मौजूद किसी राजनीतिक दल से विलय करना चाहती है। मनसे का भले ही विधानसभा में एक विधायक है, लेकिन पार्टी लगभग पूरे महाराष्ट्र में स्थापित है। ऐसे में किसी अन्य दल के साथ विलय की जगह शिंदे गुट के लिए मनसे सबसे सटीक पार्टी होगी। दोनों बाला साहब की विचारधारा से प्रभावित हैं और उनकी तरह ही कट्टर हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं।
मनसे का BJP में विलय होने बात भी आई थी सामने
महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना को पटखनी देने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली थी। सूत्रों के मुताबिक, कई दौर की बातचीत के बाद दोनों दलों के 14 जून को विलय की चर्चा भी शुरू हो गई थी। इस गठबंधन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी हरी झंडी दिखा दी थी। ऐसे में माना जा रहा है कि शिंदे गुट को मनसे में जोड़ BJP अपने प्लान को सफल कर सकती है।
संघ भी समर्थन में
चर्चा यह भी थी कि आगामी महानगर पालिका चुनावों में भाजपा मुंबई और पुणे में मनसे को कुछ सीटें देगी। शेष राज्य में भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के मुताबिक, इस बारे में मनसे और BJP के बीच अंतिम अहम बैठक 21 अप्रैल को हुई थी। इसमें संघ के लोग भी मौजूद थे। इसी बैठक में गठबंधन पर सैद्धांतिक सहमति बनी। सीटों के बंटवारे सहित कुछ अन्य सवाल पर बाद में फैसला किया गया।
प्रहार संगठन का भी ऑप्शन
गुवाहाटी के होटल में रह रहे बागी विधायकों के पास मनसे के अलावा दो और विकल्प भी हैं। पहला कथित तौर पर उन्हें अब तक पर्दे के पीछे से समर्थन देती आ रही भारतीय जनता पार्टी और दूसरा शिवसेना के 39 विधायकों के साथ ही गुवाहाटी में बैठे विधायक बच्चू कड़ू की प्रहार पार्टी का। प्रहार पार्टी के अध्यक्ष बच्चू कड़ू अब तक शिवसेना सरकार में मंत्री हैं। हालांकि, बच्चू के लिए कहा जाता है कि वे अपने दम पर चुनाव जीत कर आते रहे हैं, लेकिन वे एकनाथ शिंदे के अधीन नहीं रहेंगे।
हिंदुत्व पर शिवसेना की ढीली पकड़
पिछले कुछ महीनों से मनसे प्रमुख राज ठाकरे महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों को लेकर महाविकास अघाड़ी सरकार पर हमलावर हैं। वे इस मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार की आलोचना और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तारीफ भी कर चुके हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में कभी मराठी मानुष और कट्टर हिंदुत्व की समर्थक माने जाने वाली शिवसेना की हिंदुत्व के मुद्दों पर पकड़ ढीली होने से राज ठाकरे को फ्रंट-फुट पर खेलने का मौका मिल गया है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज ठाकरे का हिंदुत्व एजेंडा अचानक नहीं, बल्कि सोच-समझकर उठाया गया कदम है और ये MNS के राजनीतिक विस्तार का हिस्सा है। इसलिए शिंदे गुट के मनसे में विलय की संभावना प्रबल नजर आ रही है।
इमेज भी सुधार सकती है मनसे की
मुंबई में 26% मराठी वोटर्स हैं, जबकि बाकी 64% में उत्तर भारतीय, गुजराती और अन्य शामिल हैं। ये BJP के साथ शिवसेना को भी वोट करते हैं। ऐसे में अगर मनसे में शिंदे गुट का विलय होता है तो राज ठाकरे की पार्टी को बड़ा विस्तार और MNS की उत्तर भारतीय विरोधी पार्टी होने की इमेज भी धुल सकती है।
इसलिए बन रही हैं संभावनाएं
दोनों पक्ष बाला साहब ठाकरे को अपना नेता और उनकी हिंदुत्व की विचारधारा को अपनी विचारधारा बता रहे हैं। दोनों के साथ आने से जमीनी कार्यकर्ताओं में टकराव की स्थिति पैदा नहीं होगी। कांग्रेस और NCP के साथ शिवसेना के जाने के कारण असंतुष्ट हुआ शिवसैनिक भी मनसे को स्वीकार कर लेगा। BJP उद्धव ठाकरे की शिवसेना को डैमेज करने के लिए राज ठाकरे को नए हिंदुत्व नेता के तौर पर उभारना चाहती है। इसलिए यह राज ठाकरे के लिए सबसे बड़ा मौका होगा। राज भी अपनी पार्टी में नया प्राण फूंकना चाहते हैं। ऐसे में अगर शिंदे गुट उनके साथ आता है और वे BJP के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाते हैं तो उनकी पार्टी मजबूती से पूरे महाराष्ट्र में स्थापित हो जाएगी। BJP की योजना है कि MNS को मिलाकर वे उद्धव की शिवसेना के वोटों में सेंध लगा सकते है। इससे मुंबई, पुणे और राज्य के अन्य नगर निगम चुनावों पर काफी असर पड़ेगा।BJP को उम्मीद है कि MNS शिंदे गुट और भगवा झंडे के साथ अपने नए अवतार में स्थानीय निकाय चुनावों में, कम से कम बड़े शहरों-मुंबई, ठाणे, कल्याण-डोंबिवली और नासिक में जीत सकती है। BJP और राज ठाकरे की नजदीकी की वजह से उन शिवसैनिकों को वैकल्पिक मंच मिल गया है, जो कि उद्धव ठाकरे की हिंदुत्व विचारधारा के कमजोर होने से नाराज हैं।
संगठन पर अब भी उद्धव की पकड़
शिवसेना के 55 में से 39 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं, लेकिन संगठन के मोर्चे पर उद्धव ही शिंदे पर भारी हैं। शिवसेना संगठन में 12 नेता, 30 उप-नेता, 5 सचिव, एक मुख्य प्रवक्ता और 10 प्रवक्ता में से अधिकांश उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं।