Katni. शहर में पंचायत चुनाव की मतगणना के बाद देश विरोधी नारे लगाए गए। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो शहर से लगी चाका ग्राम पंचायत का बताया जा रहा है। इसमें एक प्रत्याशी के जीतने के बाद उत्साह में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगने लगे। वीडियो में समर्थक 'जीत गया भाई जीत गया पाकिस्तान जीत गया' के नारे लगाते सुनाई दे रहे हैं। ये वीडियो पंचायत चुनाव के दूसरे चरण की मतगणना के बाद शुक्रवार रात का बताया जा रहा हैं। जो शनिवार को सामने आया।
लोगों की भीड़ थाने पहुंची
पाकिस्तान परस्ती के नारे वाले इस कथित वीडियो के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। शनिवार सुबह गांव के आक्रोशित लोगों की भीड़ थाने पहुंची और इस मामले में शिकायत करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि युवाओं ने पहले गांव में रैली निकालकर नारेबाजी की, इसके बाद प्रत्याशी के घर के पास पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि नारे लगा रहे कई लोगों को वह जानते हैं। वहीं नारे लगा रहे लोगों में कुछ के बाहरी होने का दावा भी उन्होंने किया।
दूसरी ओर कुठला टीआई रोहित डोंगरे ने बताया कि मामला जांच में है। । प्रत्याशी की जीत के बाद उत्साह में कुछ लोग नारे लगा रहे हैं लेकिन क्या बोल रहे हैं। यह जांच का विषय है। इसकी जांच करवाई जाएगी। यदि मामले में कोई दोषी निकला तो कार्रवाई भी होगी। विजयी प्रत्याशी का नाम रहीसा वाजिद खान है। उनके समर्थन में ही देश विरोधी नारे लगाने का मामला सामने आया है। हालांकि इस वीडियो की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है।
पहले भी हुईं थी शिकायतें
इससे पहले कटनी ब्लाक स्थित चाका गांव में बांग्लादेशियों को बसाने का आरोप लमतरा उद्योग संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने पूर्व सरपंच रहीसा बेगम और उनके पति शेख वाजिद पर लगाए थे। इस तरह की शिकायत कलेक्टर प्रियंक मिश्रा को 23 मई को की गई थी। इसके बाद कलेक्टर ने शिकायत को आगे बढ़ाते हुए एसपी सुनील जैन के पास भेजी थी। आरोप की जांच के लिए एसपी ने क्षेत्र से संबंधित कुठला थाने को निर्देशित किया था। इस मामले में जब कुठला थाना प्रभारी रोहित डोंगरे बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरपंच पति शेख वाजिद को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था। वाजिद ने अपने उन पर लगे आरोपों को निराधार बताया है। मामले की तथ्यात्मक जांच के लिए कुठला पुलिस ने ग्राम चाका में मुख्य सड़क किनारे पंचर की दुकानें खोलकर रह रहे लोगों से पूछताछ भी की थी, लेकिन उनके बांग्लादेशी होने के प्रमाण अभी तक नहीं मिले थे। आगे मामले की जांच की जा रही थी।