Uttarkashi. उत्तराखंड में उत्तरकाशी टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों का रेस्क्यू गुरुवार देर रात फिर रोक दिया। सरिया आने के कारण अचानक पाइप डालने वाली ऑगर मशीन का प्लेटफॉर्म टूट गया। जिसके चलते रेस्क्यू शुक्रवार (24 नवंबर) सुबह तक के लिए रोक दिया गया। इससे पहले गुरुवार दोपहर 1.15 बजे मजदूरों तक पहुंचने के लिए बाकी 18 मीटर की खुदाई शुरू की गई, लेकिन 1.8 मीटर की ड्रिलिंग के बाद मलबे में सरिया आने से खुदाई रोकनी पड़ी। इसे दिल्ली से हेलिकॉप्टर से पहुंचे 7 एक्सपर्ट्स ने ठीक किया। अधिकारियों ने बताया, गुरुवार (23 नवंबर) को ड्रिलिंग शुरू हुई। दिनभर में तीन मीटर तक खुदाई की गई। मजदूरों तक पहुंचने के लिए 10 मीटर की खुदाई ही बाकी है। रेस्क्यू शुक्रवार सुबह शुरू होगा। उधर, प्लेटफॉर्म की मरम्मत की जा रही है। कुल 60 मीटर ड्रिलिंग के बाद मजदूरों तक पहुंचा जा सकता है। ऐसे में उम्मीद है कि शुक्रवार को चंद घंटे में बाकी ड्रिलिंग भी पूरी हो जाएगी और किसी भी वक्त सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा।
मोदी ले रहे पल-पल की जानकारी
पूरा देश उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के बाहर निकलने का इंतजार कर रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरे रेस्क्यू मिशन का हर पल अपडेट ले रहे हैं। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी खुद टनल में फंसे मजदूरों से बात की है। दर्जनों देसी-विदेशी एक्सपर्ट सिलक्यारा सुरंग में मजदूरों को बचाने में जुटे हैं। फिर भी सुरंग के अंदर का मलबा हटने का नाम ही नहीं ले रहा।
वेल्डिंग के कारण मजदूरों के पास हो रही ऑक्सीजन की कमी
जानकारी के मुताबिक, हर 6 मीटर के पाइप को दूसरे पाइप से जोड़ने, उसके बाद उसको चालू करना और फिर उसे पुश करने में करीब 4 घंटे लगते हैं। सुरंग में पाइप डालने के दौरान वेल्डिंग किए जाने से सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों तक धुआं जाने लगा था। सुरंग के भीतर ऑक्सीजन कमी होने से सांस लेने में परेशानी होने लगी थी। इसके चलते इसे भी ध्यान में रखकर धीरे-धीरे किया जा रहा है।
ऐसे शुरू हुआ 41 जिंदगी बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन
- 12 नवंबर को मजदूर सुरंग में फंसे. कोई एक्शन प्लान काम नहीं आया।
- 13 नवंबर को सिर्फ मलबा रोकने के लिए कंक्रीट लगाया गया।
- 14 नवंबर को छोटी मशीन से ड्रिलिंग शुरु हुई।
- 15 और 16 नवंबर को ऑगर मशीन मंगवाई गई।
- 17 नवंबर से ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की गई।
- 18 नवंबर को इंदौर से और ऑगर मशीन एयरलिफ्ट की गईं।
- 19 नवंबर को NDRF, SDRF और BRO ने मोर्चा संभाला।
- 20 नवंबर को विदेश से टनलिंग एक्सपर्ट को बुलाया गया।
- 21 नवंबर को मजदूरों तक पहली बार पूरी डाइट पहुंचाई गई।
- 22 नवंबर को वर्टिकल ड्रिलिंग में बड़ी कामयाबी मिली।
- 23 नवंबर को रेस्क्यू टीम मजदूरों के काफी करीब पहुंची।
- 24 नवंबर को सुबह फिर ड्रिलिंग शुरू होगी।
मजदूरों तक सुरंग में पहुंचेगी डॉक्टरों की टीम
अमेरिकन ऑगर मशीन जैसे ही ड्रिलिंग पूरी करेगी, तो मजदूर पाइप से रेंगकर बाहर आते हुए बाहर निकलेंगे। ऐसे में उनके लिए बाहर स्वास्थ्य व्यवस्था भी पूरी कर दी गई है। सुरंग तक रेस्क्यू पाइप पहुंचने के बाद पहले डॉक्टर मजदूरों के पास जाएंगे और जांच के बाद टनल से बाहर निकलने में मदद करेंगे, क्योंकि रास्ते में कई नुकीले पत्थर हैं।
सुरंग के मलबे की दीवार गिरना बाकी
एक चिंता का कारण ये भी है कि ये मजदूर बीते 12 दिनों से टनल के भीतर हैं। वो फलों को खाकर जी रहे थे, दो दिन पहले ही उन्हें पहली बार गर्म खिचड़ी दी गई है। ये भी संभव है कि उन्हें कमजोरी हो। सुरंग के भीतर तापमान बाहर के मुकाबले गर्म है और बचाव कर रही टीम इस बात को भी ध्यान में रख रही है। मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बस सुरंग में मलबे की दीवार गिरना बाकी है।
मजदूर और रेस्क्यू टीम की जान खतरें में!
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने गुरुवार (23 नवंबर) को कहा, शुक्रवार तक हम मजदूरों को बाहर निकाल लेंगे। यह काम काफी चुनौती भरा है। ऐसी स्थिति में टनल में फंसे मजदूरों और रेस्क्यू टीम के सदस्य दोनों की जान खतरे में है। हमें दोनों की सुरक्षा का ख्याल रखना होगा।