Bengaluru. चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद दुनिया में भारत ने कई अहम जानकारियां दी हैं। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड से बाहर लाने की तैयारी तेज हो गई है। पिछले 16 दिनों से यह स्लीप मोड में थे। चंद्रमा के साउथ पोल पर आज (22 सितंबर) एक बार फिर से सूर्योदय होगा। इसके चलते इसरो चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर एक बार फिर ‘जगाने’ की कोशिश करेगा। आज का दिन भारत के लिए खास है, जिसे लेकर इसरो के वैज्ञानिकों ने भी तैयारी पूरी कर ली है। चांद के शिव शक्ति प्वाइंट पर सूर्योदय होने के साथ ही शुक्रवार को लैंडर और रोवर को एक बार फिर एक्टिव करने की कोशिश की जाएगी। इसरो लगातार चंद्र मिशन की हर हरकत पर नजर बनाए हुए है।
चंद्रमा पर तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होगा
इसरो के वैज्ञानिकों को विक्रम और प्रज्ञान का जागने की प्रक्रिया से महत्वपूर्ण घटना की होने की उम्मीद है। सूर्योदय के साथ ही चंद्रमा पर तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ जाएगा, इससे वैज्ञानिकों को संचार सर्किट को सक्रिय करने में मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया को ‘वेक-अप सर्किट’ के तौर पर जाना जाता है।
4 सितंबर को लैंडर और रोवर को पूरी तरह किया था चार्ज
इसरो ने विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान को दो और चार सितंबर को पूरी तरह चार्ज करने के बाद स्लीप मोड में डाल दिया था। दरअसल, चंद्रमा पर रात हो चुकी थी जिसके कारण वहां का तापमान माइनस 150 से माइनस 200 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में उपकरणों को नुकसान पहुंचने का खतरा था।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष बोले- लैंडर और रोवर पर मंडरा रहा खतरा
इसरो (एसएसी) के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान पिछले 16 दिनों से स्लीप मोड में हैं। इस दौरान सतह का तापमान -150 डिग्री सेल्सियस से अधिक था, ऐसे में बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य तंत्र कैसे काम करेंगे यह एक चिंता का विषय है। इसे खतरे के रूप में देखा जा रहा है।
माइनस 150 डिग्री सेल्सियस में तंत्र कैसे काम करेंगे?
पूर्व चेयरमैन जी माधवन ने कहा, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अब लगभग दो सप्ताह से गहरी नींद में हैं। यह लगभग फ्रीजर से किसी चीज को निकालकर उसकी जांच करने और फिर उसका उपयोग करने की कोशिश करने जैसा है। वहां का तापमान -150 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया होगा, उस तापमान में बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य तंत्र कैसे काम करेंगे, यह चिंता का विषय है। हालांकि, इसे दोबारा शुरू करने के लिए सतह की पर्याप्त जांच कर ली गई है, लेकिन फिर भी हम प्रार्थना कर रहे हैं।
सौर ताप से उपकरण और चार्जर बैटरियां गर्म होंगी
जी माधवन ने कहा, सौर ताप से वह उपकरण और चार्जर बैटरियां गर्म होंगी। यदि ये दोनों सफलतापूर्वक चार्ज हो जाती हैं, तो यह काफी अच्छा रहेगा और संभावना बन जाएगी कि सिस्टम फिर से चालू हो जाएगा। एक बार यह चालू हो जाए तो हम अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तक घूम सकेंगे और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर और अधिक डेटा इकट्ठा कर सकेंगे।
23 अगस्त को हुई थी सॉफ्ट लैंडिंग
भारत का चंद्रयान-3 मिशन 23 अगस्त सफल हो गया, जब यान ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। चांद इस हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना है। चांद पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और यान पर मौजूद अन्य पेलोड ने काफी अहम डेटा भेजे हैं, जिसमें वहां की मिट्टी, खनिज आदि की जानकारी शामिल थी।