NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी की वैधानिकता को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है। 8 दिसंबर 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर केंद्र से सवाल पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय नहीं करना चाहिए? क्या RBI एक्ट के तहत नोटबंदी की जा सकती है? नोटबंदी के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं। कोर्ट ने ये भी पूछा कि जिस तरह से नोटबंदी को अंजाम दिया गया, इस प्रक्रिया के पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है।
नोटबंदी की संवैधानिक वैधानिकता पर 5 जजों की बेंच में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है।
कोर्ट रूम में ये हुआ
- बेंच की अगुआई कर रहे जस्टिस नजीर ने पूछा- अब इस मामले में कुछ बचा है?
अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी
नोटबंदी की संवैधानिक वैधता को लेकर दाखिल की गई याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा। दोनों ने कोर्ट हलफनामे के लिए समय मांगा। मामले में अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।
उच्च मूल्य बैंक नोट (डिमोनेटाइजेशन, विमुद्रीकरण) अधिनियम 1978 जनहित में हाईवैल्यू नोटों के विमुद्रीकरण के लिए पारित किया गया था, ताकि अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक धन के अवैध हस्तांतरण की जांच की जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह घोषित करने के लिए कि अभ्यास एकेडमिक है या निष्फल है, इसकी जांच करनी होगी, क्योंकि दोनों पक्ष सहमत नहीं हैं।