NEW DELHI. पश्चिमी उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक स्कूली छात्र को सहपाठियों से पिटवाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर ये आरोप सही हैं तो यह चेतना को स्तब्ध करने वाला मामला है। बता दें कि महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी द्वारा दायर इस याचिका पर जस्टिस ए एस ओका की अगुवाई वाली बेंच सुनवाई कर रही है। बेंच ने कहा है कि प्रथम दृष्टया यूपी सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के प्रावधान लागू कराने में विफल दिखाई दे रही है।
वायरल हुआ था वीडियो
दरअसल मुजफ्फरनगर के एक निजी स्कूल का वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें शिक्षक एक मुस्लिम छात्र को साथ पढ़ रहे दूसरे छात्रों से पिटवाती नजर आ रही थी। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर की थी। तुषार गांधी ने इस मामले में याचिका दायर कर मामले की त्वरित जांच का अनुरोध किया है। याचिका में यह भी आरोप लगाए गए हैं कि राज्य में पुलिस का रवैया सही नहीं रहा। बता दें कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बच्चे को किसी भी प्रकार की शारीरिक प्रताड़ना नहीं दी जा सकती। इस कानून में बच्चों को जाति, धर्म, नस्ल और लिंग का भेद किये बगैर मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है।
राज्य सरकार को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोप है कि शिक्षक ने एक छात्र को अन्य सहपाठियों से पिटवाया। जिसे पिटवाया वह अन्य धर्म का था। अगर छात्र को केवल इसलिए पिटवाया गया कि वह गैर धर्म का है तो यह क्वालिटी एजुकेशन का माखौल है। यह बेहद निचले स्तर का शारीरिक दंड है। अदालत ने राज्य सरकार को राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने की रिपोर्ट 4 सप्ताह में पेश करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने पीड़ित और अन्य छात्रों की काउंसलिंग कराने के भी निर्देश दिए हैं।
सीनियर आईपीएस से कराएं जांच
अदालत ने मामले की जांच वरिष्ठ आईपीएस अफसर से कराने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी की नियुक्ति के लिए सरकार को 1 सप्ताह का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।