DELHI: विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, PMLA के खिलाफ रद्द हुई याचिका, गिरफ्तारी के अधिकार को सही बताया 

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Vivek Sharma
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DELHI: विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, PMLA के खिलाफ रद्द हुई याचिका, गिरफ्तारी के अधिकार को सही बताया 

Delhi. PMLA कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिका रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ED का गिरफ्तार और समन भेजना सही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से विपक्ष को बड़ा झटका लगा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ईडी (ED) को गिरफ्तार करने और समन भेजने का अधिकार बिल्कुल सही है। इसके साथ ही पीएमएलए कानून के खिलाफ दायर याचिका को भी रद्द कर दिया। दरअसल, विपक्ष ने याचिका दायर कर PMLA के कई प्रावधानों को कानून और संविधान के खिलाफ बताया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दायर याचिका को रद्द करते हुए कानून को सही बताया है। कोर्ट ने कहा, मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है। उसे मूल अपराध के साथ जोड़ कर ही देखने की दलील खारिज की जा रही है। कोर्ट ने ये भी कहा कि, सेक्शन 5 में आरोपी के अधिकार भी संतुलित किए गए हैं। ऐसा नहीं कि सिर्फ जांच अधिकारी को ही पूरी शक्ति दे दी गई है।



ये लगाए गए आरोप



दलीलों में ये भी कहा गया था कि, गलत तरीके से पैसा कमाने का मुख्य अपराध साबित न होने पर भी पैसे को इधर-उधर भेजने के आरोप में PMLA का मुकदमा चलता रहता है। इसके अलावा ये भी कहा गया कि, इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाता है। साथ ही ये भी कहा गया था कि, कानून में अधिकारियों को मनमाने अधिकार दिए गए हैं। 

 



सरकार ने पक्ष में कही ये बात



वहीं, सरकार ने कानून के पक्ष में अपना जवाब देते हुए कहा कि, कार्रवाई से बचने के लिए इस प्रकार की याचिकाएं दायर की जा रही हैं। सरकार ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि, ये वहीं कानून है जिसकी मदद से विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों से अब तक बैंकों के 18 हजार करोड़ रूपए वसूले गए हैं। 



सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा




  • ED का गिरफ्तारी का अधिकार, सीज करने का अधिकार, संपत्ति अटैच करना, रेड डालना और बयान लेने के अधिकार बरकरार रखे गए हैं।


  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायत ECIR को FIR के बराबर नहीं माना जा सकता है। ये ED का इंटरनल डॉक्यूमेंट है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ECIR रिपोर्ट आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बता देना ही काफी है।

  • PMLA में 2018-19 में हुए संशोधन क्या फाइनेंस एक्ट के तहत भी किए जा सकते हैं? इस सवाल पर 7 जजों की बेंच मनी बिल के मामले के तहत विचार करेगी।



  • PMLA का मकसद मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना



    ब्लैक मनी को लीगल इनकम में बदलना ही मनी लॉन्ड्रिंग है। PMLA देश में 2005 में लागू किया गया। मकसद मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना और उससे जुटाई गई प्रॉपर्टी को जब्त करना है। PMLA के तहत दर्ज किए जाने वाले सभी अपराधों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) करता है। ED फाइनेंस मिनिस्ट्री के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के तहत आने वाली स्पेशल एजेंसी है, जो वित्तीय जांच करती है। ED का गठन 1 मई 1956 को किया गया था। 1957 में इसका नाम बदलकर 'प्रवर्तन निदेशालय' कर दिया गया।


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