NEW DELHI. उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलिजियम सिस्टम पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच रार जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलीजियम की सिफारिश पर केंद्र सरकार के मनमाने रवैये पर सख्त ऐतराज जताया है। अदालत ने कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी देने में केंद्र पर लगे "पिक एंड चूज" के मुद्दे को उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार के मनमाने रवैये पर सख्त ऐतराज जताया है।
केंद्र पर मनमानी करने का आरोप
पूरा मामला कॉलिजियम सिस्टम से जजों की नियुक्तियों में लेट-लतीफी का है। सोमवार को मामले में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, यह अच्छा संकेत नहीं देता है। अदालत ने कहा कि कॉलेजियम ने स्थानांतरण के लिए न्यायाधीशों के जिन 11 नामों की सिफारिश की थी, उनमें से पांच का स्थानांतरण हो चुका है, लेकिन छह अभी भी लंबित हैं। जिनका तबादला होना है उसमें गुजरात, इलाहाबाद और दिल्ली हाईकोर्ट के जज शामिल हैं।
हाईकोर्ट में न्यायाधीश पद के लिए अनुशंसित नामों में से आठ को केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी नहीं दी गई है। इनमें से कुछ न्यायाधीश उन लोगों से भी वरिष्ठ हैं जिन्हें नियुक्त किया जा चुका है। न्यायमूर्ति कौल ने कहा, अदालत की जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने पांच न्यायाधीशों के स्थानांतरण आदेश जारी किए हैं। छह न्यायाधीशों के लिए स्थानांतरण आदेश जारी नहीं किए गए हैं। उनमें से चार गुजरात से हैं।
समय पर फैसला नहीं ले रही केंद्र सरकार
याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम की ओर से जजों की नियुक्ति के लिए जो सिफारिश की जा रही है, उस पर केंद्र सरकार समय पर फैसला नहीं ले रही है। यह कोर्ट के फैसले की अवहेलना है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि पांच नाम हमने भेजा थे, सरकार ने तीन नामों को क्लियर किया। पहले और दूसरे नंबर पर जो नाम थे, उसे क्लियर नहीं किया गया। इस तरह से वरिष्ठता प्रभावित हुई है। इस तरह की प्रैक्टिस को बंद किया जाना चाहिए।
बता दें कि न्यायमूर्ति कौल शीर्ष अदालत की उस कॉलेजियम के सदस्य भी हैं जिसने जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश की है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस कौल ने कहा, यह स्वीकार्य नहीं है। पिछली बार भी, मैंने इस बात पर जोर दिया था कि चयनात्मक स्थानांतरण न करें। इससे विशिष्ट हालात में कुछ व्यक्तियों के साथ किए जा रहे व्यवहार को लेकर सवाल खड़े होते हैं।"